मैं जो कुछ आपको बताने जा रहा हूँ.. ये सब इतनी अचानक से हुआ और इतना अप्रत्याशित था की मेरे लिए ये सब अभी तक बिल्कुल एक सपने जैसा है.. मैं अमेरिका के मिसिसिपी स्टेट में अपने हस्बैंड के साथ रहती हूँ.. साथ ही बता दूं के मिसिसिपी एक ऐसा स्टेट है जहाँ सबसे ज्यादा हरिकेन, टॉर्नेडो और बारिश वगैरह आती हैं.. ये सब कुछ हम लोगों के लिए इतना नॉर्मल हो चुका है के जिन तूफानों से बड़े बड़े शहर हिल जाते हैं.. हम लोगों के लिए वो आए दिन की बात है.. खैर.. हर रोज की तरह उस दिन भी जब मैं सुबह उठी तो दिन की शुरुआत उल्टियों से हुई.. जैसे की प्रेगनेंस में नॉर्मली होता है.. मुझे बहुत उल्टियाँ लगती थी.. मेरे हस्बैंड बाहर लॉन में कुछ काम कर रहे थे.. वो बीच में मुझे देखने आए की कहीं मेरी तबीयत ज्यादा तो नहीं बिगड़ रही.. और फिर मुझे चेक करके वो वापिस बाहर चले गए.. मैं बेड पर लेटी ही थी की सामने ड्रेसिंग टेबल पर रखा मेरा फोन बजने लगा.. “हेलो..” मैंने कहा.. मुझे थोड़ी हैरानी थी की सनडे के दिन सुबह-सुबह कौन कॉल कर रहा होगा.. कॉल भी किसी अनख़नॉवन नम्बर से थी.. “हाय, आप कैथरीन बोल रही हैं?” सामने से एक भारी सी आवाज में किसी आदमी ने पूछा.. “हाँ.. हाँ मैं कैथरीन बोल रही हूँ, आप कौन?” “वो मैं.. फॉरेस्ट सर्च एंड रेस्क्यू टीम से रेंजर जिम बात कर रहा हूँ.. क्या आप किसी केविन स्मिथ को जानती हैं.. केविन.. केविन तो मेरे बड़े भाई का नाम है..” “हाँ हाँ मैं केविन को जानती हूँ, वो मेरा बड़ा भाई है.. क्या हुआ उसको.. सब ठीक तो है न?” अचानक मेरे दिल में घबराहट बढ़ गई.. “वो मैम.. असल में हम गीगर लेक से बात कर रहे हैं.. हम आपको भाई को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं.. हमें डर है की आपका भाई कहीं खो गया है.. क्या आप कुछ पेपर फॉर्मैलिटीज़ के लिए थोड़ी देर के लिए यहाँ आएंगी?” “मेरा भाई केविन.. मुझसे 8 साल बड़ा था.. कुछ ही साल पहले उसको डिवॉर्स भी हुआ था.. जिसके बाद से वो ज्यादातर अकेला ही रहने लगा था.. मम्मी-पापा की मौत के बाद हम दोनों ने एक दूसरे का ख्याल रखते आए थे.. मैं जानती थी की केविन को जंगल में घूमने जाना और फिशिंग करना बहुत अच्छा लगता था.. वो अक्सर गाइगर लेक पर अपनी खुद की मोटर बोट में फिशिंग के लिए जाता रहता था.. अपने भाई के खोने की बात सुनके मैं आपको बता नहीं सकती मेरे दिल में कितना डर आ गया.. “जी हाँ.. मैं आपके पास पहुंच रही हूँ.. लेकिन केविन को हुआ क्या है.. ये तो बताइए..” मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे.. फिर उस रेंजर ने आराम से मुझे कुछ डिटेल्स बताई
ं.. “वो एक्चुअली माम.. हम यहाँ गाइगर लेक पर कुछ मछुवारों को एक खाली मोटर बोट पानी में गोल-गोल तैरती मिली थी.. रेंजर्स ने जब उस बोट को चेक किया तो उसके अंदर कोई नहीं था.. हमने किसी तरह बोट का इंजन बंद किया और उसकी चेकिंग करने पर हमें उसके अंदर तो मछली पकड़ने के 2 नेतुरल जैकेट मिली.. हमने नदी के आसपास उसको ढूंढ़ने की कोशिश भी की लेकिन हमें वो नहीं मिला.. बोट के अंदर ही हमें एक डायरी में आपका नंबर मिला तो आपको कॉल किया.. क्या आप थोड़ी देर के लिए यहाँ आएंगी.. हमें कुछ पेपरवर्क साइन करवाना है..”
हां हां। मैं अभी वहाँ आ रही हूँ। प्लीज़ आप मेरे भाई को ढूंढते रहिए। मैंने उसी वक्त जल्दी से अपनी अलमारी खोली और जल्दी से कपड़े चेंज किए और फोन अपने बैग में डाल के बाहर निकल गई। बाहर मेरे हस्बैंड लॉन में ही काम कर रहे थे। मुझे ऐसा जल्दी में और परेशान देखके मेरे हस्बैंड ने मेरा हाथ पकड़ लिया। “हे हनी, क्या हुआ तुमको? ऐसा कहाँ भाग के जा रही हो। सब ठीक तो है ना?” वो मेरे पेट की तरफ देखते हुए बोला। उनको लग रहा था कि शायद मुझे बच्चे की कोई परेशानी हुई है। लेकिन मैं उस वक्त बहुत जल्दी में थी। मैंने जल्दबाजी में अपने हस्बैंड को उस रेंजर की कॉल के बारे में बताया। मेरे हस्बैंड बहुत समझदार और मजबूत इंसान हैं। मेरी बात सुनके वो बिना घबराए मुझे शांत करने की कोशिश करने लगे। “हां, हम वहां चलते हैं। लेकिन तुम थोड़ा आराम से रहो, इतनी जल्दबाजी करना तुम्हारे और बच्चे के लिए ठीक नहीं है। चलो, तुम कार में बैठो, मैं ड्राइव करता हूँ।” और फिर हम जल्दी से घर में ताला लगा के उस जगह जाने के लिए निकल गए। वहां जाते हुए मैंने अपने एक अंकल को भी कॉल करके इस बारे में बताया था। मन में बुरे-बुरे ख़्याल आ रहे थे। मेरा भाई एक बहुत अच्छा इंसान था। बचपन से पैरेंट्स के बाद वो ही मेरा ख़्याल रखता आया था। उसका कोई बच्चा भी नहीं था। डिवोर्स के बाद से वो अपना ज्यादातर खाली समय अपनी बोट में ही बिताता था। उसके कुछ दोस्त भी थे जो कई बार उसके साथ फिशिंग पे आते थे। लेकिन ज्यादातर वो अकेला ही जाता था। लेकिन एक बात जो मुझे सबसे ज़्यादा परेशान कर रही थी कि वो खो कैसे सकता है। वो कोई छोटा बच्चा नहीं था, न ही कोई नोसिखिया था। वो बहुत समझदार इंसान था। ख़ासकर सेफ़्टी के मामले में वो अपना बहुत ध्यान रखता था। पिछले कुछ महीनों से प्रेग्नेंसी की वजह से मैं उससे ज्यादा बात भी नहीं कर पाती थी। बार-बार उस रेंजर की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। आख़िर मेरा भाई पानी के बीच अपनी बोट छोड़ के ऐसा गया तो गया कहां। ऊपर से उस रेंजर ने ये भी बताया कि उसकी लाइफ सेविंग जैकेट भी बोट के अंदर ही रखी थी, जो कि अपने आप में बहुत ही अजीब बात थी। मेरा भाई हमेशा पानी के बीच जाते हुए अपनी जैकेट पहन के रखता था। एक बार के लिए ये मान भी लिया जाए कि वो बिना लाइफ सेविंग जैकेट पहने फिशिंग कर रहा होगा और बाय चांस पानी में गिर गया होगा। लेकिन फिर भी, वो गायब कैसे हो सकता था। वो एक बहुत अच्छा स्विमर भी था। ऊपर से वो नदी भी कोई बहुत ज़्यादा गहरी और बड़ी नहीं थी, कि मेरा भाई उसे बाहर निकल ही न पाया हो।Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi. Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi.
ना जाने कितने ख़्याल मेरे दिमाग में आ रहे थे। हम कब उस जंगल में पहुँच गए हमें पता ही नहीं चला। वो नदी जंगल के बिल्कुल साथ-साथ पड़ती थी। उस जगह पहुँचे तो वहां रेंजर्स के साथ-साथ कुछ पुलिस वाले भी खड़े दिखाई दिए। वो देखके मेरा दिल एकदम से ही बैठ गया। फिर उनमें से एक मोटा सा रेंजर हमारे पास आया। “आप केविन के सिस्टर हैं ना जिससे मेरी फ़ोन पर बात हुई थी।” उसकी मोटी आवाज़ सुनते ही मैं समझ गई कि इसने मुझे कॉल करके यहाँ बुलाया था। “जी हाँ, वो मैं ही हूँ। मैं केविन की छोटी बहन हूँ। आपको केविन का कुछ पता चला क्या?” मैं किसी तरह अपनी घबराहट को कंट्रोल में रखती हुई उससे बात कर रही थी।
असल में अभी तक हम उसे ढूंढ नहीं पाएं हैं। लेकिन अभी हमारा ऑपरेशन जारी है। उम्मीद है हम जल्द ही उसे ढूंढ लेंगे। आप फिकर ना करें।” वो मेरे पेट की तरफ देखते हुए बोला। मेरे हस्बैंड साइड में खड़े फ़ोन पे बात कर रहे थे। सब रिश्तेदारों को केविन के खोने का पता चल गया था।
हमारी सर्च पार्टी आगे दूर तक नदी के साथ-साथ उसको ढूंढने की कोशिश कर रही है। इतना कह के वो वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद वहाँ से स्मार्ट सी लेडी रेंजर हमारे पास आई। “आप चाहे तो ये रेस्क्यू ऑपरेशन ख़त्म होने हमारे बेस पर ही रुक सकते हैं। शायद उसने मेरी कंडीशन देख के ऐसा कहा था।” मेरे हस्बैंड बोले, “जी, ज़रूर। हम आज रात यहीं रुक जाएंगे।” वो बोली, “ठीक है।” फिर उसने मुझसे कुछ पेपर्स फिल करवाए। और हम नदी के पास ही बने उनके ऑफ़िस में ऑपरेशन ख़त्म होने का वेट करने लगे। हम जिस केबिन में थे वहाँ से सामने वो लेक साफ दिखाई दे रही थी। फिर कई देर वेट करने के बाद मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपने हस्बैंड से कहा कि मैं बाहर जा रही हूँ केविन को ढूंढने के लिए। मेरे हस्बैंड ने नाराज़ होते हुए बोला, “नहीं, ऐसी हालत में तुम कहाँ जाओगी। इतने लोग ढूंढ तो रहे हैं उसको। प्लीज़…” मेरे हस्बैंड ने मुझे गले लगाते हुए कहा, “तुम यहीं आराम करो, मैं बाहर जाता हूँ केविन को ढूंढने।” और फिर मेरे हस्बैंड भी बाहर चले गए। मैं खिड़की के साथ ही बाईं आंखें फड़फड़ा के देखती रही। 4 घंटे बीत गए, लेकिन केविन की कोई ख़बर नहीं आई। रात भी होने लगी थी। मैं केबिन से बाहर निकल के पोर्च पे जाके बैठ गई। वहाँ बैठे मुझे 5 मिनट ही हुए थे की मेरे फोन पे एक कॉल आई। “हेलो…” मैंने कहा, लेकिन दूसरी तरफ से कोई जवाब नहीं आया। बस एक अजीब सी स्टैटिक सी आवाज़ आ रही थी, जैसे सामने वाला आदमी पानी के नीचे हो। “हेलो, कौन बोल रहा है?” मैंने फिर से पूछा। लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब मैं फोन काटने ही वाली थी की उस स्टैटिक के बीच मुझे एक बहुत अजीब आवाज सुनाई दी। और ये आवाज किसी और की नहीं, मेरे भाई केविन की थी। “केविन… केविन… ये तुम हो क्या… कहाँ हो तुम…” मैंने फिर से पूछा। मुझे उसकी बस एक ही बात सुनाई दी, “जंगले के अंदर… जंगले के अंदर… ? तुम ठीक तो हो ना… तुम वहीं रुको, हम तुमको ढूंढ आ रहे हैं।” और बस फिर वो कॉल कट गई। इतनी देर में मेरे हस्बैंड भी वहाँ पहुंच गए थे। मैं उनको सामने से आता देख रही थी। और तभी वहाँ तेज़ हवाएँ चलने लगी। जाहिर था तूफ़ान आने वाला है। लेकिन मुझे तूफ़ान की फिक्र नहीं थी। मैं जल्दी से अपने हस्बैंड के पास आई और उसको बताया कि मुझे केविन का पता चल गया है। “वो जंगल के अंदर है।” “क्या, जंगल के अंदर? लेकिन तुमको कैसे पता?” मेरे हस्बैंड ने हैरानी से पूछा। “अरे, केविन ने खुद मुझे कॉल किया था। हमें जल्दी से रेंजर्स को इनफ़ॉर्म करना चाहिए।” मैंने कहा। “ठीक है, ठीक है, मैं उनको इनफ़ॉर्म कर दूंगा लेकिन तुम अंदर तो चलो, बाहर तूफ़ान आने का अंदेशा है।” मैं अंदर जाने लगी। जाते हुए मैं अपना फोन चेक कर रही थी केविन की कॉल को देखने के लिए। लेकिन ये क्या… तभी मैंने एक बहुत अजीब चीज़ नोटिस की। अभी-अभी मेरे उस कॉल लिस्ट में शो ही नहीं हो रही थी… जैसे कि मेरे पास कोई कॉल आई ही नहीं हो। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था। अभी-अभी तो मैंने उससे बात की थी। ये मेरा वहम तो बिल्कुल नहीं था। उसने सच में मुझे कॉल किया था। फिर कुछ देर बाद मेरे हस्बैंड वापस आए बोले, “आज रात जंगल में ऑपरेशन नहीं चलाया जा सकता। आज रात को तूफ़ान आने का अंदेशा है। तुम केविन को फिर से कॉल करके पूछा कि वो एक्ज़ैक्टली कहाँ पे है।” मैं फिर से अपने फोन की कॉल लिस्ट चेक करने लगी। लेकिन उसकी कॉल नहीं थी। पक्का मेरे ही फोन में कुछ गड़बड हो गई है। मैंने सोचा, “सुबह से हमने ज्यादा कुछ खाया भी नहीं था। खाते भी कैसे…” मेरे भाई सुबह से गायब था। ऐसे में किसको भूख लगनी थी। फिर हम दोनों ने हल्का-फुला खाना खाया और रेस्ट करने के लिए लेट गए। लेकिन नींद किसको आनी थी। लेटे लेटे अचानक मेरी उसको ढूंढने जाने की बहुत तेज़ इच्छा होने लगी। पता नहीं क्यों मेरे दिल ये कह रहा था कि मैं उसको ढूंढ लूंगी।
लेकिन मैं जानती थी मेरे हस्बैंड मुझे बाहर नहीं जाने देंगे.. इसी कश्मकश में कब मेरी आँख लग गई मुझे पता ही नहीं चला.. लेकिन सोते हुए मैंने एक बहुत अजीब सपना देखा.. मैंने देखा की मैं उस नदी के निकट किनारे चलती हुई जा रही हूँ.. और कुछ दूर आगे जाकर मुझे जंगल में मेरा भाई पड़ा दिखाई देता है.. उसकी एक टांग टूट गई है.. और वो बीच जंगल में बारिश में भीगता हुआ अपने लिए मदद की भीख मांग रहा है.. एक झटके से मेरी आँख खुल गई.. ये सपना इतना डरावना और परेशान कर देने वाला था की मैं अब सो भी नहीं पा रही थी.. मेरे हस्बैंड गहरी नींद में थे.. लेकिन मेरा मन मान ही नहीं रहा था.. मैं बस एक बार बाहर जाकर अपने भाई को ढूंढन चाहती थी.. और फिर बिना अपने हस्बैंड को बताए मैं केबिन से बाहर निकल गई.. नदी के साथ साथ चलते हुए मैं आगे जंगल की तरफ जाने लगी.. नॉर्मली मैं ऐसे करने की हिम्मत कभी नहीं जुटा सकती थी.. लेकिन शायद अपने भाई को खोने के उस ख्याल ने मुझे वो अजीब सी ताकत दे दी थी.. मेरे दिमाग में वही सपना बार-बार आ रहा था, मेरा भाई जंगल के बीच मदद की भीख मांगता हुआ.. लेकिन अचानक मेरे पेट में दर्द होने लगा.. अब मुझे अपनी और अपने बच्चे की फिक्र होने लगी थी.. डिस्परेशन में मैं अपने भाई को आवाज़ें लगाने लगी.. “केविन.. कहाँ हो तुम, केविन..” मुझे उम्मीद थी केविन मेरी आवाज़ जरूर सुनेगा.. लेकिन कई देर आवाज़ें लगाने के बाद भी जब मुझे उसके वहाँ होने का कोई साइन नहीं मिला तो मायूस होके मैं वहाँ से जाने के लिए पलटी ही थी की तभी.. मुझे एक हल्की सी आवाज़ सुनाई दी.. “कैथी.. मैं यहाँ हूँ.. मुझे चोट लगी है..” वो आवाज़.. वो आवाज़ लग तो मेरे भाई के जैसी रही थी.. लेकिन उसकी नहीं थी.. मेरे पास सोचने-समझने का समय नहीं था.. मैं तेजी से जंगल के अंदर जाने लगी जिस तरफ़ से वो आवाज़ आई थी.. और फिर करीब 20 कदम चलने के बाद अचानक से मुझे बहुत तेज डर लगने लगा.. जंगल बिल्कुल शांत था.. मेरे दिमाग में जैसे खतरे का हॉर्न बजने लगा था.. लेकिन क्यों.. और तभी.. सामने पेड़ों के बीच से एक साया निकलकर बाहर आया.. वो लग तो किसी इंसान के जैसा रहा था.. लेकिन इंसान नहीं था.. उसके लम्बे-लम्बे हाथ थे.. जो अजीब ही तरीके से उसके कंधों से लटक रहे थे.. और उसके चेहरे पर एक बहुत अजीब सी स्माइल थी.. जैसे जोकर मूवी में जोकर के चेहरे पर होती है.. और सबसे अजीब थी उसकी आँखें.. उसकी एक आँख तो बिल्कुल इंसानों जैसी थी.. लेकिन दूसरी आँख बिल्कुल काली थी.. वो चीज़ 2 मिनट तक वहीं खड़ी मुझे देखती रही.. पहले उसने मेरी चेहरे की ओर देखा और फिर वो मेरी तरफ़ बढ़ने लगा.. डर के मारे मेरी पूरी बॉडी जम गई.. मेरे पैर.. जैसे लोहे के बन गए थे.. मैं चाह के भी उनको हिला नहीं पा रही थी.. और फिर उस चीज़ ने मुझसे बात की.. मुंह से नहीं.. बस ऐसे की जैसे उसकी बात सीधा मेरे दिमाग़ तक पहुँच रही हो.. वो मुझसे कुछ बोल रहा था.. लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.. और तभी.. एक तेज़ बिजली चमकी.. उस आवाज़ के साथ ही मैं जैसे अपने ट्रांस से बाहर निकली.. वो अभी भी मेरे सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था.. मैं वहाँ से भागी.. जितना तेज़ भाग सकती थी उतना तेज़.. पेड़ों की पतली-नुकीली टहनियाँ और झाड़ियाँ मेरे दोनों हाथों पर लग रही थीं.. हाथों से खून भी निकलने लगा था.. लेकिन मैं नहीं रुकी.. मैं अभी भी अपने दिमाग़ में महसूस कर रही थी वो शैतान मेरे ऊपर हंस रहा है.. किसी तरह मैं जंगल से निकल नदी किनारे पहुँची.. वो शैतान चाहता तो मुझे आसानी से पकड़ सकता था.. लेकिन वो तो जैसे बस मुझसे खेलना चाहता था.. किसी खिलौने के तरह.. मैं भागती रही.. और फिर एक जगह पहुँच के मेरा पैर फिसला और मैं नीचे गिर गई.. अब वो शैतान ठीक मेरे सामने आकर खड़ा हो गया.. मैं कुछ नहीं कर सकती थी.. सिवाये उससे रहम की भिख मांगने के.. लेकिन इस शैतान को क्या रहम का मतलब भी पता था.. न ये तो न कोई इंसान था न कोई जानवर.. और तभी मुझे कुछ दूर फ्लैशलाइट्स जलती दिखाई दी.. कुछ लोग मुझे ढूंढते हुए मुझे आवाज़ लगा रहे थे जिनमें से एक मेरे हस्बैंड भी थे.. मेरे पेट में भयंकर दर्द होने लगा था.. बस उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं.. मेरे हस्बैंड और बाकी के रेंजर्स मुझसे पूछे जा रहे थे की तुम्हारे साथ क्या हुआ है.. बेहोशी में मैं बस उनको एक ही बात बार-बार बोले जा रही थी.. “जंगल के अंदर.. जंगल के अंदर..” तीन दिन बाद मुझे होश आया.. मैं अपने ऊपर बहुत शर्मिंदा थी.. की मैंने ऐसी हालत में अपनी और अपने बच्चे की जान खतरे में डाली.. मेरे हस्बैंड भी थोड़े नाराज थे.. लेकिन गणिमत की बात थी की बच्चा ठीक था.. डॉक्टर्स ने अल्ट्रासाउंड किया तो बच्चा ठीक था.. मुझे अभी तक समझ नहीं आ रहा था की वो सब क्या था.. वो शैतान कौन था।Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi. Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi.
कोई मेरी बात यकीन नहीं करता.. रेंजर्स मुझसे पूछ रहे थे की आपको ये चोटे कैसे लगी.. मैंने कहा मैं केविन को ढूंढते हुए जंगल में चली गई थी.. और वहाँ रास्ता भूल गई थी.. और घबराहट में भागते हुए मुझे ये चोटे लग गई.. मैं हॉस्पिटल में ही एडमिट थी.. कि हमें केविन के मिल जाने की खबर मिली.. लेकिन वो जिंदा नहीं था.. उसकी लाश मिली थी.. बाद में मुझे पता लगा की जिस जगह मैंने उस शैतान को देखा था.. उसी जगह से कुछ दूर आगे केविन की लाश मिली थी.. उसके भी दोनों हाथ और पैर बुरी तरह चिल गए थे.. शायद वो अपनी बोट से नदी में गिर गया था.. और किसी तरह रेंगते हुए जंगल में पहुँच गया.. लेकिन एक बहुत अजीब चीज जो डॉक्टर्स ने नोटिस की थी वो था उसके मुँह पे बना वो निशान.. समे वैसा निशान जैसा उस शैतान के मुँह पे था.. जैसे की उसका पूरा मुँह काट दिया गया हो.. पुलिस की theory थी की शायद अपनी बोट से गिरने के बाद जब वो नदी में तैरता हुआ जा रहा होगा तो किसी दूसरी मोटर बोट के प्रोपेलर के चापेट में आ गया होगा.. और उसी से उसका मुँह काट गया होगा.. उसका मोबाइल फ़ोन भी उसकी पॉकेट में मिला था.. लेकिन उससे कोई डिटेल्स रिकवर नहीं की जा सकी.. सच बताऊं तो अपने भाई की मौत की खबर से मुझे जितना शॉक लगना था उतना लगा नहीं.. शायद इसलिए की मैं पहले से ही इस चीज़ के लिए मेंटली प्रिपेर्ड हो चुकी थी.. पता नहीं वो क्या था.. जिसको उस रात जंगल में मैंने देखा था.. लेकिन मुझे पूरा यकीन था की मेरे भाई की मौत पानी में डूबने से नहीं बल्कि उसी शैतान की वजह से हुई है..
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मैं अमेरिका के ग्रैंड कैन्यन नेशनल पार्क नामक जंगल में रेंजर का काम करता हूँ.. मेरी जॉब मुझे बहुत पसंद है.. क्यूंकि इस जॉब में मुझे हर रोज नए लोगों से मिलने का मौका मिलता है। ऊपर से इस खूबसूरत जंगल में नौकरी करने का एक अलग ही मज़ा है.. लेकिन इस खूबसूरत जंगल के पीछे कुछ ऐसी चीजें भी छुपी हैं जिनसे अगर आपका सामना न हो तो ही आपके लिए बेहतर है..
साथ ही आपको बता दूं की इस जंगल की बाउंडरी नोवाहो नामक एक कबीले से मिली हुई है। हम अक्सर उस तरफ पैट्रोलिंग के लिए जाते रहते हैं.. आप में से जो लोग नहीं जानते उनको बतादूं नोवाहो नाम के लिए कबीला वेंडिगो नाम के शैतान के लिए जाना जाता है। बताते हैं की इस कबीले में सैकड़ों साल पहले किसी श्राप से ये वेंडिगो नाम का शैतान पैदा हुआ था.. जंगल में घूमने आने वाले टूरिस्ट अक्सर मुझसे ही सवाल पूछते हैं.. आपने भी कभी कोई वेंडिगो देखा क्या.. मेरा ना तो ऐसी किसी शैतान से कभी कोई सामना हुआ था और न ही मैं ऐसी बचकानी बातों पर यकीन करता था.. लेकिन मैं गलत था.. एक दिन ऐसे ही जंगल में पैट्रोलिंग करते हुए जब मैं उस कबीले की तरफ वाले इलाके में पहुँचा तो मुझे वहाँ एक बूढ़ा आदमी मिला.. 70 के आसपास उम्र होगी होगी.. झुकी हुई कमर.. और जो कपड़े उसने पहने थे देखने से पता चल रहा था की वो वहाँ के लोकल ट्राइब से बेलोंग करता है.. मुझे लगा शायद ये बूढ़ा आदमी कहीं रास्ता तो नहीं भूल गया.. तो मैं जल्दी से उसके पास गया और उससे पूछने लगा.. आप.. ठीक तो हैं.. कहाँ जाना है आपको..
लेकिन मेरे उसके पास जाते ही.. उसने मेरे हाथ पकड़ लिया.. बहुत जोर से.. मतलब की एक बूढ़ा आदमी इतनी जोर से पकड़ सकता था मैंने उम्मीद नहीं की थी.. हाथ पकड़ के वो सीधा मेरी आँखों में देखता हुआ हल्की सी आवाज़ में मुझसे बोला.. मैं तुम्हें सुबह से ढूंढ रहा हूँ.. लेकिन तुम मुझे अब मिले हो.. उसकी बात सुनके मुझे बहुत कंफ़्यूज़न हुई.. सुबह से ढूंढ रहे हो.. क्यूँ..? आप मुझे जानते हो क्या ? उसने बोला इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता.. लेकिन उसके बाद उसने जो मुझसे कहा वो सुनके मैं भी हैरान में पड़ गया.. उसने मुझसे कहा की आज रात तुम मरने वाले हो.. .. और वो मुझे मेरी मौत की चेतावनी देने आया था.. उसकी बात सुनके मेरी तो बोलती ही बंद हो गई.. मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं इससे क्या बोलूँ.. क्या मतलब है आपका.. कौन हैं आप.. मैंने उससे पूछा.. उसने बताया की वो साथ के कबीले में रहता है.. और उनके कबीले में एक आदमी काले जादू की सिद्धि करते हुए बुरी ताकतों की भेंट चढ़ गया.. और अब वो आदमी एक स्किनवाल्कर बन चुका है.. जैसे की मैंने बताया मैं ये तो जानता था की ये लोग स्किनवाल्कर और वेंडिगो जैसे शैतानों को मानते हैं लेकिन मैं खुद इनके ऊपर यकीन नहीं करता था.. मुझे लगा शायद ये बूढ़ा आदमी पागल हो गया है.. जो ऐसी बेहकी बेहकी बातें कर रहा है.. मैं उसका हाथ पकड़ के उनके ट्राइब की तरफ लेके जाने लगा.. पूरे रास्ते वो बस एक ही बात मुझसे बार-बार बोले जा रहा था.. की आज रात मैं अपने ऑफिस से बिल्कुल भी बाहर ना निकलूं.. चाहे कुछ भी हो जाए.. मैं बाहर जंगल में न जाऊं.. फिर कुछ देर चलने के बाद मैं उनके इलाके के गेट पे पहुँच गया, जहाँ उनके कबीले के कुछ लोग पहले से खड़े थे.. शायद उसी को ढूंढ रहे थे.. हमें वहाँ देखते ही भाग के हमारे पास आए और उस बूढ़े को पकड़ के अपने साथ ले गए….मैं भी अपने ऑफिस में वापस आ गया और अपनी नॉर्मल ड्यूटी करने लगा.. बाकी का पूरा दिन भी बिल्कुल नॉर्मल ही गुज़र गया.. हाँ एक बच्चा जरूर खो गया था.. जो की खुसकिस्मती से हमें अंधेरे होने से पहले ही जंगल में मिल गया था..
खैर, फिर शाम को अंधेरा होने के बाद मैं वापस अपनी यूनिट में चल आया और खाना खा के रेस्ट करने लगा.. अपने बेड पर लेटा मैं एक बुक पढ़ ही रहा था कि अचानक से मुझे बहरसे एक बहुत ही भयानक चीख सुनाई दी.. आवाज़ ज़्यादा तेज़ तो नहीं थी लेकिन मैंने उसको साफ साफ सुना था.. मैं जल्दी से अपना रेडियो फोन उठाया ये देखने के लिए की शायद किसी दूसरे रेंजर ने भी वो चीख सुनी हो और वो रेडियो पर बताए.. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.. कुछ देर रेडियो हाथ में लेने के बाद मैंने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया.. और रेडियो साइड में रख के वापस से लेट के अपनी बुक पढ़ने लगा.. लेकिन फिर थोड़ी देर बाद वही चीख मुझे फिर से सुनाई दी थी.. अंतर बस इतना था की इस बार वो मुझे बहुत पास से आई लग रही थी.. मुझे हैरानी थी की मेरे अलावा किसी और ने वो आवाज़ नहीं सुनी थी.. मैं उठा और अपने बूट्स पहन के बाहर निकल गया.. लेकिन मैंने एक ग़लती कर दी.. मैं अपनी पिस्टल लाना भूल गया.. जंगल बिल्कुल शांत था.. जिसकी वजह से दूर जड़ियों में होती उस हलचल को भी सुन पा रहा था.. अब मैं कुछ ही कदम दूर गया था की मुझे वही चीख फिर से सुनाई दी.. इस बार मैंने उसको साफ साफ सुना था। आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई जानवर दर्द में चीख रहा हो.. और वो आवाज़ सामने एक पेड़ के पीछे से आई थी.. मैं धीरे-धीरे उस पेड़ की तरफ बढ़ ही रहा था की अचानक से मेरे कदम रुक गए.. क्यूंकि उस पेड़ के पीछे से कोई चीज़ सामने आ गई थी.. मुझे नहीं पता वो क्या था.. लेकिन वो अपने चारों पैरों पर खड़ा अजीब ही तरीके से घुर रहा था.. उसके मुंह से झाग निकल रहे थे। उसको ठीक से देखने के लिए मैंने अपनी फ्लैशलाइट उसके ऊपर मारी.. लेकिन ये मेरी बहुत बड़ी ग़लती थी.. क्यूंकि ऐसा करते ही घुराते हुए सीधा मेरी तरफ देखने लगा.. मुझे पता था ये जो कुछ भी है बहुत ही ख़तरनाक है.. मेरे पास अपने आप को बचाने के लिए कोई हथियार भी नहीं था.. मैं उसी वक्त पलटा और वहाँ से भागने लगा.. खुशकिस्मती से हमारा स्टेशन वहाँ से ज़्यादा दूर नहीं था.. मैं भागता हुआ स्टेशन के अंदर गया और अंदर से दरवाज़ा लॉक कर दिया.. फिर मैं सीधा अपने सिक्योरिटी रूम में गया जहाँ से सारे सीसीटीवी कैमरे देखे जा सकते थे.. गेट पर लगे कैमरे में मैंने देखा की वो जानवर गेट के सामने खड़ा कुछ चबा रहा था.. लेकिन वो क्या था और क्या चबा रहा था ये समझ नहीं आ रहा था.. और फिर कुछ मिनट वहीं खड़े रहने के बाद वो पलटा और वहाँ से वापस चला गया.. अगली सुबह मैंने अपने साथियों को इस बारे में बताया तो रात की वीडियो फुटेज देख के वो सभी भी हैरान रह गये.. किसी को नहीं पता था की वो क्या चीज़ है.. उस रात के बाद से मैं अपनी ड्यूटी पर और ज़्यादा संभल के रहने लगा था ख़ासकर रात के समय.. हालांकि उस रात के बाद मैंने ऐसी किसी चीज़ को फिर कभी नहीं देखा.. लेकिन उस बूढ़े आदमी की बात आज भी मुझे याद है रात के समय इस जंगल में शैतान घुमता है..
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मैं जो कहानी आपको बताने जा रहा हूँ ये मुझे मेरे एक अंकल ने बताई थी.. मेरे अंकल कनाडा के एक बहुत बड़े जंगल में रेंजर का काम करते हैं.. पिछले दो सालों से जब से कोरोना आया है तब से जंगल में घूमने आने वाले लोग कम तो हुए हैं लेकिन फिर भी उनको अपनी रूटीन ड्यूटी के लिए जंगल में पैट्रोलिंग के लिए जाना ही पड़ता है.. तो एक बार मेरे अंकल जंगल के बहुत अंदर के हिस्से में पैट्रोलिंग के लिए गए थे.. असल में जंगल घूमने आने वाले कुछ लोगों ने ये कंप्लेंट की थी की उन्होंने जंगल में कुछ अजीब से लोगों को घुमते देखा है.. जो जानवरों की खोड़िया पहने हुए थे.. साथ ही बता दूं की इन जंगलों में कुछ बहुत पुराने ट्राइब्स भी रहते हैं जहां लोग इस तरह की अजीब चीजें करते हैं.. मेरे अंकल बताते हैं की ये लोग वैसे तो शहर से आने वाले लोगों से दूर ही रहते हैं.. लेकिन कभी-कभी ये बहुत ख़तरनाक भी हो जाते हैं.. अंकल बताते हैं की उस दिन तीन घंटे जंगल में पैदल चलने के बाद वो उस जगह पहुँचे तो पहली नज़र में तो सब कुछ नॉर्मल लग रहा था.. लेकिन वहां से थोड़ा और आगे जाने पर उन्होंने नोटिस किया की वहां पेड़ों पर अजीब ही तरह के निशान बने थे.. जैसे की उनपे कुछ लिखा हो.. किसी अजीब सी भाषा में।
लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला जो की ख़तरनाक हो.. या जिससे किसी को कोई ख़तरा हो.. वो सर्दियों का टाइम था.. और इन घने जंगलों में अंधेरा बहुत जल्दी ही हो जाता है.. उस एरिया को चेक करते करते उनको शाम हो गई.. अंकल ने अपने बेस पर कॉल करके बताया की वो लोग वापस आ रहे हैं उनको कुछ भी सस्पीशस नहीं मिला। अब मेरे अंकल और उनके दोनों एक दूसरे से बातें करते आ रहे थे की एक जगह उनके साथी को टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस हुई तो थोड़ी सीड में टॉयलेट करने चले गए.. अंकल वहीं खड़े उनके आने का वेट कर रहे थे.. लेकिन करीब 15 मिनट बाद भी उनका साथी वापस नहीं आया तो अंकल उसको आवाजें लगाने लगे.. लेकिन तभी अंकल ने एक अजीब सी चीज नोटिस की.. पूरा जंगल बिल्कुल शांत हो चुका था.. यहां तक की हवा और पत्तों की आवाजें भी नहीं आ रही थी.. अंकल को लगा की कहीं उनका दोस्त उनके साथ प्रैंक तो नहीं कर रहा.. वो वैसे भी थोड़ा मजाकिया टाइप का था.. लेकिन ऐसा नहीं था.. और अंकल को ये समझते देर नहीं लगी की यहां पक्का कुछ गडबड है.. और तभी मेरे अंकल को अपने साइड से एक अजीब सी आवाज़ आती सुनाई दी.. अंकल ने ध्यान सुना तो वो उनके दोस्त की आवाज़ थी.. जॉन इधर आओ.. मुझे तुम्हारी ज़रूरत है.. अपने दोस्त की आवाज़ सुनके मेरे अंकल तेज़ी से उस तरफ़ जाने लगे जहां से वो आवाज़ आ रही थी। लेकिन करीब 20 कदम दूर जाने के बाद उन्होंने एक चीज नोटिस की.. वो उनके दोस्त की आवाज़ नहीं थी.. मेरा मतलब अगर कोई किसी मुसीबत में हो तो अपनी पूरी ताक़त से आवाज़ लगेगा.. और उसकी टोन भी अलग होगी.. लेकिन ये आवाज़ ऐसी थी जैसे कोई टेप रिकॉर्डर चल रहा हो.. मेरे अंकल के पास उनकी राइफल भी थी.. उन्होंने हाथ से अपनी राइफल टांग ली और टॉर्च लाइट के मदद से आगे बढ़ने लगे.. और फिर कुछ ही कदम चलने के बाद उनको वो दिखाई दिया.. सामने बड़े-बड़े पेड़ों के बीच बनी एक छोटी सी गुफ़ा के बाहर खड़ा था.. वो इतना लम्बा था की कोई इंसान तो हो ही नहीं सकता था.. न ही उसका कोई जेंडर था.. बिल्कुल पतला.. और सिर पर बड़े-बड़े सींग थे.. एक बार के लिए अंकल को लगा की ये शायद जंगल के किसी ट्राइब का कोई आदमी है जो किसी हीरन का सर अपने सर पर रख के घूम रहा है.. लेकिन ऐसा नहीं था.. वो कोई इंसान नहीं था.. उनका रोंगटा खड़ा हो गया.. और फिर वो अंकल की तरफ़ बढ़ने लगा.. अंकल उसपे चिलाए.. रुक जाओ.. नहीं तो गोली मार दूंगा.. लेकिन तभी वो शैतान उनके दोस्त की आवाज़ में उनसे बोला.. जॉन.. इधर आओ.. मुझे तुम्हारी ज़रूरत है..
अब मेरे अंकल को समझाते देर नहीं लगी की ये तो कुछ और ही बुरा है.. अंकल ने हवा में एक फायर की.. और अपनी पूरी ताक़त से वहाँ से भागने लगे.. अंकल बताते हैं की उनको पता ही नहीं था की वो किस तरफ़ भाग रहे हैं.. उन्हें अपनी दिशा का कोई अंदाज़ नहीं था.. लेकिन बहुत देर भागने के बाद जब उन्हें यकीन हो गया की वो शैतान अब उनके पीछे नहीं हैं.. वो एक जगह जाके रुक गए और पूरी रात वहीं बिताई.. फिर अगली सुबह वो अपने बेस पर वापस पहुँचे तो उनका दोस्त जॉन पहले से ही बेस पर मौजूद था.. सुने बताया के उसने अंकल को आवाजें लगाते सुना था.. लेकिन वो उनको ढूंढ नहीं पाया.. खुशकिस्मती से उस रात वो दोनों सही-सलामत बच गए थे.. मेरे अंकल को पूरा यकीन है की उस रात जिस शैतान को उन्होंने देखा था वो कोई और नहीं बल्कि एक वेंडिगो था..
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