हैदराबाद की चुड़ैल- 9 सच्ची डरावनी कहानियाँ

चुडैलों और भूत प्रेतों की 9 सच्ची कहानियाँ

मेरा नाम सुरैय्या फातिमा है। और मैं हैदराबाद की रहने वाली हूँ। ये काफी समय पहले की बात है। तब मेरे पापा दुबई में जॉब किया करते थे। हमने अत्तापुर में एक नया घर लिया था। मैं अपनी मम्मी और बहनों के साथ उस घर में रहने गई थी। उस घर में वो हमारी पहली ही रात थी। हम सब लोग रात में हॉल में सो रहे थे। रात के करीब 2.30 बजे अचानक मेरी आंख खुल गई। मैं पानी पीने बाथरूम जा रही थी। तभी अचानक मुझे बाथरूम में से कुछ अजीब सी आवाज सुनाई दी। बाथरूम का फ्लश अपने आप चल पड़ा। जबकि उस वक्त घर के सभी लोग सो रहे थे। मैं बहुत डर गई। और जल्दी से जाके मम्मी को उठाया। उस वक्त सबको वहां किसी और के भी होने का अहसास हो रहा था। लेकिन कुछ भी दिख नहीं रहा था। सब परेशान हो गए। अगले कई दिनों तक ऐसा ही चलता रहा। मेरा एक कजिन घर के पास ही रहता था। वो जब भी हमारे घर के पास से निकलता तो उसको लगता जैसे चूड़ियों और पायल की आवाज उसका पीछा कर रही हैं। वो भी बहुत डर जाता था। जब हम वह घर ले रहे थे। तो कई लोगों ने भी हमें वहां आने से मना किया था। लोग बताते थे कि कोई भी उस घर में 1-2 महीने से ज्यादा नहीं रह पाता। लेकिन हम लोगों ने इन सब बातों पर यकीन नहीं किया। और हमें वो घर भी इतना पसंद आ गया था। कि हमने वह ले लिया। लेकिन फिर धीरे-धीरे उस घर में होने वाली अजीब-अजीब चीजें बढ़ती चली गई। किसी भी वक्त कोई घर के दरवाजे पर मार-मार के भाग जाता। अपने आप घर की लाइट बुझ जाती थी। मुझे अपने घर के सामने के फ्लायओवर पर कोई कफ़न में लिपटा हुआ दिखाई देता। सब लोग बहुत डर गए थे। हमारे घर के सामने से भी कोई निकलना पसंद नहीं करता था। लेकिन ये सब तो अभी बस शुरुआत थी। फिर एक दिन हमने घर के पीछे की तरफ लगी झाड़ियां साफ करवा के वहां पिलर्स लगवाने के गड्ढे खुदवा दिए। लेकिन उस दिन से तो हमारा जीना हराम हो गया। रात में घर का दरवाजा किसी भी जोर-जोर से भड़भड़ाने लगता। लाइट अपने आप चली जाती। हमारे घर के सामने कुत्ते पूरी रात रोते रहते थे। घर के पीछे वाला रास्ता पर हमेशा पायल और चूड़ियों की आवाज सुनाई देती। हमारा रात में सोना भी मुश्किल हो गया था। हम डर के मारे रात में कुरान की आयातें चला देते थे। वो आयात चलाने से वो कुत्ते हमारे घर से कुछ दूर मतलब की करीब 40 कदम दूर जाके रोते थे। और वो पायल की आवाज भी आना बंद हो जाती थी। ये सब रोज का हो गया था। एक रात करीब 11 बजे। मैं खिड़की के साथ व काले सोफे पे बैठी हुई थी। उस वक्त खिड़की बंद थी। की तभी खिड़की जोर-जोर से बजने लगी। चूड़ियां पहने कोई हाथ खिड़की को जोर-जोर से बजा रहा था। मैं बहुत ज्यादा डर गई। वहां तेज हवाएं चलने लगी थी। जैसे की वो वहां आ गई हो। मैं उसी वक्त मम्मी के पास भाग के चली गई। मेरी हालत देख कर मम्मी को बहुत गुस्सा आया। मम्मी बाहर आई और एक हाथ में कुरान-ए-मजीद लेकर हमको पीछे करके गुस्से से चिल्लाई। बोली की अगर तुझमें हिम्मत है तो इसी वक्त मेरे सामने आ। बच्चों को क्या डराती है। फिर मम्मी ने कुरान को साइड में रखा और उसको गालियां देने लगी। बोली आज के बाद अगर तूने मेरे घर का रुख किया तो मैं तुझे चीर दूंगी। अगर आज के बाद तू मेरे घर आने वाले मेहमानों को डराया तो मैं तुझे नहीं छोड़ूंगी। तू मेरे घर से दस कोस दूर चली जा। मम्मी ने इतना कहते ही वहां जो तेज हवाएं चल रही थी। वो अचानक से बंद हो गई। वो शायद वहां से जा चुकी थी। फिर हम सब लोग सोने चले गए। लेकिन फिर रात के करीब 2.30 बजे। सोते सोते मम्मी को अपने सीने पर वजन महसूस होने लगा। वो नींद में ही चंटपटाने लगी। वो देखते ही हमने जल्दी से कुरान उठा के मम्मी के सीने पर रख दी। और तभी मम्मी नींद से जाग गई। मम्मी ने बताया की वो औरत बिलकुल काली थी। और वो नींद में उनके सीने पे आके बैठ गई। और बोली, “बता तू क्या कह रही थी।” और इतना कह कर वो मेरा गला दबाने लगी। अच्छा हुआ तुम लोगों ने मेरे सीने पर कुरान रख दी। नहीं तो वो नींद में ही मुझे मार दलती। किस तरह मम्मी की जान बच गई। उस रात के बाद हम लोगों ने वो घर छोड़ देने का फैसला कर लिया। कुछ दिन बाद जब हम वो घर खाली कर रहे तो वहां रहने वाली एक औरत ने बताया की काफी समय पहले उस गली में एक प्रेस करने वाली गरीब औरत रहती थी। वो वहीं बिल्डिंग में भी मजदूर का काम किया करती थी। एक बार उसको 5 आदमियों ने जबरदस्ती बिल्डिंग में ले जाके उसका रेप करके उसको बिल्डिंग के ऊपर से फेंक दिया। और तभी से उसकी आत्मा उस गली में रहती है और वहां के लोगों को तंग करती है। नए घर में आ जाने के बाद एकरात मुझे सपना आया की वो औरत हमारे पुरे घर में भटक रही है। उसका रंग बिल्कुल काला था। और उसने पायल और चूड़िया भी पहनी हुई थी। वो सच में बहुत डरावनी थी। उस दिन के बाद हमारा सामना उस औरत से फिर कभी नहीं हुआ।

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मैं जो कहानी बता रहा हूँ ये बिल्कुल सच है… और ये सब बिल्कुल मेरे घर के पास ही हुआ था। हमारे घर के पास एक प्राइमरी स्कूल हुआ करता था। वो स्कूल ज्यादा बड़ा तो नहीं था, लेकिन उस स्कूल के अंदर ही एक खाली ग्राउंड बना हुआ था। साथ ही उस स्कूल में एक घर भी था और उस स्कूल की प्रिंसिपल उसी स्कूल में रहती थी। वो प्रिंसिपल बहुत बूढी थी और वहां अपने कुछ नौकरों के साथ रखा करती थी। ये बात करीब 20 साल पहले की है। उन दिनों वो स्कूल बहुत अच्छा चला करता था, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद स्कूल की प्रिंसिपल की मौत हो गई। जिसके बाद वो स्कूल की प्रॉपर्टी पर काफी विवाद हो गया और कोर्ट केस चला। फिर साल 2012 में उस जमीन का केस सॉल्व हो गया और वो जमीन सरकार को दे दी गई। फिर कुछ दिनों बाद सरकार ने उस जमीन पर जॉइंट वेंचर में कई बिल्डर्स को सोसायटी बनाने का काम दिया। उनमें से एक बिल्डर मेरे भाई का बहुत अच्छा दोस्त था। स्कूल तोड़ दिया गया और वहां बने पार्क को भी खाली करवा दिया गया। लेकिन वहां काम करने वाले मजदूर बताते थे की वहां काम करते हुए उन्हें बहुत अजीब महसूस होता है। जैसे कोई उन्हें वहां वो सब करते हुए देख रहा है। कई मजदूरों ने बताया की उनको अपने चेहरे या हाथों पर किसी के गर्म सांसें भी महसूस होती हैं। बिल्डर को भी इस बारे में बताया गया। लेकिन उन्होंने ये सब इग्नोर कर दिया। फिर एक शाम स्कूल की बिल्डिंग तोड़ देने के बाद प्रिंसिपल के उस घर को तोड़ना शुरू किया गया। और वो घर तोड़वाने का काम मेरे भाई के दोस्त का था। उस दिन उन्होंने देर रात तक वहीं रुक के वो घर तोड़ने का फैसला किया, क्योंकि अगले दिन उन्हें फिर से काम आगे बढ़ाना था। लेकिन फिर उस रात उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसे वो लोग कभी नहीं भूल सकते। उन्होंने बताया की वो घर तोडते हुए उन्हें अजीब-अजीब सी आवाजें आ रही थीं। जैसे कोई दर्द में कराह रहा हो। वहां काम करते हुए सबको घुटन महसूस हो रही थी। घर तोडते हुए उस प्रिंसिपल का बेडरूम आ गया। लेकिन उस रूम में जाते ही दो मजदूरों को उल्टी होने लगी। वो दोनों बाहर की तरफ भागे। बाकी के लेबर्स अपना काम कर रहे थे। भाई का दोस्त भी वहीं था। तभी अचानक से वहां साइड में लगी लाइट के तार हिल गयी। लेकिन जैसे ही उन्होंने वो तार फिर से लगाई, उनके होश उड़ गए। उन्होंने देखा की उनके सामने एक बूढ़ी औरत खड़ी थी। उसका चेहरा पूरा बालों से ढका हुआ था। भाई के दोस्त ने उससे पूछा, “अम्मा आप यहाँ कैसे आ गई?” लेकिन वो औरत कुछ नहीं बोली। भाई ने फिर से गुस्से में पूछा, “कौन हैं आप? यहाँ क्यों आई हैं?” इतना बोलते ही वो औरत जोर से चिल्लाई, “मैं यहाँ रहती हूँ, ये मेरा घर है। तुम क्यों तोड़ रहे हो इसे?” भाई ने उसका चेहरा देखा, तो वो भी डर के मारे चीखने लगे। वो वहीं प्रिंसिपल थी जो मर चुकी थी। उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे जल गया हो। और उसकी आंखें बिल्कुल सफेद थीं। भाई ने उसी वक्त सबको कहा, “भागो यहाँ से!” और वो सब लोग भाग के वहां से बाहर चले गए। लेकिन वहां से भागते हुए उन्हें लग रहा था जैसे कोई उनके पीछे भाग रहा है। फिर अगले दिन सब बिल्डर्स ने मिलके उस औरत के भतीजों को बुलाया। तो पता चला की उन्होंने अभी तक उसका चरद्ध ही नहीं किया था। तो सब बिल्डर्स ने मिलके वहां पूजा करवाई और उस औरत का पिंड दान भी करवाया। आज उस जगह पर पूरी सोसायटी बन चुकी है। और वहां लोग भी रहते हैं। लेकिन आज भी उस जगह जाते हुए दम सा घुटने लगता है।

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मेरा नाम रोहन सिंह है। मैं जो कहानी आपको बताने जा रहा हूँ, ये दिल्ली के करावल नगर की है। ये कहानी छोटी सी है लेकिन सच है। ये सब मेरे दोस्त के साथ हुआ था और इसको मैंने और मेरे स्कूल के सभी लोगों ने देखा था। मेरे दोस्त का नाम मोहित है। तब हम दोनों इलेवेंथ क्लास में पढ़ा करते थे। हमारे स्कूल का नाम MRL सीनियर सेकेंडरी स्कूल है। एक दिन बातों-बातों में मेरे दोस्त ने मुझे बताया की मेरे ऊपर किसी चुड़ैल का साया है… उसने बोला की अगर मुझे स्कूल में कुछ हुआ तो मेरे घरवालों को फोन करवा देयो… फिर कुछ दिन बाद एक दिन स्कूल में हमारी मैडम पढ़ा रही थी। तभी अचानक मोहित ने मुझे बोला की जल्दी मेरे घर फोन करवा देयो… मैंने कहा क्यूं, क्या हुआ… तो वो बोला मेरी छाती भारी हो रही है… वो आ रही है… और ये बोलते ही वो अपना सिर सामने बेंच पे रख के बैठ गया। मैंने उसको उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो नहीं उठा। मैं उस वक्त बहुत डर गया। मैंने उसी वक्त हमारी मैडम को सारी बात बताई। तो मैडम ने उसी वक्त प्रिंसिपल को बुला लिया। प्रिंसिपल सर आए तो उन्होंने भी मोहित को उठाने की कोशिश की लेकिन वो हिल भी नहीं रहा था। और तभी वो बेंच के नीचे जाके छुप गया। और जोर-जोर से अपने दाँत पीसने लगा। सर ने उसको बेंच से नीचे खींचा तो उसने अपने पैर बेंच के नीचे लगी लोहे की रॉड में फंसा लिया… बहुत मुश्किल से किसी तरह 5 टीचर्स ने मिलकर उसको बाहर निकाला। 5 टीचर्स भी मुश्किल से उसको काबू कर पा रहे थे। मोहित जोर-जोर से किसी जानवर की तरह गर्रा रहा था। फिर वो अचानक अपनी छाती पर जोर-जोर से घूंसे मारने लगा। फिर टीचर्स उसको पास के हनुमान मंदिर में लेकर गये… जहाँ जाकर वो नॉर्मल हो गया। उस दिन यह होते हुए हम सब ने अपनी आंखों से देखा था।

मेरा नाम रुपेश है, और मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ। हमारे घर में मैं, मम्मी-पापा, मेरा छोटा भाई और मेरी नानी (यानी की मेरी मम्मी की मामी) रहते थे। हमारे पास मेरे मामा-मामी भी रहते हैं, उनके तीन बच्चे भी हैं। हमारा एक कुत्ता भी है। ये बात कुछ समय पहले की है… सब कुछ नॉर्मल चल रहा था, मेरी 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही थीं… मेरी मम्मी और उनकी मामी की आपस में नहीं बनती थी। एक दिन मेरी नानी, मतलब की मेरी मम्मी की मामी, सुबह-सुबह घर का काम कर रही थीं। तभी अचानक उनकी तबियत खराब हो गई। तो वो आराम करने के लिए लेट गईं। थोड़ी देर बाद जब उनके पति उनको देखने गए तो वो उठी ही नहीं रही थीं। मैं तब अपने रूम में ही था। मेरी मम्मी ने आकर बताया की नानी की तबियत खराब हो गई है। हम लोगों ने तभी एक ऑटो बुलाया और नानी को लेकर तुरंत हॉस्पिटल चले गए। अस्पताल वालों ने पहले तो उनको एडमिट करने से मना कर दिया लेकिन फिर उन्होंने हमें उन्हें दूसरे हॉस्पिटल में लेकर जाने को कहा। दूसरे हॉस्पिटल गए तो वहां डॉक्टर ने उनको चेक करके बताया की इंकी मौत हो चुकी है। ये सुनते ही हम सब सदमे में आ गए। क्योंकि सब एकदम से हो गया था। डॉक्टर ने बताया की उन्हें साइलेंट हार्ट अटैक आया था। फिर हम नानी की लाश को लेकर घर आ गए। और सब रिश्तेदारों को फोन करके बताया। फिर उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू की गई। घर में मतम पसरा हुआ था। लोग भी आते जा रहे थे। फिर कुछ देर बाद हम उनको लेके शमशान घाट निकल गए। तब तक अंधेरा भी होने लगा था। शमशान घाट में पहुँच के हमने उनका अंतिम संस्कार किया… और वहां से वापस आते आते हमें काफी रात हो गई थी… सारे मेहमान भी वापस जा चुके थे… हम सब भी रात में सोने के लिए लेट गए। मम्मी बाहर का दरवाज़ा बंद करने जा रही थी की तभी मम्मी को लगा की बाहर दरवाजे के पास कोई खड़ा है… मम्मी ने ठीक से देखने के लिए जैसे ही दरवाजे का पर्दा हटाया तो वो बहुत डर गई। मम्मी ने देखा की उनकी मामी जिनकी आज ही मौत हुई थी, वो वहां दरवाजे के पास खड़ी थीं। मम्मी वहां खड़ी जम्मी गईं। उनके मुंह से आवाज़ भी निकल पा रही थी। किसी तरह मम्मी ने दरवाजा बंद किया और अंदर आके पापा को बताया की मामी बाहर खड़ी हैं। लेकिन पापा को यकीन नहीं हुआ। फिर मम्मी ने भी ज्यादा कुछ नहीं बोला… थोड़ी देर बाद हम सब लोग सो गए… लेकिन रात में ही मम्मी की तबियत बहुत खराब हो गई। उनको बहुत ठंड लग रही थी। पापा ने जल्दी से मम्मी के पैर में तेल मालिश की जिससे उन्हें थोड़ा आराम मिला। उस वक्त हमारा कुत्ता भी रोए जा रहा था और बार-बार भोंक रहा था। कुछ देर बाद मम्मी थोड़ा शांत हुई और सो गई। अगली सुबह फिर हमने एक बाबा को घर में बुलाया… तो उसने बताया की इस घर में सच में एक आत्मा है। फिर उसने कुछ मंत्र पढ़े और घर के चारों तरफ कीलें ठोकी। इसके बाद सब ठीक हो गया। मम्मी को नानी की आत्मा फिर कभी दिखाई नहीं दी।

मेरा नाम रवि प्रकाश है। मैं मध्य प्रदेश के सतना का रहने वाला हूँ। यह कहानी जो मैं बता रहा हूँ, ये मेरी दादी के साथ हुआ था। जब ये हुआ था तब मेरी दादी 10-11 साल की थी। मेरी दादी के मामा का घर रीवा ज़िले में होता था। एक बार दादी अपने मामा के यहाँ गई हुई थी। एक दिन दादी अपने मामा के बच्चों के साथ खेतों में आम तोड़ने गई थी। उस दिन मौसम थोड़ा खराब सा था और तेज़ आंधी चल रही थी, लेकिन बच्चों को ऐसे मौसम में ही ज्यादा मज़ा आता है। तो दादी भी अपने भाई-बहनों के साथ मस्ती करती हुई खेत में आम तोड़ने पहुँच गई। मामा के खेत से आम तोड़ने के बाद उन लोगों ने सोचा की क्यूं ना साथी खेत से भी कुछ आम तोड़ लिए जाएँ। वो लोग दूसरे खेत में लगे पेड़ के पास पहुँच गए। लेकिन वो जैसे ही उस पेड़ के पास पहुँचे, अचानक उस जगह एक बहुत तेज़ बावंडर आ गया। उसके बाद क्या हुआ उन तीनों में से किसी को याद नहीं। वो तीनों वहीं बेहोश हो गई। जब दादी की आंख खुली तो वो अपने मामा के घर में थीं। उनके मामा ने बताया की खेत के पास खड़े कुछ लोगों ने उनकी चीखें सुनी थी। और जब वो लोग वहाँ पहुँचे तो उन्हें तुम तीनों रेत में लिपटे बेहोश पाए मिले। वहाँ के सभी लोग उनके मामा को जानते थे और उनके बच्चों को भी पहचानते थे। इसलिए वो उनको उठाकर सीधा उनके मामा के यहाँ ले आए। लेकिन फिर उसी रात मामा की लड़की की तबियत बहुत खराब हो गई। उनपर कोई ऊपरी हवा आ गई थी। तो मामाजी ने एक ओझा को अपने घर बुलाया। ओझा ने बताया की ये भूतनी खेत में से इनके पीछे आई है। उसके बाद उसने क्या किया ये तो दादी को नहीं पता, लेकिन फिर सब कुछ ठीक हो गया।

यह दूसरी कहानी जो मैं बता रहा हूँ, ये मेरे ताऊजी के साथ हुआ था। मेरे ताऊजी हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त हुआ करते थे। मेरे घर से करीब एक किलोमीटर दूर एक नदी पड़ती है। उस कोसी नदी पर एक नहीं बल्कि तीन-तीन पुल बने हैं। और कमाल की बात है की वो तीनों पुल उस नदी में आने वालों बालों की वजह से बनाए गए हैं। उन्हीं पुलों के पार हनुमान जी का एक बहुत बड़ा मंदिर है। मेरे ताऊजी हर शाम उसी मंदिर में पूजा करने के लिए उस मंदिर में जाया करते थे। क्योंकि नौकरी की वजह से उन्हें सुबह टाइम नहीं लगता था। तो एक बार की बात है ताऊजी रात के 11 बजे लालटेन लेकर जब मंदिर में पूजा करके वापस लौट रहे थे तो उन्हें ऐसा लगा जैसे कोई उनके पीछे है। लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ देर बाद वो घर पहुँच गए। और दरवाजा खटखटाया। दादी ने दरवाजा खोला तो देखा की ताऊजी के पीछे कुछ दूर एक औरत खड़ी थी लेकिन वो हमारे घर के अंदर आ सकती थी क्योंकि हमारे घर में भगवान का वास है। दादी ने उसी वक्त घर का दरवाजा बंद कर लिया। उस दिन के बाद से ताऊजी को वो औरत फिर कभी नहीं दिखाई दी।

मेरा नाम सूरज है। मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। यह बात 3 साल पहले की है, तब मैं 19 साल का था। उन दिनों मैं पार्ट टाइम जॉब भी करता था जो शाम 5 बजे से रात 11 बजे तक होती थी। मेरे साथ मेरे दो दोस्त भी थे, अमन और शोएब। एक दिन रात में हमें जॉब से वापस आते हुए देर हो गई। क्योंकि उस दिन हमारी कंपनी की कैब नहीं आई थी, इसलिए हम तीनों पैदल ही आ रहे थे। हम लोग जिस रास्ते से आ रहे थे उस रास्ते में एक कब्रिस्तान पड़ता था, जो की बहुत दिनों से बंद पड़ा था। मैं उस रास्ते से नहीं जाना चाहता था लेकिन अमन और शोएब ने मुझे फोर्स किया तो मैं वहां से आने को तैयार हो गया। हम चलते चलते आ रहे थे। रास्ते पर लगी स्ट्रीट लाइट्स से हम तीनों की परछाइयाँ बहुत लम्बी नजर आ रही थी। मैंने मजाक-मजाक में अपने दोस्तों से कहा की देखो मैं तुमसे लंबा हो गया हूँ। हम लोग मस्ती करते हुए वहां से आ ही रहे थे। कुछ देर बाद हमने देखा की वहां तीन नहीं, पांच परछाइयाँ चल रही थी। मुझे लगा शायद कोई हमारे पीछे चल रहा है। लेकिन जब मैंने पीछे मुड़ के देखा तो वहां कोई नहीं था। मैंने अपने दोस्तों की तरफ देखा तो देखा की वो दोनों पहले ही डर से कांप रहे थे। और तभी हम तीनों बिना कुछ बोले वहां से भागने लगे। भागते भागते हम मुख्य रोड तक पहुंच गए। लेकिन तभी हमने ध्यान दिया की शोएब तो पीछे ही रह गया है। हम दोनों बहुत डरे हुए थे। लेकिन हमने फैसला किया की हम उसको लेकर आएंगे। हमने लंबी सांस ली और उसको लेने के लिए पीछे चले गए। लेकिन तब हमने जो देखा, वो देख के हमारी आँखें फटी की फटी रह गई। हमने देखा की शोएब वहां बेहोश पड़ा था और दो बुढ़ी औरतें, जिनके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, वो शोएब के पास खड़ी थीं। उनमें से एक औरत के पूरे शरीर पर तांके लगे हुए थे। उसने हमारी तरफ देखा और टोटली आवाज़ में बोली, “मेरा सिर ठीक से क्यों नहीं जलाया?” और बोलते ही उसने मुझे एक थप्पड़ मारा। हम दोनों भी वहीं बेहोश हो गए। सुबह जब हमें होश आया तो देखा की हम तीनों पुलिस स्टेशन में थे। पुलिस वाले ने हमसे कहा की इतनी पीटाई क्यों हुई जब होश नहीं रहता। पुलिस को देख के मैं तो बहुत खुश हो गया। हमने उनकी सारी बातें बताई। तो एक पुलिस वाला हमारे साथ उसी जगह पर गया, वहां पहुँचे तो हमें देख के वहां कई लोग इकट्ठा हो गए। तो बातों बातों में एक आदमी बताया की कल एक औरत को पास के शमशान घाट में जलाया गया था, लेकिन उसका सिर ठीक से नहींजला। इसलिए आज उसे फिर से जलाया जाएगा। तब जाके पुलिस वाले को हमारी बात पर यकीन हुआ। फिर हम लोग अपने-अपने घर आ गए। और उस रास्ते से फिर कभी न आने की कसम खा ली।

मेरा नाम विजय सिरिया है। मैं महाराष्ट्र के नागपुर का रहने वाला हूँ। मैं जो घटना आपको बताने जा रहा हूँ वो उतनी डरावनी तो नहीं है लेकिन यह बिलकुल सच्ची है। यह बात उन दिनों की है जब मैं बहुत छोटा था। हमारा घर दो मंजिल का था। नीचे वाले फ्लोर पर मैं और मेरे मम्मी-पापा रहते थे। और ऊपर वाले फ्लोर पर हमारे नए किरायेदार रहते थे। उनकी नई-नई शादी हुई थी। मम्मी बताती थी की वो किरायेदार बहुत अच्छे थे और हम लोगों का उनसे अच्छा रिश्ता बन गया था। लेकिन फिर धीरे-धीरे वो आदमी घर में शराब पीकर आने लगा। दोनों मिया-बीवी में रोज झगड़े होने लगे। कभी-कभी मार-पीट की नौबत आ जाती थी। हम लोग भी उनके रोज-रोज के झगड़ों से बहुत परेशान हो गए थे। इसलिए एक दिन मम्मी ने उनको घर खाली करने के बोल ही दिया। फिर एक दिन मेरे मम्मी-पापा मेरी नानी के घर गए हुए थे। हमारे पीछे से उन दोनों में झगड़ा बहुत बढ़ गया। और उस आदमी ने अपनी वाइफ की बहुत पिटाई कर दी। इस बात से गुस्से में आकर उसकी वाइफ ने अपने आप को आग लगा ली। उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद कुछ दिनों तक तो घर में सब कुछ ठीक रहा। लेकिन फिर करीब 6 महीने बाद घर में अजीब-अजीब चीजें होने लगीं। जैसे की रात में किसी के सीढ़ियों पर चलने की आवाज़ आती, किसी के कुछ बात करने की आवाज़ आती। सुबह घर में खिले गुलाब के फूल शाम तक मुरझा जाते थे। लेकिन ये सब तब होता था जब मेरे पापा घर में नहीं होते थे। मेरे पापा रेलवे में नौकरी किया करते थे और हर 15 दिन में उनकी शिफ्ट चेंज हो जाती थी। एक रात पापा नाइट शिफ्ट में गए हुए थे। रात में मम्मी ने मुझे पालने में सुलाया हुआ था। अचानक सोते हुए रोने की मम्मी को मेरी रोने की आवाज़ सुनाई दी। मम्मी ने उठ के देखा तो मैं पालने में था ही नहीं। मम्मी बहुत घबरा गई। क्योंकि उन्होंने तो मुझे पालने में ही लेटाया था। लेकिन मेरे रोने की आवाज़ ऊपर वाले कमरे से आ रही थी। लेकिन ये कैसे हो सकता था। क्योंकि उस रूम में ताला लगा हुआ था। मम्मी ने ऊपर जा के देखा तो देखा की मैं ऊपर वाले कमरे के सामने ही पड़ा था। मम्मी बहुत डर गई। और सुबह पापा के आते ही मम्मी ने सारी बातें पापा को बताई। तो पापा ने पास में ही रहने वाले एक पंडित को घर में बुलवाया और उनसे घर की शांति करवाई। पंडित जी ने बताया की वो एक अच्छी आत्मा है और आपको कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी। बस उसको आपका बेटा बहुत पसंद आ गया था। और इसी वजह से वो यहाँ पर रुक गई थी। उस दिन से आजतक हमारे घर में कुछ भी गलत नहीं हुआ।

मेरा नाम दीपक है। मैं राजस्थान के पाली जिले के जवाई गाँव का रहने वाला हूँ। हम जिस घर में रहते हैं वो काफी बड़ा है। और हमारे घर में अजीब-अजीब चीजें हमेशा से ही होती रहती हैं। हमने ये घर किसी और से खरीदा था। जहाँ हमारा हॉल है वहाँ पहले किचन हुआ करता था। और उस किचन में पहले रहने वाली एक औरत जलकर मारी थी। जब हम उस घर में आए तो हमें शुरू से ही उस घर में किसी के होने का एहसास होता था। रात में वो किसी को भी सोने नहीं देती थी। सिवाये मेरे दादा-दादी के। अगर कोई सो जाता तो वो उसकी छाती पर आकर बैठ जाती और चांटा मारती। दिन में भी यही सब होता था। परेशान होकर हमने कुछ ही दिनों में उस घर को खाली कर दिया। अब वहाँ सिर्फ मेरे दादा-दादी ही रहते थे।
एक बार गर्मियों की छुट्टियों में हम सब लोग उस घर में आए थे। मेरी बुआ और उनके बच्चे भी आए हुए थे। हम सब एक कमरे में बैठे बातें कर ही रहे थे। कि अचानक मेरी बुआ की लड़की जो तब 14 साल की थी, अचानक से रोने लगी। हमने उसे पूछा, “क्या हुआ? रो क्यों रही हो?” तो वो बोली की मैंने अपना रोना कंट्रोल नहीं कर पा रही हूँ। वो रोते ही जा रही थी। रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। और तभी अचानक रोते-रोते वो एक कोने की तरफ इशारा करते हुए बोली – “की उस कोने में एक औरत खड़ी है। वो मुझे मार डालेगी।” हम सब लोग उस वक्त वहीं थे। लेकिन हमें कोई नजर नहीं आ रहा था। इसी बीच मेरी बुआ जो की बाहर गई हुई थी, वो भी आ गई। बुआ ने बताया की उनका मन बेचैन हो रहा था, जैसे की कुछ बहुत गलत होने वाला हो। इसलिए वो घर वापस आ गई। घर आकर उन्होंने देखा की उनकी बेटी तो रोते जा रही थी। फिर हम रात में ही उसको हमारे गाँव के एक बाबा के पास लेकर गए। उन्होंने उसके गले पर बाबूत लगाई और कुछ मंत्र पढ़े। फिर उन्होंने बताया की तुम्हारे घर में एक भूतनी है। और वो उस घर में तुम्हारे आने से पहले से है। तुमने उसके घर के ऊपर अपना घर बनाया है। वो उस जगह जलकर मारी थी। फिर उसके अगले दिन ही मेरी बुआ अपने बच्चों के साथ वापस अहमदाबाद अपने घर चली गई।
कुछ दिन बाद मेरी बुआ की लड़की के पेपर थे। तो उसको एग्जाम हॉल में पेपर देते हुए भी वही औरत दिखाई देने लगी। वो उसके पीछे वहाँ तक पहुँच गई थी। वो घर में किसी भी टाइम अचानक बिना किसी बात के रोना शुरू कर देती। वो बोलती की वो औरत कोने में बैठ के मुझे बुलाती है। कहती है की मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी। फिर बहुत जगह घूमने के बाद एक बाबा ने उसको
ठीक कर दिया। वो आज बिल्कुल ठीक है। लेकिन जवाई वाला हमारा घर आज भी भूतिया है। उस घर में अब सिर्फ मेरे दादा-दादी ही रहते हैं। वो मेरे दादा को तो कुछ नहीं कहती, लेकिन दादी को कई बार धक्का दे चुकी है। हम बहुत सारे बाबाओं के पास भी गए। लेकिन कोई कुछ नहीं कर पाया। सब कहते हैं की वो अपने टाइम पर ही वहाँ से जाएगी। अगर पहले गई तो एक जान ले के जाएगी। मेरी बहन की शादी उसी घर में हुई थी। उसकी शादी के एक दिन पहले वो मेरी बहन के सपने में आई और बोली की मैं भी तेरे साथ फेरे लूंगी। और तेरे साथ तेरे ससुराल जाऊंगी। सपना देख कर मेरी बहन बहुत डर गई। उसने ये बात सब को बताई। तो हम गाँव के बाबा के पास गए… तो उन्होंने उसको एक धागा बांधने को दिया। और तब जाकर उसकी शादी ठीक ठाक हो पाई।

आज भी जब कभी हम भाई-बहन उस घर में जाते हैं तो दादी रात में हमारी खाट के चारों तरफ गेहूं डाल देती है। क्योंकि बताते हैं की कोई भी भूत या चुड़ैल अनाज के पास नहीं आते हैं। वो घर बहुत ही भूतिया है, अच्छा हुआ हम उस घर से निकल गए। ये उसी घर का वीडियो है।.

यह बात तब की है जब मैंने 10वीं कक्षा पास की थी। मुझे बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद है। और उन दिनों मैं हर रोज बैडमिंटन खेलने जाया करती थी। एक रोज के दौरान जब मैं बैडमिंटन खेलते हुए थी, तो मैंने देखा की एक औरत बहुत देर से खड़ी मेरी तरफ देख रही थी। फिर कुछ देर बाद उस औरत ने मुझे अपनी ओर बुलाया। मैं उसके पास गई तो वो बोली की “तू बहुत सुंदर दिखती है, इसलिए एक लड़का तुझे बहुत पसंद करता है।”
उसकी बात सुनते ही मैंने कहा, “अच्छा, कौन है वो लड़का?” उसने कहा की “तू उसे नहीं जानती है। लेकिन वो तुझे रोज उस चाय की कैंटीन से देखता है जब तू यहां बैडमिंटन खेलने आती है।”
उसकी इस बात से मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और वापस खेल में लग गई। साथ ही मैं बता दूं की मेरे घर से मार्केट जाते हुए वो कैंटीन रास्ते में ही पड़ती थी।
फिर कई दिन बाद एक दिन सुबह-सुबह मैं मार्केट से दूध लेने जा रही थी। तभी उस औरत ने मुझे आवाज लगाई। वो उसी कैंटीन के बाहर खड़ी थी। उस वक्त उस औरत से बात हुई कई दिनों से थी और मैं उस बात पर उस दिन ध्यान नहीं दिया था, इसलिए मैंने भी उस कैंटीन के पास चली गई। मैंने उससे पूछा, “क्या हुआ आंटी, क्या काम है आपको?”
तो वो बोली, “तू कहां जा रही है? उस वक्त उस औरत से मेरी बात हुई काफी दिन हो गए थे और मैं उस दिन ध्यान ही नहीं दिया था इसलिए मैं भी उस कैंटीन के पास चली गई। मैं उसको पूछा की क्या हुआ आंटी आपको मुझे क्या काम है तो उसने मुझे पूछा की तू कहा जा रही है मैं उसे बताया की मैं दुध लेने मार्केट जा रही हूँ तो उसने मुझे बोला की तू कैंटीन के अंदर आ जा मुझे भी कुछ सामान लाना था तू मार्केट जा रही है तो तू मेरा सामान भी लेते आना वहां से आंटी क्या लाना है ये बोलते हुए मैं उस कैंटीन में चली गई वह कैंटीन बड़ी थी और वहां पर चाय पीने के लिए कुछ टेबल रखे हुए थे तो वह बोली तू बैठ जा मैं पैसे ले कर आती हूँ उस वक्त उस कैंटीन के अंदर एक और आदमी था जो कि बहुत ही डरावना लग रहा था उस आदमी को देख कर लग रहा था कि उस आदमी की उम्र लगभग 35 से 40 के आस पास ही होगी उस औरत ने बोली तुझे बात बता रही थी ना ये वही लड़का है और यही इसी कैंटीन में सफाई का काम करता है ये तुझे बहुत प्यार करता है बस तू एक बार इस लड़के की बात मान जा ये लड़का तुझे सब कुछ लाकर देगा तुझे पैसे देगा तुझे कपड़े देगा तुझे खाने की चीजें लाकर देगा तुझे घूमने भी लेकर जाएगा और तुझे एक नया मोबाइल भी लाकर देगा पहले तो मैंने उस आदमी पर बिल्कुल ध्यान ही नहीं दिया पर जब उस औरत ने ये सारी बातें बताई तो मैंने उसकी तरफ देखा और जैसे ही मैं उसकी तरफ देखा उस औरत ने बहुत ही जल्दी में उस आदमी से बोला कि मैं शतर गिरा रही हूँ तू और यही कही हूँ यहां किसी को आने दुँगी तू किसी सेक्स करना चाहता होगा ना तो जल्दी से कर ले तब तक मैं यहां पहरा दे रही हूं यह सुनते ही मेरे दिमाग में तो एक दम से काम करना ही बंद कर दिया था मेरी ऊरी बॉडी ढीली पड़ गई दर के कारण और मैं वही खड़े खड़े कांप रही थी न मैं चिला पा रही थी और न ही मैं हिल पा रही थी मेरे पैर तो एक दम से वही जम गए लाइफ में पहली बार मुझे ऐसा फील हो रहा था कि मेरे पैरों से जमीन निकल रही है और मैं बस अभी ही गिरने वाली हूं मैं रो भी नहीं पा रही थी एक तो आउडर वो आदमी खड़ा था और बाहर वो औरत खड़ी थी ताकि मैं भाग न सकूं वह आदमी मेरे पास आया और उसने मेरा हाथ बहुत ही टाइट पकड़ लिया और वो औरा ने तो आधा शतर ही गिरा दी थी पर इसके पहले की वो पुरा शतर गिराती मुझे तभी एक आइडिया आया मैं तुरंत उस आदमी के हाथो को अपने दांतो से काट लिया जिस हाथ से उसने मुझे पकड़ा था और जैसे ही उसने दर्द से मेरा हाथ छोड़ा मैं उसे ज़ोर से धक्का दिया और वह उन टेबल्स पर गिर पड़ा कायके कारण उस वो टेबल भी लग गया और उसका सारा ध्यान उस दर्द पर चला गया और मैंने उस आधे खुले शतर से निकल कर बाहर आ गई और वहां से भाग गई|

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