सांपो का वंश – खौफ्फ्नाक डरावनी कहानिया

हे दोस्तों.. हिंदी हॉरर स्टोरीज़ यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है.. और अब वक्त है डरने का.. और मैं हूं आपका होस्ट प्रवीण.. आज फिर से हाजिर हूं आपको भूतों और शैतानों की खौफनाक दुनिया में ले जाने के लिए .. दोस्तों आज के एपिसोड में मैं आपके लिए लेकर आया हूं सर्च एंड रिस्क्यू और जंगलों से जुड़ी कुछ बहुत ही मजेदार डरावनी कहानियां.. ऐसी कहानियां जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी.. अगर आप मेरे चैनल पर नए हैं तो जल्दी से मेरे चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए.. मेरे चैनल पर आपको भूत प्रेत, जिन्न, चुड़ैल से लेकर दुनिया भर के हर एक अर्बन लेजेंड्स की मजेदार रियल हॉरर स्टोरीज सुनने को मिलेंगी.. तो खुद भी सुनिए और दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए.. और डरीये प्रवीण के साथ..

अपनी कहानी की शुरुआत करने से पहले मैं आपको बता दूं कि मैं एक साइंटिस्ट हूं.. स्पेसिफिकली बताऊं तो मैं एक बायोलॉजिस्ट हूं.. मैं कभी भी किसी चीज़ को यूं नहीं मान लेता.. मेरा मानना था कि इस दुनिया में हर एक चीज़, हर एक प्रोसेस के पीछे एक साइंटिफिक प्रिंसिपल है.. मैं हर एक चीज़ को साइंटिफिक नज़रिए से ही देखता था.. लेकिन फिर एक दिन ये सब कुछ बदल गया… ये साल 1996 की गर्मियों की बात है.. मैं अमेरिका के ओक्लाहोमा नेशनल पार्क नाम के जंगल में अपनी रिसर्च कर रहा था.. आपको बता दूं कि ये राज्य ऐसा है कि यहां नेटीव अमेरिकन लोगों के बहुत सारे कबीले हैं.. ये लोग जंगलों में ही अपने ट्राइब्स में रहते हैं.. हालांकि अब इन इलाकों में अच्छा डेवेलपमेंट हो चुका है और इनके ज्यादा तर जवान लोग बाहर पढ़ाई करने और काम के लिए जाने लगे हैं.. लेकिन अभी भी जंगलों में इनकी अच्छी खासी जनसंख्या मौजूद है..

जब मैं जंगल में रिसर्च के लिए गया तो इन ट्राइब्स के साथ भी मेरा काफी मिलना-जुलना होता रहता था.. तो एक बार मुझे यहां एक स्नेक क्लान के बारे में पता चला.. स्नेक क्लान मतलब सांपों का वंश.. तो मुझे एक किस्से के बारे में पता चला जो इन ट्राइब्स में बहुत फेमस था.. बताते हैं कि बहुत साल पहले, मतलब 100-200 साल पहले एक बार इस जंगल में भुखमरी पड़ गई थी.. तो इस कबीले के ही कुछ लड़के खाने की तलाश में दूर पहाड़ों पर चले गए.. ये जो लड़के गए थे.. ये दो ग्रुप में गए थे.. एक ग्रुप तो ऊपर पहाड़ियों पर गया था.. जबकि दूसरा ग्रुप जिसमें सिर्फ 2 लड़के थे वो नीचे एक ऐसे इलाके में गए थे जहां कोई नहीं जाता था.. वो इलाका बहुत खतरनाक था.. क्योंकि वहां जगह-जगह बहुत सारे दलदल और पानी भरा रहता था.. सिर्फ इतना ही नहीं, उस इलाके के बारे में कबीले के लोग मानते थे कि वहां किसी भी इंसान का जाना मना है.. ऐसा क्यों था ये कोई नहीं जानता था.. लेकिन जब वो दो लड़के उस इलाके में जाने लगे, तो कबीले के लोगों ने उनसे बहुत मना किया कि वहां ना जाएं, लेकिन वो नहीं माने.. कुछ दिन बाद उनमें से एक लड़का तो वापस आ गया लेकिन दूसरा लड़का वापस नहीं आया.. और ये एक लड़का जो वापस आया था ये भी बदल चुका था.. लोग बताते थे कि वो लड़का सांप बन गया था.. हर रात अंधेरा होने के बाद वो सांप के रूप में बदल जाता और फिर एक रात वो भी हमेशा के लिए गायब हो गया.. लोग बताते थे कि वो हमेशा के लिए सांपों के कबीले में चला गया था जो उस घाटी में रहते थे.. जब मैंने ये सब बातें उन लोगों के मुंह से सुनीं तो मुझे हंसी तो नहीं आई.. बस एक अजीब सी खुशी हुई.. ये सोच के कि ये कितने भोले लोग हैं, जो आज भी इस जमाने में इस तरह की बातें करते हैं.. सांपों की दुनिया.. इंसान का सांप बन जाना.. क्या बकवास है.. लेकिन मैं उन लोगों से इस बारे में बहस नहीं करता था.. बस उनकी बातें सुनता था और जंगल में पाए जाने वाले पेड़-पौधों और लाइफफॉर्म्स के ऊपर अपनी रिसर्च करता था। इन लोगों का मानना था कि अगर बारिश के समय जब सांप बाहर निकलते हैं, उस वक्त अगर आप किसी सांप को मार देते हैं तो ये बहुत बुरा माना जाता है.. ऐसा करने वाले के घर पर बिजली गिरती है और उसका नाश हो जाता है.. इसी तरह की उत्पाती चीजें वो लोग मानते थे।

अब मुझे उस इलाके में रहते हुए 3-4 हफ्ते ही हुए थे कि मुझे एक और चीज़ पता चली.. जंगल में उन ट्राइबल लोगों के अलावा एक परिवार और रहता था.. थॉमस फैमिली.. लोग उन्हें इसी नाम से जानते थे.. ये ट्राइबल लोग नहीं थे और उस इलाके की बहुत बड़ी ज़मीन के मालिक थे.. पैसे वाले, रसूखदार जमींदार.. इलाके के बड़े-बड़े पॉलिटिशियंस से उनके कॉन्टेक्ट थे.. इसलिए पुलिसवाले भी उन पर हाथ डालने से डरते थे।

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जैसे कि मैंने बताया कि वो इलाका ट्राइबल लोगों का था.. वहां ट्राइबल लोगों की बहुत बड़ी जनसंख्या थी.. लेकिन ये थॉमस फैमिली इन ट्राइबल लोगों से नफरत करती थी.. ये ट्राइबल लोगों को छोटी नजर से देखते थे.. उनके रीति-रिवाजों का मजाक उड़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे.. लोग बताते थे कि थॉमस फैमिली ने बहुत से ट्राइबर्स को जान से भी मारा था.. इनकी फैमिली हिस्ट्री में भी ये लोग गुलामों को खरीदने बेचने का काम करते थे.. मतलब कि ये लोग बहुत ही जालिम किस्म के लोग थे.. और रसूख ऐसा था कि कोई इन पर हाथ नहीं डाल सकता था..

रिसर्च के दौरान हमारी टीम को भी साफ बताया गया था कि इन लोगों से दूर रहना है.. हालांकि मैं खुद एक श्वेत हूं, और ये थॉमस फैमिली भी श्वेत थी.. लेकिन फिर भी इन लोगों से दूरी बनाए रखना ही बेहतर था.. ऐसा हमें बता दिया गया था.. उनके पास बहुत सारी ऑटोमैटिक गन्स थीं, और कितने ट्राइबर्स इनकी ज़मीन के आसपास गायब हो चुके थे.. सब जानते थे कि वो ट्रिबल्स से नफरत करते हैं, लेकिन फिर भी कोई कुछ नहीं कर सकता था।

आज मैं इस बारे में सोचता हूं तो लगता है कि शायद उस ज़मीन में ही कुछ ऐसा था जिसने उन लोगों को इतना जालिम बना दिया था.. कुछ ऐसा इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। लेकिन मुझे इस सबसे क्या मतलब था.. मुझे तो बस कुछ महीने वहां रुक कर अपनी रिसर्च पूरी करके वहां से चले जाना था.. लेकिन इसके बाद जो हुआ, वो मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था। बारिश का मौसम शुरू हो चुका था, जिसकी वजह से जंगल में आद्रता बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। ऊपर से जंगल के मोटे-मोटे मच्छर हर समय आपका खून चूसने के लिए तैयार रहते थे। कितनी भी मच्छर रोधी स्प्रे लगाओ, पसीने के साथ सब बह जाता था। खैर.. तो ऐसे ही एक दिन की बात है.. मैं और मेरा एक पार्टनर पास के ही एक दलदली इलाके में वहां पाए जाने वाले छोटे जीव-जंतुओं पर अपनी रिसर्च कर रहे थे। तभी मेरे पार्टनर ने कहा.. “वू.. तुमने वो देखा क्या?” मैंने पूछा क्या.. क्या देखा? यहां मैं आपको बता दूं कि यहां से पहले भी हम बहुत से जंगलों में अपनी रिसर्च के लिए जाते रहते थे। और हमेशा हर जंगल में हमें सांप जरूर दिखाई देते थे। सांप का मिलना इतना सामान्य था कि रिसर्च के दौरान किसी भी पत्थर को हटाते हुए मुझे सांपो से सबसे ज्यादा डर लगता था। इन्फेक्ट, कितनी बार सांपों के काटने की वजह से अस्पताल भी जाना पड़ा था। लेकिन इस जंगल में पिछले इतने दिनों में हमें एक भी सांप नहीं दिखा था… ज़हरीले सांप, पानी वाले सांप.. कुछ भी नहीं.. एक सांप तक नहीं दिखा। जो कि बहुत अजीब बात थी। लेकिन इससे पहले हमारा इस बात पर ध्यान ही नहीं गया था।

“वो देखो.. सांप..” मेरे पार्टनर ने कहा। सामने झाड़ियों में एक बहुत ही लंबा सा सांप जाता हुआ दिखाई दिया। और ठीक उसी वक्त… आसमान में तेज गरज के साथ बिजली चमकी। जिसका मतलब था तेज तूफान आने वाला है। जंगल में बारिश और तूफान का आना सामान्य बात थी, लेकिन उस दिन तूफान की रफ्तार अलग थी। भयंकर मूसलधार बारिश, बहुत ही तेज तूफान.. ऐसा लग रहा था जैसे सामान्य तूफान 10 गुना गुस्से के साथ उस दिन जंगल में आया था।

हम दोनों जल्दी से अपनी जीप में जाकर बैठ गए। ये सोच के कि शायद कुछ देर में तूफान सामान्य हो जाएगा। लेकिन तूफान तो जैसे बढ़ता ही जा रहा था। ऊपर से वो खाई वाला इलाका था और ऐसी बारिश में वहां ज्यादा देर रुकना खतरनाक था। हमने फैसला किया कि यहां से निकलकर ऊपर थोड़े सपाट इलाके में जाकर रुकते हैं। हमने जीप स्टार्ट की और उस दलदली इलाके से निकलकर ऊपर सपाट इलाके में पहुंच गए। वो जगह तूफान से सुरक्षित तो थी, लेकिन समस्या ये थी कि ये इलाका उस थॉमस फैमिली का इलाका था। मैंने अपने पार्टनर से कहा कि यहां रुकना ठीक नहीं है.. उन सिरफिरे लोगों का कोई भरोसा नहीं कब, कहाँ से हमारे ऊपर मशीन गन चला दें। मेरे पार्टनर ने कहा कि डरने की कोई बात नहीं है.. हमारी जीप पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के इतने सारे लोग बने थे। देखकर ही पता चल रहा था कि ये एक सरकारी जीप है। लेकिन मैंने उससे समझाया कि वो विद्रोही लोग हैं और ऊपर से मौसम भी इतना खराब है। क्यों न हम वापस अपने बेस पर चलें और अगले दिन मौसम ठीक होने के बाद यहां आ जाएं। उसने मेरी बात मान ली। आखिरकार वो भी उन लोगों के बारे में अच्छे से जानता था।

शाम करीब 3:30 बजे का समय होगा.. लेकिन बाहर बिल्कुल अंधेरा छा चुका था। ना जाने क्यों.. ये सब कुछ बिल्कुल भी सामान्य नहीं लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे आज दुनिया खत्म हो जाएगी। मैंने जीप स्टार्ट करके वाइपर ऑन किया। बारिश की तेज बूंदें विंडशील्ड पर गिर रही थीं। सामने घास और झाड़ियों में बारिश का पानी दिखाई दे रहा था। जैसे पानी रेंगता हुआ वहां से निकल रहा हो.. बहुत अजीब था.. लेकिन मैं बस कैजुअली बिना ज्यादा ध्यान दिए देख रहा था। और तभी मैंने वो नोटिस किया। पहले मुझे बस एक दिखाई दिया.. फिर 2.. फिर तीन.. और फिर.. फिर तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। वो सांप थे.. बहुत सारे सांप.. बहुत-बहुत ही सारे सांप.. लाखों-करोड़ों सांप.. चारों तरफ.. जैसे दुनिया के सब के सब सांप जमीन से निकलकर वहां आ गए हों। और वो सब सांप रेंगते हुए एक ही दिशा में जा रहे थे.. थॉमस फैमिली की आलिशान हवेली की तरफ..

“रॉन,” मेरा सीनियर पार्टनर बोला, “पक्का ज्यादा बारिश होने की वजह से ये सब सांप अपने बिलों से निकल के बाहर जा रहे हैं…” लेकिन हम दोनों जानते थे कि जो कुछ हमारी आंखों के सामने हो रहा था वो बिल्कुल भी सामान्य नहीं था। हम दोनों साइंटिस्ट थे… हमने एक दूसरे से कुछ भी नहीं बोला और वहां से चले गए। इसके बाद अगले 3-4 दिन सामान्य बीते। हम उस दिन की घटना के बारे में भूले तो नहीं थे, लेकिन हमने इस बारे में फिर बात भी नहीं की।

अब ये हमारे उस जंगल से जाने से एक दिन पहले की बात है जब उस इलाके का लोकल पुलिस चीफ हमारे पास आया। असल में वो वहां एक मामले की जांच करने आया था.. और जब हमें उस मामले के बारे में पता चला तो हमें तो यकीन ही नहीं हुआ। उसने बताया कि थॉमस फैमिली का परिवार.. जिसमें करीब 20-22 लोग थे.. उनमें से सिर्फ 1 को छोड़कर बाकी सब गायब हो गए थे। जो एक मिला था वो थॉमस फैमिली का मुखिया था। उसकी लाश बरामद हुई थी.. बिलकुल काली पड़ी लाश, पूरे शरीर पर हजारों छाले थे.. जैसे जलने से होते हैं.. लेकिन वो जलने के निशान नहीं थे। पोस्टमॉर्टम में पता चला कि उसके शरीर पर सैकड़ों हजारों सांप के काटने के निशान थे। उसकी बॉडी सांप के जहर से बिलकुल काली pad चुकी थी। असल में हुआ यूं था कि थॉमस फैमिली के दूर के किसी रिश्तेदार ने पुलिस से उनके यहां जाकर चेक करने के लिए कहा था… क्योंकि पिछले कई दिनों से उनके परिवार के किसी सदस्य को किसी ने नहीं देखा था। न उनके रिश्तेदारों से किसी की बात हुई थी। तो पुलिस चीफ अपने 2 और पुलिसवालों के साथ उनके उस बड़े से आलिशान घर पर पहुंचा। लेकिन उनके घर का दरवाजा टूटा पड़ा था.. जो कि बहुत अजीब बात थी.. क्योंकि वो दरवाजा बहुत ही बड़ा और मजबूत था।

और वो दरवाजा ऐसे निकला गया था जैसे किसी ने अपने मजबूत हाथों से उसे चौखट समेट निकाल लिया हो.. जो कि असंभव था। दुनिया के किसी इंसान में इतनी ताकत नहीं हो सकती जो इतने बड़े दरवाजे को यूं निकाल दे.. इसके अलावा दरवाजे पर और कोई निशान टूट-फूट का नहीं था। पूरे घर में बिछे कारपेट पर अजीब से निशान बने थे। पैरों के निशान नहीं थे.. बस अजीब से रेंगने जैसे निशान थे.. और सबके सब निशान एक ही दिशा में थे। जिन्हें देखकर ही पता चल रहा था कि वो अंदर इस तरफ गए हैं.. उन निशानों का पीछा करते हुए जब वो अंदर गए तो अंदर उन्हें वो लाश मिली..

एक और अजीब बात ये थी कि वो सबके सब रेंगने के निशान अंदर की तरफ तो जा रहे थे लेकिन बाहर नहीं निकले थे.. लेकिन अंदर उन्हें लाश के पास ही जमीन में एक बहुत बड़ा कुएं जैसा गड्ढा खुदा मिला.. और वो सबके सब रेंगने वाले निशान उस कुएं जैसे गड्ढे के अंदर चले गए। उस पूरी प्रॉपर्टी को अच्छे से छानने के बाद भी उन्हें न कोई दूसरा घरवाला मिला, न कोई लाश.. बड़े, छोटे, औरत, आदमी.. सब गायब थे। सुनने में ये सब बिल्कुल इम्पॉसिबल लगता है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई उस थॉमस फैमिली के घर में घुसके उनके साथ ये सब करने की हिम्मत कर सके.. उन लोगों के पास तो ऐसे-ऐसे हथियार थे जो पुलिस के पास भी नहीं थे।

मेरा पार्टनर रॉन मेरी तरफ देख रहा था.. हमने एक दूसरे से कुछ नहीं बोला.. लेकिन आंखों आंखों में हम पूरी बात समझ गए थे.. शायद हम जानते थे कि उस रात वहां क्या हुआ था.. उन्हें किसने मारा था। और इस पूरी बात पर मैं कभी यकीन भी नहीं करता अगर मैंने वो सब कुछ अपनी आंखों से होता हुआ न देखा होता.. मैंने आज तक इस बारे में कभी किसी को नहीं बताया.. लेकिन उस दिन मुझे ये समझ आ गया था कि इस दुनिया में कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो हमारी समझ से परे हैं.. जिनको साइंटिफिकली एक्सप्लेइन नहीं किया जा सकता.. लेकिन ये सब चीजें हमारे बीच.. इसी दुनिया में मौजूद हैं..

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ये साल 2002 की बात है.. मैं अमेरिका के नॉर्दर्न मिनेसोटा के एक बहुत बड़े जंगल में फॉरेस्ट रेंजर का काम कर रहा था। हालांकि इस घटना को बीते आज बहुत साल हो गए हैं, लेकिन मैंने आज तक इस घटना के बारे में किसी को पूरी बात नहीं बताई है। हां, थोड़ी बहुत डिटेल्स मैं अक्सर लोगों को बताता आया हूं, लेकिन आज पहली बार इस घटना के बारे में मैं सब कुछ आप लोगों को बताने जा रहा हूं।

मैं तब 23 साल का था, जवान था, और सर्विस में आए हुए मुझे मुश्किल से 2 साल ही हुए थे। इन दो सालों में मैंने पुराने रेंजर्स से इस जंगल के बारे में बहुत सी बातें सुनी थी। लेकिन मुझे लगता था कि ये सब बातें बस सुनाई-सुनाई बातें हैं, जिनकी शुरुआत शायद फॉरेस्ट रेंजर्स ने एक-दूसरे को डराने के लिए की होगी। कॉलेज से निकलते ही मेरी नौकरी लग गई थी और मैं बहुत खुश था। ये जंगल बहुत बड़ा है, ऊपर से यहां स्टाफ की भी कमी थी, जिसकी भरपाई बाकी के स्टाफ को ही करनी पड़ती थी। दिनभर घने जंगल में पेट्रोलिंग करते हुए चलना, चीजों पर नजर रखना, लोगों को रेस्क्यू करना.. काम मजेदार था, लेकिन थकाने वाला भी था।

जंगल में कई तरह के जंगली जानवर भी रहते हैं.. इसलिए हमारा एक बहुत जरूरी काम इन जानवरों को कैम्पिंग एरिया से दूर रखना होता था। जंगल में ही हमारा एक छोटा सा ऑफिस भी था, और रात की शिफ्ट पूरी करने के बाद उसे लॉक करने की जिम्मेदारी मेरी ही होती थी। करने को ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन फिर भी मुझे काम में बहुत मजा आ रहा था।

लेकिन जैसे-जैसे बसंत और सर्दियां शुरू होने लगीं, जंगल में कुछ अजीब चीजों के होने की रिपोर्ट मिलने लगी। शुरुआत हुई अजीब-अजीब आवाजों से.. या यूं कहें आवाजें न होने से। आप में से जिसने भी रात के वक्त जंगल में समय बिताया है, वो जानते होंगे कि रात के वक्त जंगल में कितनी आवाजें आती हैं.. पत्तों की, पंछियों की, जंगल के कीड़े-मकोड़े और दूसरे जानवरों की। बहुत बार ऐसा होता कि मैं बीच जंगल में होता और अचानक सब कुछ शांत हो जाता। पूरे जंगल में सन्नाटा छा जाता.. ऐसा सन्नाटा जिसे आप अच्छे से महसूस कर सकते हैं। कानों में चुभता हुआ।

मुझे याद है एक शाम, मैंने अपनी शिफ्ट पूरी कर के अपने ऑफिस के बाहर खड़ा सिगरेट पी रहा था। दिन ढल चुका था। पहले तो मेरा ध्यान नहीं गया, लेकिन फिर अचानक से मैंने महसूस किया कि जंगल बिल्कुल शांत हो चुका था। कोई आवाज नहीं आ रही थी.. यहां तक कि हवा के चलने की आवाज भी नहीं आ रही थी। सच बताऊं तो उस समय मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया था। शरीर में अजीब सी सिहरन दौड़ गई। मैंने सोचा, हो सकता है शायद मौसम बदल रहा है, इस वजह से ऐसा हो रहा है, या फिर शायद कोई बड़ा शिकारी जानवर आसपास है, इसीलिए बाकी सब जानवर शांत हो गए हैं.. लेकिन मेरा दिल जानता था कि बात कुछ और है।

मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा, और फिर ऑफिस लॉक करके अपने घर चला गया। उस रात, जब मैं घर पहुंचा, तब भी वो अजीब सी सन्नाटा मेरे दिमाग में घूमता रहा। मैंने सोचा कि सुबह सब कुछ सामान्य हो जाएगा, लेकिन जब सुबह हुई, तो मैंने देखा कि जंगल में कोई सामान्य गतिविधि नहीं थी। एक अजीब सा डर मुझे चौंका रहा था। उस महीने के कुछ दिनों में, ये अकेला शांति का अहसास बार-बार होता रहा।

फिर धीरे-धीरे, जंगल में कुछ जानवरों के गायब होने की खबरें भी आने लगीं। कई बार, जब मैं पेट्रोलिंग पर जाता, तो मुझे ऐसी जगहें मिलतीं जहां मांस के टुकड़े बिखरे हुए थे, लेकिन कोई जानवर नहीं दिखता था। ये सब बहुत अजीब था, और मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर हो क्या रहा है। मेरे साथी भी इस बदलाव को महसूस कर रहे थे, लेकिन हम सब इसे एक साम्यिक घटना मानकर आगे बढ़ रहे थे।

लेकिन वो घटनाएं और भी अजीब होती जा रही थीं, और मेरा दिल ये समझने लगा था कि जंगल में कुछ ठीक नहीं है। मैं खुद को लगातार उस डरावनी सन्नाटे से दूर रखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर बार वो आवाज़ें वापस लौटती थीं। कभी-कभी, जब मैं अकेला होता, मुझे ऐसा लगता कि कोई मेरे चारों ओर है, कोई अदृश्य शक्ति जो मुझे देख रही है। लेकिन अगले ही दिन हमारे पास कई कैंपरों की शिकायत आई कि रात में उन्हें जंगल से अजीब अजीब आवाजें सुनाई दे रही थीं। सबका कहना था कि आवाजें बहुत अजीब थीं और किसी जानवर की नहीं थीं। बस अजीब सी आवाजें। एक कैंपर ने बताया कि उसे अपने टेंट से कुछ दूर झाड़ियों के बीच ऐसी आवाज सुनाई दी जैसे कोई किसी बहुत ही भारी चीज़ को जमीन पर खिसकाते हुए ले जा रहा हो। जबकि एक अन्य कैंपर ने कसम खाई कि उसे एक पेड़ के ऊपर से किसी के सीटी मारने की आवाज़ सुनाई दी थी। उसने उस तरफ फ्लैशलाइट मारकर देखा भी, लेकिन वहां कोई नहीं था।

मैंने इन सभी शिकायतों को अपने दिमाग में तो रखा, लेकिन ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि इनमें कुछ भी खास अजीब नहीं था। लेकिन ये तो सिर्फ शुरुआत थी। अगले कई दिनों तक हर रोज़ अलग-अलग तरह की शिकायतें आती रहीं। सभी का कहना था कि उन्हें जंगल से अजीब आवाजें सुनाई दी हैं।

मुझे अच्छी तरह याद है, एक परिवार था जो जंगल में कैंपिंग के लिए आए थे। वो रविवार सुबह-सुबह हमारे ऑफिस में आए, देखने से लग रहा था कि ये लोग पूरी रात सोए नहीं हैं। वो आदमी तो फिर भी थोड़ा शांत था। लेकिन उसकी पत्नी लगातार रोए जा रही थी। दोनों छोटे बच्चे भी अपनी मां से चिपके हुए थे। मैंने किसी तरह उन्हें शांत किया और ऑफिस में बिठाकर पूछा तो उन्होंने बताया कि वो चारों रात में अपने टेंट के अंदर अच्छे से सो रहे थे कि रात 1 बजे के करीब उन्हें अपने टेंट के चारों तरफ से कदमों की आवाज सुनाई देने लगी, जैसे कोई उनके टेंट के चारों तरफ राउंड लगा रहा हो।

पहले तो उन्हें लगा कि शायद कोई भालू है, लेकिन फिर उन्होंने नोटिस किया कि वो कदमों की आवाज ऐसी थी जैसे कोई जानबूझकर दबे पांव वहां चल रहा हो। ये कोई भालू नहीं हो सकता था। तो उस आदमी ने अपने टेंट की ज़िप खोलकर बाहर निकला, तो देखा कि मुश्किल से 10 कदम दूर पेड़ों के बीच कोई खड़ा था।

वो कोई बहुत ही पतला और लंबा था, और वो कोई इंसान नहीं था क्योंकि वो बीच से अजीब तरीके से झुका हुआ था। और सबसे अजीब बात थी कि वो पेड़ों के बीच खड़ा वो अजीब ही तरीके से लहरा सा रहा था, जैसे हवा में उड़ रहा हो। जबकि उस वक्त बाहर बिल्कुल भी हवा नहीं चल रही थी। उसने उस पर आवाज भी लगाई, “ओये.. कौन है वहां?” लेकिन वो अपनी जगह से हिला तक नहीं। और फिर उसके कहते ही वो पलटा और अंदर जंगल की तरफ जाने लगा। लेकिन उसकी बॉडी के मूवमेंट बहुत अजीब थे, बिलकुल जैसे कोई पुतला चल रहा हो, झटके से।

तब तक उसकी पत्नी भी उठ गई थी। ये देखकर वो दोनों इतनी बुरी तरह डर गए कि पूरी रात बस जागते रहे। उनकी बात सुनकर मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि मैं इनको क्या जवाब दूं। मैंने कहा, “शायद वो कोई शराबी होगा या कोई दूसरा कैंपर होगा जो रास्ता भटक के वहां आ गया होगा। आप फिकर मत करें.. हम इसकी जांच करेंगे कि ये किसकी शरारत है।” मुझे लग रहा था शायद इन्हें कोई धोखा हुआ होगा। लेकिन जिस तरीके से वो दोनों डरे हुए थे, वो देखके ये तो पक्का था कि ये झूठ नहीं बोल रहे और इन्होंने पक्का कुछ बहुत डरावना देखा है।

इसके बाद कई अन्य कैंपरों ने हमें ऐसी ही शिकायतें कीं। सबका कहना था कि रात में कोई उनके कैंप के आसपास घूम रहा था। ऊपर से सबसे अजीब बात ये थी कि एक ही रात में उसके देखे जाने की रिपोर्ट जंगल के अलग-अलग इलाकों से आ रही थी, जो कि संभव नहीं था। या शायद इसके पीछे किसी एक नहीं बल्कि एक पूरे ग्रुप का हाथ था।

दूसरे फॉरेस्ट रेंजर्स मजाक मजाक में कहते थे कि लगता है जंगल में कोई भूत घुस आया है। तब तक सबको यही लग रहा था कि ये कोई मानसिक रूप से चैलेंज्ड आदमी है, जो किसी तरह जंगल में घुस गया है और रात के समय कैंप में जाकर खाना वगैरह ढूंढता है। लेकिन सभी रिपोर्ट्स में जो हुलिया लोग बता रहे थे, वो एक जैसे थे। बहुत ही लंबा और पतला दिखने वाला कोई इंसान।

ये बात बहुत अजीब थी। आखिर में तय किया गया कि सभी फॉरेस्ट रेंजर्स जंगल में दूर-दूर तक के इलाके में जाकर पेट्रोलिंग करेंगे, और ऐसी नजर आने वाले किसी इंसान पर नजर रखेंगे। मैं भी जंगल में दूर-दूर तक पेट्रोलिंग करने जाता था.. लेकिन हमें ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। इस बीच कैंपरों की रिपोर्ट्स लगातार आती जा रही थीं। लेकिन अब चीजें और अजीब होने लगीं।

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लोग बताते थे कि रात के समय उनके कैंप में जो इलेक्ट्रिक उपकरण लगे होते थे, जैसे बल्ब और म्यूजिक सिस्टम वगैरह वो अपने आप फ्लिकर करने लगते। साथ ही मैंने ये नोटिस किया कि रात के समय जंगल में पेट्रोलिंग करते हुए हर समय मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई मुझे देख रहा है। मेरी हर एक मूवमेंट पर नजर रख रहा है। कितनी बार तो ये देखे जाने की फीलिंग इतनी स्ट्रॉन्ग हो जाती कि मेरा दिल भी धड़कने लगता था। लेकिन हैरानी की बात थी कि वहां कोई होता नहीं था। बस चारों तरफ पेड़, परछाइयाँ और सन्नाटे के अलावा, और कुछ नहीं था। धीरे-धीरे तो नौबत ये आ गई थी कि मुझे रात की शिफ्ट में जाने में भी डर लगने लगा था। ऐसा लग रहा था जैसे वो चीज़ धीरे-धीरे मेरे पास आ रही है। और फिर एक रात… अक्टूबर का महीना चल रहा था, हैलोवीन से करीब एक हफ्ते पहले की बात होगी। उस रात मुझे निकलते निकलते रात के 10 बज गए थे।

मुझे याद है, मैं ऑफिस लॉक करके पार्किंग में अपनी जीप के पास जा ही रहा था कि अचानक से मुझे वही देखे जाने का बहुत ही मजबूत फीलिंग आने लगी। मैंने उसी वक्त अपनी फ्लैशलाइट जलाकर पीछे की तरफ देखा। तो एक बार के लिए लगा जैसे आगे पेड़ों के बीच कोई चीज़ एकदम से निकली हो। मैंने लाइट मारकर उस तरफ फिर अच्छे से देखा, लेकिन वहां कोई नहीं था। मैं भागा तो नहीं, लेकिन तेजी से चलते हुए जल्दी से जीप के पास पहुँचा और वहां से निकल गया। 5 किलोमीटर तक मैं बार-बार पीछे मुड़कर देखता रहा।

अब मैंने सोच लिया था कि मैं इस बारे में दूसरे रेंजर्स से बात करूंगा, चाहे वो मेरे बारे में कुछ भी सोचें। हमारी टीम में एक रेंजर था, जो सबसे अनुभवी था। वो पिछले 20 साल से इसी जंगल में ड्यूटी कर रहा था और जंगल का एक भी हिस्सा ऐसा नहीं था जिसके बारे में उससे पता न हो। मुझे आज भी उसके चेहरे के वो एक्सप्रेशंस याद हैं, जब मैंने उससे इन सब चीज़ों के बारे में बताया।

मेरी बात सुनकर वो 2 मिनट तक चुपचाप मेरे मुंह की तरफ देखता रहा, और फिर बोला, “तुमने कभी वेंडिगो के बारे में सुना है?”

मैंने कहा, “हाँ, मैंने किस्से-कहानियों में इसके बारे में बहुत सुना है, लेकिन ये तो बस कहानियों में ही होता है न?” उन लोगों को बता दूं कि वेंडिगो के बारे में बताते हैं कि ये एक ऐसा श्रापित शैतान होता है जो हमेशा भूखा रहता है। इसकी भूख कभी शांत नहीं होती और ये सुनसान जगहों पर जंगलों में इंसानों को अपना शिकार बनाता है।

उस बूढ़े रेंजर ने बताया कि वो पिछले 28 सालों से इस जंगल में काम कर रहा है और वेंडिगो की ये कहानियाँ सिर्फ कहानियाँ नहीं हैं। उसने बताया कि हर 5-6 साल बाद ये शैतान इस जंगल में आता है और जब भी वो आता है, जंगल में अजीब अजीब चीजें होने लगती हैं। लोग गायब होने लगते हैं और जंगल के जानवर बिल्कुल गायब हो जाते हैं। उसने कहा कि उसके पिता भी उसे इस जंगल के वेंडिगो के बारे में बताते थे।

उसने कहा, “जब वो बाहर है तब तक तुम जंगल में बहुत संभाल के रहना। हो सके तो अंधेरा होने के बाद जंगल में मत जाना।” मुझे तो उसकी बातें बकवास लग रही थीं, लेकिन वो बिल्कुल सीरियस था। इसलिए मैंने भी कुछ नहीं कहा। मैंने कहा, “हाँ, मैं ध्यान रखूंगा।” इसके बाद जंगल में पेट्रोलिंग करते हुए मैं पूरा टाइम इसी बारे में सोचता रहा। पिछले कुछ दिनों जो कुछ मैंने अनुभव किया था, वो सब अजीब आवाजें, वो अजीब साया जो एक-दो नहीं बल्कि न जाने कितने कैंपर्स ने पिछले कुछ दिनों में देखा था… कुछ तो गड़बड़ थी।

हैलोवीन आते-आते बहुत से कैंपर्स बीच में ही अपनी ट्रिप खत्म कर के भाग निकले। उनका कहना था कि उन्हें जंगल में कोई अजीब सा साया दिखाई दिया है। सब बहुत डर हुए थे। इस बीच हमें कुछ टेंट ऐसे भी मिले जो किसी ने बुरी तरह फाड़ दिए थे। जंगल में अलग-अलग जगहों पर कुछ छोटे जानवरों की कटी-फटी लाशें भी पड़ी मिलीं। समझ नहीं आ रहा था इस सबके पीछे कौन पागल आदमी है। लेकिन उस बूढ़े रेंजर की बात हर समय मेरे दिमाग में रहती थी।

शाम के समय हम सब ऑफिस में बैठकर हंसी-मजाक भी करते, सब सामान्य दिखने की कोशिश करते, लेकिन अंदर ही अंदर सबके दिल में एक अजीब सा डर था। मुंह से कोई कुछ नहीं कहता था, लेकिन सबको पता था कि बाहर कुछ तो है… कुछ ख़तरनाक। हम सब भी एक्स्ट्रा प्रिवेंशन्स लेने लगे। बाहर निकलने से पहले अच्छे से चेक करते कि रेडियो, फोन की बैटरी फुल चार्ज है। अपने पेट्रोलिंग प्लान को पूरी टीम के साथ शेयर करते। लेकिन ये सब करने के बावजूद आखिर वो मनहूस दिन आ ही गया… 30 अक्टूबर। हैलोवीन से बस एक रात पहले।

उस रात जंगल में कुछ ज्यादा ही भीड़ थी। शायद लोग हैलोवीन से पहले जंगल में पार्टी करना चाहते थे। रात में काम खत्म करते करते ऑफिस में मैं अकेला ही बचा था। मुझे उसी वक्त ऑफिस बंद करके वहां से चले जाना चाहिए था। मेरा दिल बार-बार ये कह रहा था… लेकिन ऑफिस का कुछ पेपरवर्क था जो मुझे अभी निपटाना था। एक घंटे का काम और बचा था। मैंने भी सोचा, जब इतनी देर हो ही गई है, तो एक घंटा और सही। वैसे भी ऑफिस के अंदर बैठकर ही काम करना है, बाहर तो घूमना नहीं है। अगले दिन हैलोवीन था, मैं चाहता था कि इससे पहले मैं सारा पेंडिंग काम खत्म कर दूं।

लेकिन इसके बाद जो हुआ, वो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। इतने बड़े जंगल में अपने छोटे से ऑफिस के अंदर बैठा मैं काम करते हुए बार-बार अपनी घड़ी देख रहा था। बस 5 मिनट और… 5 मिनट और। बाहर घुप्प अंधेरा था। इतना अंधेरा कि आप अपना एक हाथ दूसरे हाथ को भी नहीं देख सकते। काम निपटाते निपटाते कब रात के 12 बज गए, पता ही नहीं चला। मैंने देखा कि बाहर सब कुछ शांत हो गया था। बस पेपर पर मेरे पेन की लिखने की आवाज के अलावा और कोई आवाज नहीं आ रही थी।

ये वो पॉइंट था जब मैंने फैसला किया कि बस बहुत हो गया… जान से बढ़के कोई काम नहीं है। मैंने जल्दी से कम्प्यूटर शट डाउन किया और ऑफिस पर ताला लगाकर बाहर जाने लगा। लेकिन बाहर कदम रखते ही वही देखे जाने की बहुत तेज़ फीलिंग आने लगी… मैं अपने आप से कह रहा था कि घबराने की कोई बात नहीं है, बस अभी मैं यहां से चला जाऊंगा। लेकिन सच बताऊं तो उस वक्त मुझे इतना डर लग रहा था कि घबराहट की वजह से मेरे हाथ कांप रहे थे।

ऑफिस के गेट से मेरी कार मुश्किल से 50 कदम दूर खड़ी थी। लेकिन उस वक्त कार तक जाते हुए ऐसा लग रहा था जैसे न जाने कितने किलोमीटर दूर है। मैं मुश्किल से 10 कदम ही चला था कि अचानक मुझे साइड में पेड़ों के बीच किसी के सूखी झाड़ियों में कदम रखने की आवाज़ आने लगी। एकदम से मेरे कान खड़े हो गए, और मेरा पूरा ध्यान उस तरफ गया। कोई धीरे-धीरे दबे पांव मेरी तरफ बढ़ रहा था। मेरा दिल धड़कने लगा।

मैंने उसी वक्त झटके से उस तरफ फ्लैशलाइट मारी तो देखा कि पेड़ों के बीच वही पतला सा साया खड़ा था। वो सीधा खड़ा था, लेकिन फिर मैंने उसे चलते देखा। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बॉडी के जॉइंट्स सभी अलग-अलग जगह हैं। अजीब सी पतली-पतली उंगलियां, आगे की तरफ झुकी हुई कमर… मैं अपने आप को मना रहा था कि ये शायद कोई कैंपर होगा। लेकिन दिल कह रहा था कि भाग यहाँ से। यहाँ खतरा है… जान का खतरा।

और मेरे कहते ही वो साला इतनी तेज़ी से भागता हुआ मेरी तरफ आया जैसे हवा में उड़कर आया हो। “ओह शिट!” मैं भागकर अपनी जीप की तरफ गया, और गेट खोलकर अंदर घुसने ही वाला था कि मुझे अपने एक पैर में बहुत तेज़ दर्द महसूस हुआ। ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने गर्म जलते हुए सरिये मेरे पैर में घुसा दिए हों। मैंने घबराकर पीछे पलट कर देखा तो ये वही था, जिसे मैं कोई कैंपर समझ रहा था। वो कोई कैंपर नहीं था, वो एक शैतान था।

अब मैं उसे साफ साफ देख पा रहा था। बड़ी सी खोपड़ी पर दो आंखें ऐसी अजीब सी लगी थीं जैसे किसी ने ऊपर से चिपका रखी हों। मकड़ी जैसी लम्बी-लम्बी उंगलियां, जिनको वो मेरे पैर में घुसाकर मुझे पीछे खींच रहा था। मैं दर्द में चीखता हुआ उससे पीछे छूटने की कोशिश कर रहा था। ऐसा दर्द मैंने अपनी ज़िंदगी में पहले कभी नहीं महसूस किया था। उसमें बहुत ताकत थी। तभी उसने अपने दांत मेरी जांघ में घुसा दिए और बड़ा सा मांस का टुकड़ा निकाल दिया।

मुझे लग रहा था कि आज तो मैं पक्का मारा जाने वाला हूँ। लेकिन उसने मेरी जांघ को इतनी जोर से पकड़कर खींचा कि मांस नोचते हुए वो एकदम से पीछे की तरफ हुआ। सच बताऊं तो वो पल था जब मेरी पूरी जिंदगी मेरी आंखों के सामने आ गई। मैं मरना नहीं चाहता था।

खुशकिस्मती से मेरी पिस्तौल मेरे पास थी। मैंने उसी वक्त अपनी पिस्तौल निकाली और कई गोलियां उस पर चला दी। मेरे पास यही मौका था। मैं कूदकर जीप में चढ़ा और गेट बंद कर लिया। कार की चाबी लगाते हुए मेरे हाथ कांप रहे थे। लेकिन उस दिन मेरी मौत नहीं आने वाली थी। नहीं तो इतना कुछ होने के बाद कोई भी जिंदा नहीं बच सकता था। किसी तरह मैंने जीप स्टार्ट की और फुल स्पीड से वहां से भागा। मैंने इतनी स्पीड से जीप बैक की कि पीछे एक पेड़ से भी टकरा गई।

लेकिन सोचने समझने का टाइम नहीं था। मैंने कार भगाई और सबसे पहले अस्पताल पहुँचा। खून भी बहुत बह चुका था। मैंने डॉक्टर को सारी बात बताई कि किसी जानवर ने मुझे काट लिया है। सब पूछ रहे थे कि ये कौन सा जानवर है, मैंने कहा पता नहीं, मैंने उसे देख नहीं सका। शायद वो मेरी जीप के नीचे छुपा बैठा था। मैंने उन्हें झूठ बोल दिया। डॉक्टर ने जल्दी से मेरे घाव को साफ करके उस पर टांके लगाए। लेकिन टांके लगाते हुए डॉक्टर बोल रहा था कि ये बहुत हैरानी की बात है कि तुम्हें किसी जानवर ने काटा है, क्योंकि ये दांतों के निशान बिलकुल इंसान के दांतों के जैसे हैं, ना कि जानवर के। मैंने अपने ऑफिसर को भी कॉल करके सारी बात बताई। उसने कहा कि तुम कुछ दिनों आराम करो, ऑफिस आने की जरूरत नहीं है। लेकिन फोन रखने से पहले मैंने उससे कहा कि आप एक बार पार्किंग में किसी को भेजकर चेक करवाएं कि वहां किस जानवर के पैरों के निशान हैं। उसने कहा ठीक है, वो अगली सुबह ये काम करवा देगा।

लेकिन अजीब बात थी कि अगली दिन ऑफिसर ने बताया कि उस जगह तो कोई पैरों के निशान नहीं थे। करीब 10 दिन बाद जब मैंने ऑफिस वापस जॉइन किया तो सभी रेंजर्स को पहले ही मेरे बारे में पता चल चुका था। इतने दिनों से मेरे बारे में तरह-तरह की बातें हो रही थीं। कुछ को तो मेरी बात पर यकीन था, लेकिन कुछ लोग मेरी बात पर शक भी कर रहे थे। लेकिन मेरे पास सबूत था। मेरे पैर पर बना इतना बड़ा घाव अपने आप में सबूत था कि ये सब कुछ सच है, और मैं खुद से कुछ बना के नहीं कह रहा हूँ।

इसके बाद मेरे ऑफिसर ने अगले दो हफ्तों तक मुझे ऑफिस के अंदर रहकर ऑफिस का काम करने को कहा। मेरे लिए ये अच्छा था। सच बताऊं तो बाहर जाने में मुझे इतना डर लग रहा था कि क्या बताऊं। दिल में अजीब सा खौफ बैठ गया था। लेकिन फिर पता चला कि जिस रात मेरे साथ ये सब हुआ था, उसके बाद से ही जंगल से वो सब अजीब आवाजें और चीज़ों के दिखने की रिपोर्टें एकदम से बंद हो गईं। शायद उस शैतान की भूख मेरा खून चखने से शांत हो गई थी।

धीरे-धीरे मैंने भी जंगल में पेट्रोलिंग करना शुरू कर दिया। और वो कहते हैं न, समय के साथ सब कुछ सामान्य हो जाता है। कुछ दिनों बाद मेरा डर भी खत्म हो गया। जिंदगी फिर से सामान्य हो गई। इसके बाद 4 साल तक मैंने उसी जंगल में पेट्रोलिंग की, लेकिन वो शैतान फिर कभी नहीं मिला।

4 साल बाद मेरा ट्रांसफर एक दूसरे राज्य के दूसरे जंगल में हो गया। ये जंगल भी बहुत बड़ा है। यहां आने वाले कैंपर्स और हाइकर्स भी कई बार अजीब अजीब चीजों को देखने-सुनने की शिकायत करते हैं। लेकिन जांच के बाद पता चलता है कि सब कुछ सामान्य है। फिर भी जब भी ऐसी कोई शिकायत मेरे पास आती है, तो दिल में एक अजीब सा डर आ जाता है कि कहीं मेरा सामना उसी शैतान से न हो जाए।

हर बार जब मैं जंगल में निकलता हूँ या किसी अंधेरी रात को अकेला होता हूँ, वो रात की यादें और वो दर्द मेरे दिमाग में घूमते रहते हैं। डर हमेशा पीछा करता है।

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