भूतो प्रेतों की खौफ्फ्नाक सच्ची कहानियाँ

भूतो प्रेतों की खौफ्फ्नाक सच्ची कहानियाँ

मेरा नाम रोनी है। मैं पश्चिम बंगाल के बरसात में रहता हूँ। मैं जो बात आपको बताने जा रहा हूँ, ये सब हमारे साथ पिछले साल अगस्त में हुआ था। मेरी दीदी की शादी 2016 में हुई थी। लेकिन उनकी सास नहीं चाहती थी कि जीजाजी के कभी शादी हो, क्योंकि जीजाजी बहुत पैसा कमाते थे और उन्हें सिर्फ़ उनके पैसों से प्यार था। वे लोग जॉइंट फैमिली में रहते थे और उनके सारे बिल और खाने-पीने का खर्च जीजाजी ही उठाते थे। मेरे जीजाजी बहुत अच्छे दिल के हैं, इसलिए वो सबकी मदद करते थे। लेकिन जीजाजी को ये नहीं पता था कि ये लोग एक दिन उनके साथ इतना बुरा करेंगे। वे लोग जीजाजी को पूछते भी नहीं थे, लेकिन उनके पापा उनसे बहुत प्यार करते थे। जब दीदी की शादी हुई तो पहले साल तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन फिर दीदी और जीजाजी के बीच दिक्कत होना शुरू हो गया। जीजाजी कभी-कभी बिना बात के दीदी को डाँटने लगते थे। पहले तो उनका झगड़ा कभी-कभी होता था, लेकिन फिर धीरे-धीरे जीजाजी हर रोज ऑफिस से आते ही दीदी से लड़ने लगते थे। तो एक दिन दीदी ने ये सारी बातें मम्मी को बताई। साथ ही बताया कि मेरी मम्मी को किताबें पढ़ना बहुत पसंद हैं, अलग-अलग तरह की धार्मिक किताबें वगेरा। दीदी ने मम्मी को बताया कि जीजाजी हर रोज छोटी-छोटी बातों पर उनसे झगड़ा करने लगे हैं। तो मम्मी बोली कि लगता है किसी ने जीजाजी के ऊपर शायद कुछ करवा दिया है, जिससे कि तुम दोनों के बीच लड़ाई होती रहे। और फिर अगले ही दिन मम्मी और दीदी एक बाबा के पास गए और उनको सारी बात बताई। तो उस बाबा ने उनको कोई पानी दिया जीजाजी को पिलाने के लिए। जीजाजी ने वो पानी पिया तो वो फिर से पहले जैसे हो गए और झगड़ा करना बंद कर दिया। लेकिन उस पानी का असर कुछ ही दिनों तक रहा। कुछ दिन बाद वो फिर से दीदी के साथ झगड़ा करने लगे। ऐसा 2-3 बार हुआ। वो बाबा के पास जाते और वहाँ से पानी लेकर आते, तो जीजाजी ठीक हो जाते। लेकिन फिर कुछ दिन बाद वो फिर से वही सब करने लगते। मम्मी बोली कि लगता है ये सब तुम्हारे ही घर का कोई शक कर रहा है। फिर इसके कुछ दिन बाद एक दिन उन दोनों का उनके सास-ससुर के साथ बहुत झगड़ा हो गया। जिसके बाद वो दोनों उस घर छोड़के चले गए। और हमारे घर के पास एक घर में आकर रहने लगे। जिस घर में अब दीदी और जीजाजी रहने आए थे, ठीक उसके बगल वाले घर में जीजाजी की बुआ का घर भी था, जिसमें वो अपने पति और दो बेटियों के साथ रहती थीं। इसके साथ ही बताऊं कि मेरी दीदी का घर ऐसी जगह पर था जहां उनके घर के आगे पूरा जंगल का इलाका शुरू हो जाता था। और असली कहानी यहाँ से शुरू होती है। जीजाजी की बुआ जो उनके बगल में रहती थी, वह पता नहीं क्यूं उनके वहां से आने से बहुत गुस्सा रहने लगी थी। लेकिन मेरे जीजाजी इस बात पर ध्यान नहीं देते और बस अपने काम पर ध्यान देते हैं। फिर एक दिन सुबह सुबह जब जीजाजी ऑफिस के लिए निकल रहे थे तो किसी ने उनके आंगन में ईंटें रख दीं थीं, जिसकी वजह से जीजाजी को कार निकालने में बहुत परेशानी हो रही थी। उनके ऑफिस के लिए भी लेट हो रहा था। तो जीजाजी ने वो सारी ईंटें उठा के साइड में फेंक दी, जिससे उनमें से कुछ ईंटें टूट गईं। और फिर जीजाजी उसपे ध्यान दिए बिना अपने ऑफिस चले गए। घर में अब बस मेरी दीदी और उनकी 2 साल की बेटी थीं। फिर दोपहर के समय जीजाजी की बुआ ने बाहर से ही चीखने-चिल्लाने और झगड़ा करना शुरू कर दिया। वो गाली-गलौच तक करने लगी थी। लेकिन दीदी ने कुछ नहीं बोला, घर से बाहर भी नहीं निकली। फिर शाम को जब जीजाजी घर आए तो दीदी ने उनको सारी बात बताई। वो सब सुनके जीजाजी बहुत गुस्सा हो गए और उनके घर में जाकर उनसे पूछने लगे कि तुम बिना बात के झगड़ा क्यों कर रही थीं। हमारे घर में छोटा बच्चा है, तुमको गाली-गलौच करते हुए शर्म नहीं आती। तो उनकी बुआ बोली कि मैंने यहां ईंटें रखी थी, वो किसने तोड़ दी। तो जीजाजी बोले कि वो ईंटें तुम्हारी थीं, तो तुमने हमारे रास्ते पर क्यों रखी, हमें घर से निकलने में दिक्कत हो रही थी, इसलिए मैंने ही उन्हें उठा के साइड में रख दी। ये सुनके उनकी बुआ बिना कुछ बोले चुपचाप अपने घर में चली गई। जीजाजी भी अपने घर में आ गए।Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi. Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi.

लेकिन फिर उसके अगले दिन रात 8 बजे के करीब जब जीजाजी ऑफिस से लौट रहे थे, तो उनकी बुआ गाली के बीच एक पत्ता लेकर तोतके जैसा कुछ कर रही थी। और जीजाजी की तरफ देख के जोर-जोर से बोल रही थी कि ये तेरी बेटी की चिता जला रही हूँ। यही बात बार-बार बोल रही थी और जोर-जोर से हंस रही थी। उसकी आवाज सुनके गाली के और लोग भी घरों से बाहर निकल आए। दूसरी तरफ मेरे जीजाजी को भी उसकी बात सुनके खून सावर हो गया था। वो उनकी बुआ और उनके पति को मारने के लिए उनके पीछे भागे, लेकिन गाली के बाकी लोगों ने उन्हें पकड़ लिया। और पुलिस को फोन कर दिया.. शोर-शराबा सुनकर दीदी भी घर के बाहर आई और जीजाजी को शांत करके किसी तरह घर के अंदर ले गई.. उसके बाद उनकी बुआ और उनके पति के ऊपर पुलिस मामला भी हुआ.. जिसके बाद 2-3 हफ्तों बाद तो सब कुछ शांत रहा.. लेकिन फिर एक शाम.. 7 बजे के करीब दीदी किचन में चिकन पकोड़ा बना रही थी.. उस दिन जीजाजी ऑफिस नहीं गए थे,. जीजाजी और मेरी भांजी बाहर ड्राइंग रूम में ही बैठे थे की अचानक दीदी भागती हुई जीजाजी के पास आई और रोने लगी.. दीदी डर के मारे कांप रही थी.. जिजा ने दीदी को शांत किया और पूछा की क्या हुआ तो दीदी बोली की जब वो किचन में काम कर रही थी तो अचानक सामने खिड़की से एक ठंडी हवा आई। उन्होंने उसको इग्नोर कर दिया . लेकिन फिर ही एक-दूसरे देर बाद उनको ऐसा लगा जैसे कोई उनके कान में कुछ बोलके गया है.. दीदी ने आसपास देखा लेकिन वहां कोई नहीं था.. दीदी बहुत डर गई और भाग के जीजा के पास चली गई.. दीदी की बात सुनके जीजा को उस दिन की बात याद गई जब उनकी बुआ सड़क पे कोई तोटका कर रही थी.. अब जीजाजी को बहुत गुस्सा आ गया और वो वो कढ़ाई उठा के जिसमें पकोड़े बन रहे थे वो लेके बाहर जंगल में ले जाके फेंक दी.. और गुस्से से बोले .. ले खा ले जितना खाना है.. लेकिन ऐसा करते ही उनको ऐसा लगा जैसे किसी ने उनकी गर्दन पकड़ ली हो.. मेरी दीदी भाग के गई और उनको खींच के घर के अंदर लाने लगी.. लेकिन ऐसा लग रहा था के जैसे कोई जीजा को पकड़ के जंगल के अंदर लेजाना चाहता है.. लेकिन दीद किसी तरह उनको खींच अपने घर के सामने ले आई.. उनके घर के सामने बजरंग बली की एक बड़ी सी फोटो लगी थी.. उस फोटो के सामने आते ही उस चीज ने जीजाजी को छोड़ दिया. उसके बाद वो तीनों सीधा हमारे घर में आ गए और हमें सारी बात बतायी.. तो मम्मी बोली की आज रात तुम यहीं रुक जाओ.. लेकिन दीदी को घर को भी खाली नहीं छोड़ सकते थे क्यूंकि घर में बहुत सारा कैश था और वहां चोरी भी हो सकती थी.. इसलिए मैं और मेरे दो दोस्त रात को उनके यहां सोने के लिए चले गए.. हम तीनों ने उस घर में बहुत मस्ती की क्यूंकि हमें से किसी को नहीं पता था की वहां क्या हुआ था.. मेरी मम्मी ने मुझे बस ये बोल के भेजा था की सुबह उन लोगो को कहीं जाना है इसलिए रात में घर खाली नहीं छोड़ सकते.. उसके बाद फिर रात करीब 3 बजे मैं और मेरा एक दोस्त बोल अजागे हुए थे.. तभी अचानक जोर से बारिश आने लगी.. तो हम दोनों जल्दी से उठे और सारी खिड़की दरवाजे बंद कर दिए.. रात में हमारे साथ कुछ भी अजीब नहीं हुआ.. लेकिन फिर अगले दिन जब मैं अपने घर वापस गया तो दीदी पूछने लगी की रात में कैसी नींद आई.. मैंने कहा नींद तो अच्छी आई लेकिन रात में बारिश बहुत तेज आई थी.. मेरी बात सुनके वो सब मुझे घूर घूर के देखने लगे.. मैंने पूछा क्या हुआ ऐसा क्यों देख रहे हो तो वो बोला कुछ नहीं.. उन्होंने तब तो मुझे कुछ नहीं बताया.. लेकिन फिर दोपहर में मम्मी ने मुझे सारी बात बताई.. की दीदी और जीजाजी के साथ क्या हुआ था.. मम्मी ने बताया की रात में वहां कोई बारिश नहीं आई थी.. ये सुनके मैं भी थोड़ा डर गया. फिर उसी शाम जीजाजी के 6-7 दोस्त हमारे घर आए हुए थे.. मेरी दीदी और मम्मी आँगन में खड़ी बातें कर ही रही थी की अचानक मेरी दीदी मम्मी के पीछे एक पेड़ की तरफ देख के बोलने लगी.. जाओ.. तुम जाओ यहाँ से.. चली जाओ यहाँ से.. ये देख के मेरी मम्मी दीदी को ज़ोर से बोली.. चुप कर.. घर के अंदर जा.. लेकिन वो वहीं खड़ी रही.. तो मम्मी जल्दी से अंदर आई और जीजा को इस बारे में आताया तो जीजा और उनके दोस्त दीदी को पकड़ के घर के अंदर लाने लगे. लेकिन दीदी जोर-जोर से हंसे जा रही थी और पागलो जैसी हरकतें करती जा रही थी.. फिर दीदी जीजाजी को देख के जोर से बोली.. डर गए तुम.. तुम डर गए.. बस हंसते हुए बार-बार यही बोले जा रही थी.. फिर मम्मी जल्दी से गंगाजल लेके आयी और दीदी के ऊपर छिड़क दिया.. और हमारे घर की एक दीवार पे जहां काली माता की फोटो लगी थी दीद को उस तरफ देखने को बोलने लगी.. बोली वो देख उस तरफ काली माता है… लेकिन दीदी बिलकुल भी उस तरफ नहीं देख रही थी.. बस बार-बार वही बोले जा रही थी तुम डर गए तुम डर गए.. फिर मेरी मम्मी जल्दी से हनुमान जी का एक छोटा सा लॉकेट लेके आयी और दीदी के गले में पहना दिया.. लेकिन उसके बाद दीदी को सांस लेने में बहुत दिक्कत होने लगी.. उनकी हालत देख के जीजा रोने लगे.. बोले मेरा तो तुम दोनों के अलावा और कोई नहीं है.. अगर तुम ऐसा करोगी तो कैसे होगा.. और फिर कुछ देर बाद सब कुछ नॉर्मल हो गया.. फिर उसी रात जिज़ा अपने दोस्तों के साथ एक बाबा के पास गए.. लेकिन रात बहुत हो गई थी इसलिए वो बाबा उस दिन रात को नहीं आए लेकिन अगले दिन वो जिज़ा अपने घर में पहुंच गये.. बाबा ने उनके घर की मिट्टी सूंघी और बोला की इसकी मिट्टी में बां मारा गया है.. मतलब की यहाँ किसी बहुत ताक़तवर आत्मा को भेजा गया है.. इसको जल्दी तोड़ना पड़ेगा नहीं तो बहुत बड़ा नुक़सान हो सकता है.. उसके बाद बाबा ने उनके घर के पीछे की मिट्टी खोदी और 2-3 घंटे तक वहाँ मंत्र पढ़ते रहे.. तबही अचानक घर के अंदर से एक बहुत तेज़ आवाज़ आई.. लेकिन उनके घर में तो वहीं था.. घर बिल्कुल खाली था.. हम सब भाग के घर के अंदर गए तो देखा की उनके किचन की खिड़की जो कि बंद थी.. उसके ऊपर एक बड़ा सा क्रैक बना हुआ था.. जो पहले वहाँ नहीं था.. सब कुछ हो जाने के बाद जीजा ने बाबा से पूछा की ये सब किया था तो बाबा बोले की ये काला जादू तुम्हारे घर के साथ वाले घर के लोगो ने किया था.. और ये 2-3 हफ्ते पहले ही किया गया था.. जीजाजी बोले लेकिन ये सब तो हमारे साथ पिछले 3-4 दिनों से ही हो रहा है.. तो बाबा बोले की तुम्हारे साथ कोई अच्छी आत्मा भी थी जो तुम्हें बचा रही थी.. लेकिन वो आत्मा अचानक से गायब हो गयी.. और उसके जाने के बाद ही तुम लोगो के साथ ये सब कुछ शुरू हुआ.. उस बाबा के वो वहाँ आने के बाद सब कुछ ठीक हो गया.. लेकिन फिर भी जीज़ा ने वो घर छोड़ के दुसरी जगह घर ले लिया..

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मैं आपको अपने कौसिन राज भय्या के साथ घटी एक सच्ची घटना बताना चाहती हूँ.. राज मेरे मामाजी का बेटा है.. उनका गाँव कोलकाता सिटी से 110 किलोमीटर दूर बर्धमान नाम के एक शहर में पड़ता है.. अभी 2 महीने पहले मैं अपनी नानी के यहाँ गई थी और वहीं मैंने अपने मामाजी और राज भय्या से भी मिली थी.. वहीं एक शाम राज भय्या ने मुझे उनके साथ घटी एक सच्ची घटना बताई।

भय्या ने बताया कि एक शाम उनके घर की लाइट चली गई थी… तो राज भय्या और मामाजी बालकनी में सोने चले गए… रात में दोनों बालकनी में सो ही रहे थे कि अचानक रात 2 बजे के करीब राज भय्या की आँख खुल गई.. उनकी बालकनी के सामने थोड़ी सी दूर एक बहुत बड़ा पेड़ था.. तो भय्या ने अपनी आँख खोलते ही देखा कि एक अजीब सी दिखने वाली कोई लड़की इतनी रात उस पेड़ के नीचे कूद रही थी और तालियाँ बजा रही थी, एक डरावनी मुस्कान के साथ.. उस लड़की को इतनी रात वहाँ अकेले खेलते देख उन्हें बहुत अजीब लगा.. लेकिन फिर जब उन्होंने स्ट्रीट लाइट की रौशनी में उस लड़की को ध्यान से देखा तो देखा कि वो बहुत भयानक थी.. उसके हाथ बहुत लम्बे थे और उसका शरीर बिल्कुल पतला था.. और कूदते हुए तालियाँ बजा कर वो एक ही बोले जा रही थी.. “बाहर आएगा तो मर जाएगा.. बाहर आएगा तो मर जाएगा”.. राज भय्या बहुत बहादुर हैं.. इसलिए ये देख कर भी वो डरे नहीं.. बस चुपचाप लेटे लेटे उस लड़की को देखते रहे.. फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा कि वो लड़की उस पेड़ के ऊपर चढ़ गई.. उसके बाद कैसे तरह भय्या फिर से सोने लगे.. अगले दिन उन्होंने ये बात मामाजी को बताई तो मामाजी ने बताया कि वो एक पागल लड़की थी जो 10 साल पहले उसी पेड़ के नीचे मर गई थी.. वो बहुत दिनों से भूखी थी.. कोई उसे खाना नहीं देता था.. जो भी उसके पास खाना मांगने जाती वो उसको भगा देता.. आखिर में भूखी मरती उसकी उसी पेड़ के नीचे मौत हो गई.. और उस दिन से उसकी आत्मा उसी पेड़ के नीचे भटकती है.. उस दिन के बाद से राज भय्या ने बालकनी में सोना बिल्कुल बंद कर दिया.. और मामाजी को भी बालकनी में नहीं सोने देते.. अब वो रात में हमेशा बालकनी का दरवाजा बंद कर के सोते हैं.. लेकिन आज भी कई बार उनको रात में बाहर से ताली बजाने की आवाज़ सुनाई देती है..

मेरा नाम दिनेश है.. मैं 16 साल का हूँ और छत्तीसगढ़ के बलोदा बाजार जिले का रहने वाला हूँ.. मैं आपको अपने बड़े मामा के बेटे बंटी के साथ घटी एक बिल्कुल सच्ची घटना बताना चाहता हूँ.. तो हुआ ऐसा था कि बंटी भ

य्या को खाना खाने के बाद घंटों टहलने जाने की आदत थी.. तो हमेशा की तरह एक रात बंटी भय्या टहलने के लिए और फिर वापस आके सो गए.. लेकिन उस रात उनके साथ एक अजीबा सी चीज़ हुई.. भय्या बताते हैं कि उस रात जब वो सो रहे थे तो उनको ऐसा लगा जैसे कोई उनका पैर पकड़ के खींच रहा है.. लेकिन कमरे में उनके अलावा कोई नहीं था.. ऐसा उनके साथ पहली बार हुआ था.. इसलिए सुबह उठने पर उन्होंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और इसको अपना वहम समझ के भूला दिया.. उन्होंने और किसी को भी इस बारे में नहीं बताया.. लेकिन फिर अगली रात फिर से जब वो सो रहे थे तो कोई उनका पैर खींचने लगा.. लेकिन वो डरे नहीं.. और पाना पैर मोड़ लिया.. जिससे कि उसको कोई उनका पैर खींचे तो वो उसको लात मार दे.. उन्होंने ऐसा कई बार किया लेकिन वो लात मारते तो कोई उनको नहीं लगती.. अब ये सिलसिला रोज रोज होने लगा.. वो जो कुछ भी था.. हर रात उनके कमरे में आता और पैर खींचता.. फिर एक दिन बंटी भय्या ने ये बात अपने घरवालों को बताई तो वो उनको एक बाबा के पास लेकर गए। बाबा ने बताया कि रात में जो उनके पैर खींचती है वो असल में एक चुड़ैल है.. उस रात किसी ने सड़क पर तोटक किया हुआ था और उसी रास्ते पर बंटी भय्या टहलने गए थे। इस वजह से उनको उस चुड़ैल की हवा लग गई और वो चुड़ैल ही हर रात उनको परेशान करती है। फिर बाबाजी ने बंटी भय्या को एक नींबू दिया और कहा कि रात में सोते हुए इसे अपने बिस्तर पर रख के सोना… बंटी भय्या ने वैसा ही किया.. सोने से पहले उन्होंने वो नींबू अपने तकिये के नीचे रख दिया.. उस दिन के बाद से उस चुड़ैल ने फिर कभी उनको परेशान नहीं किया.. ये एक बिल्कुल सच्ची घटना है..

मेरा नाम अंकिता है। मैं ओडिशा के केंजर टाउन की रहने वाली हूँ। हमारे गाँव का नाम उदयपुर है जो की केंजर से 1 घंटे की दूरी पर पड़ता है।
मैं जो कहानी आपको बताने जा रही हूँ ये मेरे दादाजी के साथ घटी एक सच्ची घटना है जो की उनसे तब घटी थी जब उनकी नई-नई शादी हुई थी.. दादाजी के एक खेत था जिसमें वो रोज जाया करते थे। तो ऐसे ही एक दिन शाम के समय दादाजी अपने छोटे भाई से बात कर रहे थे की कल सुबह सुबह वो दोनों खेत में जाएंगे क्यूंकि सुबह के समय हाथी खेत में घुस कर फसल खराब कर देते थे। उन दोनों ने अगले दिन सुबह सुबह खेत में जाने का अपलान बनाया और सोने के लिए चले गए। फिर अगली सुबह 3-4 बजे के करीब दादाजी के घर के दरवाजे पर दस्तक हुई। दादाजी को लगा की शायद उनका छोटा भाई उनके साथ खेत जाने के लिए आया है। दादाजी उठे और दरवाजा खोला तो बाहर उनका भाई ही खड़ा था। दादाजी ने उससे पूछा भी की तू इतनी जल्दी क्यों आ गया.. लेकिन उनका भाई ने कोई जवाब नहीं दिया। तो दादाजी बोले.. ठीक है.. तू यहीं रुक, मैं हाथ मुँह धो के आता हूँ.. फिर हम चलेंगे.. फिर कुछ देर बाद दादाजी हाथ मुँह धो के आए और फिर वो दोनों खेत की तरफ जाने लगे। लेकिन रास्ते से जाते हुए उनका भाई बहुत तेज तेज चल रहा था। दादाजी ने उसको आवाज़ भी लगाई.. की तू इतना तेज क्यों चल रहा है.. मेरे लिए रुक जा… लेकिन उनका भाई नहीं रुका.. बस तेज तेज आगे आगे चलता रहा.. फिर कुछ दूर आगे जाकर रास्ते में एक तालाब पड़ता था। जब दादाजी उस तालाब को पार कर रहे थे तो उन्होंने देखा की उनके भाई की परछाई धीरे-धीरे लंबी और लंबी होती जा रही थी। दादाजी नीचे उसकी परछाई को देख रहे थे। फिर उन्होंने जैसे ही सिर उठा के अपने भाई को देखा तो देखा की वो ऊपर आसमान जितना लंबा हो गया था। दादाजी जिसको अपना भाई समझ रहे थे वो असल में एक भ्रमराक्षस था। उसको देख के दादाजी का शरीर एकदम से पत्थर जैसा हो गया। वो अपने आप को हिला भी नहीं पा रहे थे। फिर वो भ्रमराक्षस बोला.. कितना बेवकूफ़ है रे तू भोला… जो ऐसा ही बिना देखे मेरे पीछे आ गया.. मेरे दादाजी का नाम भोला था.. अब मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा.. तुझे मार डालूंगा.. उसकी बात सुनते ही दादाजी ने अपनी ताकत लगा के खुद को संभाला और वहाँ से भागने लगे.. वो भ्रमराक्षस उनसे काफी आगे था। लेकिन उनके भागते ही वो भी उनके पीछे भागने लगा। लेकिन किसी तरह दादाजी अपने घर तक पहुंच गए। घर पहुंच के उनके पापा ने उनसे पूछा की क्या हुआ तुझे.. ऐसा भागता हुआ कहां से आ रहा है इतनी सुबह सुबह.. तो दादाजी ने सारी बात अपने घरवालों को बता दी और रोने लगे.. उनकी बात सुनके उनके पापा ने उनके ऊपर गंगा जल छिड़का और कुछ मंत्र पढ़े.. उसके बाद दादाजी को अगले कई दिनों तक तेज बुखार रहा लेकिन फिर वो ठीक हो गए।

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