जंगलो की खौफ्फ्नाक सच्ची कहानियाँ

दोस्तों इस दुनिया में बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो हमारी समझ से परे हैं. ऐसी ऐसी जगह है जहां इंसान ने आज तक पैर तक नहीं रखा है. बहुत सारी चीजें तो ऐसी हैं जिनको साइंस भी आज तक समझ नहीं पाया है.
सैकड़ों किलोमीटर में फैले जंगल जहाँ इंसान की सोच भी नहीं जा सकती, ऐसी जगहों पर किस किस तरह के रहस्य हो सकते हैं, हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते
हम लोग अपने घर के अंदर बैठकर अपने आप को सेफ महसूस करते हैं, लेकिन क्या पता इस दुनिया में और क्या क्या छुपा हुआ है.

यह वाला केस ज्यादा डरावना तो नहीं है लेकिन फिर भी आपको बताना चाहता हूं, क्योंकि हमारे क्योंकि हमें ऐसे cases भी मिला करते थे. एक बार एक 20 22 साल का यंग लड़का जंगल में घूमने गया था सर्दियों में. और वहां गायब हो गया.
वह ऐसे समय में जंगल में गया था जबकि किसी को भी जंगल में इतना दूर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि उस टाइम बहुत ज्यादा बर्फ पड़ रही होती है जंगलों में.
ज्यादातर रास्ते तो हम बंद ही कर देते थे अंदर जाने के लेकिन फिर भी कुछ बच ही जाते थे. तो फिर हमने उसको ढूंढने के लिए ऑपरेशन चलाया.
बता दूं कि उस साल कुछ ज्यादा ही बर्फ गिरी थी और जमीन पर 6 फीट मोटी बर्फ जमा हो गई थी. हमें शुरू से ही पता था की इतनी बर्फ में उसको ढूंढना नामुमकिन है और बसंत आने पर ही बर्फ के हटने के बाद ही उसका कुछ पता चल सकता है. और हुआ भी ऐसा ही. बर्फ के हटते ही एक hiker ने रिपोर्ट किया उसको एक बॉडी दिखाई दी है, मेन रास्ते से थोड़ा सा ही दूर.
हमें उसकी लाश एक पेड़ के नीचे मिली थी, पिघली हुई बर्फ के ढेर में. उसकी लाश देखते ही मैं समझ गया था कि उसके साथ क्या हुआ है और उस बात ने मुझे बहुत बेचैन सा कर दिया था.
आप में से जो लोग पहाड़ों पर रहते हैं जहां बहुत बर्फ गिरती है तो आपको भी पता होगा कि मैं क्या बात कर रहा हूं. होता क्या है कि जब बर्फ पड़ती है तो पेड़ो के नीचे बर्फ ज्यादा इकट्ठा नहीं होती, क्योंकि वह ऊपर पेड़ पर ही रह जाती है. तो पेड़ के चारों तरफ एक अलग सी जगह बन जाती है, जहां के बर्फ बहुत हल्की होती है. और एक गड्ढा सा बन जाता है पेड़ के चारों तरफ.
और जिसको इनके बारे में पता नहीं होता वह इनको देख कर पहचान भी नहीं सकते और इनमें फस जाते हैं. हम हर साल लोगों को सावधान रहने के लिए बोर्ड भी लगाते हैं, लेकिन हर साल दो चार लोग फँस ही जाते हैं इनमें.
जहां तक मेरा ख्याल है वह लड़का जंगल में चलते चलते थक गया होगा और थोड़ी देर आराम करने के लिए पेड़ के नीचे गया होगा, यह सोच कर कि वहां बर्फ कम है और उस गड्ढे में फस गया होगा.
उसका सिर नीचे और पैर ऊपर थे. उल्टा लटके लटके वह बहुत तड़पा होगा, सांस लेने के लिए छटपटाया होगा. उसके फेफड़ों में बर्फ भर गई होगी. यह सब सोचकर मैं बहुत बेचैन हो गया था. पता नहीं वह अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हों में क्या सोच रहा होगा.

जैसा कि मैंने आपको बताया था कि मेरा ज्यादातर टाइम घने जंगलों में ही बीतता था. तो मुझे कई बार लोग गोटमैन(goatman) के बारे में पूछते थे.
Goatman मतलब ऐसा आदमी या कहें शैतान जिसका चेहरा बकरे जैसा होता है और बाकी का शरीर इंसान जैसा. सच बताऊं तो मुझे खुशी है कि मेरा कभी ऐसे किसी आदमी से सामना नहीं हुआ. हां एक बार एक बिना आंखों वाला आदमी जरूर मिला था लेकिन उसको मैं ठीक से देख नहीं पाया.
लेकिन एक बार मेरे पास ऐसा केस आया जहां इसी से कुछ मिलता जुलता हुआ था मेरे साथ.
हमारे पास एक बार एक कॉल आई कि एक बूढ़ी औरत जंगल में बेहोश हो गई है और उसको बाहर के एरिया में लेकर आना है. तो हम जल्दी से उस जगह पर पहुंचे जो हमको बताई गई थी. वहां पहुंचे तो देखा कि उसका हस्बैंड भी वहीं पर है उसके साथ.
हम को देखते ही वह भाग के हमारे पास आया. उसने बताया कि वह अपनी वाइफ से बस थोड़ा सा ही दूर था और कुछ ढूंढ रहा था और वह उसके पीछे ही थी. कि अचानक उसको उसके चिल्लाने की आवाज आई वह उसके पास पहुंचा तो देखा कि वह बेहोश हो चुकी है.
तो फिर हमने उसको स्ट्रेचर पर लिटाया और बाहर लाने लगे. इसी बीच उसको होश आ गया और वह फिर से चीखने लगी. मैंने उस को शांत किया और उससे पूछा कि क्या हुआ है.
उसने बताया कि वह अपने हस्बैंड के पीछे ही थी, की उसको कोई अजीब सी आवाज सुनाई दी. उसने बताया कि उसको वह आवाज बिल्ली की सी लगी. लेकिन वह बहुत अजीब सी थी. वह थोड़ा पास गई उस आवाज को अच्छे से सुनने के लिए तो उसको लगा कि वह आवाज भी उसके नज़दीक आ रही है. उसने बताया कि जैसे जैसे वह आवाज उसके पास आ रही थी उसको मनहूसियत महसूस हो रही थी और आखिर में उसको पता चल गया कि वह आवाज कहां से आ रही है. वह कोई बिल्ली नहीं थी वह एक आदमी था जो बार-बार बिल्ली की आवाज निकाल रहा था और कोई आवाज नहीं सिर्फ– म्याऊ.. म्याऊ..
लेकिन उसने बताया वह कोई आदमी भी नहीं था वह हो ही नहीं सकता था क्योंकि उसने पहले कभी किसी आदमी को इस तरह की आवाजें निकालते नहीं सुना था.
उसने बताया कि उसको लगा शायद उसकी सुनने की मशीन कान से निकल गई है लेकिन ऐसा भी नहीं था. उसने मशीन को ठीक किया लेकिन वही आवाज आ रही थी वह पास आते जा रहा था लेकिन दिख नहीं रहा था. जैसे जैसे वह पास आ रहा था माहौल में मनहूसियत सी बढ़ती जा रही थी. उसने देखा की झाड़ियों में से कोई परछाई बाहर निकल रही है और यह देखकर वह बेहोश हो गई.
अब जाहिर है यह सुनकर मैं तो बहुत कंफ्यूज हो गया था कि क्यों कोई आदमी एक घने जंगल में लोगों को देख कर बिल्ली की आवाज निकालेगा. इसलिए नीचे बेस में पहुंचते ही मैंने अपने सीनियर से बोला कि मैं एक बार उस एरिया को चेक करना चाहता हूं. मेरे सीनियर ने मुझे परमिशन दे दी. मैंने अपनी वॉकी-टॉकी उठाई और वहां दोबारा पहुंच गया जहां वह औरत बेहोश हुई थी. मुझे वहां कोई नहीं दिखा, इसलिए मैं और आगे 1-2 किलोमीटर चलता रहा मुझे फिर भी कोई नहीं दिखा. तो फिर मैं वापस आने लगा. वापस आते समय मैं उसी रास्ते से वापस आ रहा था जहां से वे लोग वापस आए थे यह सोच कर की शायद मुझे वह जगह दिख जाए जहां से उसने उस आदमी को निकलते देखा था.
उस समय तक सूरज भी ढलने लगा था और अंधेरा छा रहा था. और मैं अंधेरे में इस घने जंगल में अकेला नहीं होना चाहता था. तो मैंने अपने दिमाग से वह बात निकाल दी और सोचा कि कल दिन में फिर से यहां आकर चेक करता हूं. अब जैसे ही मैं नीचे आ रहा था मुझे कुछ दूर कुछ अजीब सी आवाज सुनाई दी. मैं रूका और चिल्लाया कि कौन है, कोई जवाब तो नहीं आया लेकिन वही आवाज फिर से आई, आवाज ना तो तेज हुई ना ही हल्की हुई, लेकिन बिल्कुल ऐसी थी जैसे कोई आदमी बिल्ली की आवाज निकाल रहा हो, तो मैं उस तरफ आगे बढ़ता हूं जिस तरफ से वह आवाज आ रही थी, लेकिन मैं आवाज के पास ही नहीं पहुंच पा रहा था ऐसा लग रहा था कि वह आवाज चारों तरफ से आ रही है. फिर अचानक वह आवाज आनी बंद हो जाती है. मैं कुछ देर वहीँ रुकता हूं लेकिन पता नहीं क्यों दिल से आवाज आती है कि मुझे यहां से निकल जाना चाहिए. उसके बाद में अपने बेस्ट पर वापस आ जाता हूं. उसके बाद मुझे उस एरिया में कभी ऐसी आवाज सुनने की कोई रिपोर्ट नहीं मिली. मैं उस एरिया में दोबारा भी गया चेक करने के लिए लेकिन कुछ नहीं मिला हो सकता है वह किसी की शरारत हो लोगों को डराने के लिए, लेकिन फिर भी उसने मुझे थोड़ा सा तो परेशान कर ही दिया था.

इससे पहले मैंने आपको रहस्यमई सीढ़ियों के बारे में बताया था, कि कैसे हम को अक्सर घने जंगलों के बीच में जहां कोई इंसान आ भी नहीं सकता हमें सीढ़ियां रखी मिलती हैं. इन्हीं सीढ़ियों के बारे में मैं आपको और बताता हूं.
यह वाला किस्सा मेरे साथ नहीं बल्कि मेरे एक साथी के साथ हुआ था. मेरे साथी ने भी जब पहली बार वह सीढ़ियां देखी थी तो उसको भी बहुत अजीब लगा था और उसको भी उसके ट्रेनर ने सख्त हिदायत दी थी कि कभी उनके पास मत जाना उनको छूना मत और उनके ऊपर मत जाना. पहले 1 साल तो उसने इन बातों को अच्छे से माना, लेकिन एक बार वह अपने आप को कंट्रोल नहीं कर सका. और एक बार एक केस के चक्कर में जब वह जंगलों में था तो वह अपनी टीम से थोड़ा सा अलग हो गया उन सीढ़ियों को चेक करने के लिए.
उसने बताया कि वह लोग एक लड़की को ढूंढने के लिए जंगल में गए थे और उसके खोने की जगह से करीब 10 किलोमीटर दूर उसको ढूंढ रहे थे और खोजी कुत्ते उस लड़की की गंध का पीछा कर रहे थे. वह मेन टीम के पीछे अकेला ही था कि उसको अपने बाई ओर सीढ़ियां दिखाई देती है.
उनको देखकर लग रहा था वह किसी नए घर से निकाल कर रखी हो. क्योंकि उन पर बिछी कालीन बिल्कुल सफेद थी. उसने बताया कि जब वह उनके पास पहुंचा तो उसको कुछ भी अजीब सा महसूस नहीं हुआ, ना ही कोई अजीब सी आवाज सुनाई दी. उसको लग रहा था की उनके पास पहुंचते ही कुछ अजीब सा होने लगेगा जैसे कि उसकी नाक और कान से खून निकलने लगेगा या फिर वह बेहोश हो जाएगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
तो उसने पहली सीढी के ऊपर पैर रखा. उसने बताया कि उन सीढ़ीओ के बारे में जो चीज उसको सबसे अजीब लगी वह थी कि वह सीढ़ियां बिल्कुल साफ थी. उन पर किसी तरह की कोई धूल नहीं थी. ना ही कोई पत्ता गिरा था.
जबकि वह बीच घने जंगल में रखी थी और ना ही कोई गिलहरी या किसी दूसरे जानवर के पैरों के निशान उस पर थे जो की बहुत ही अजीब था.
उसने उन सीढ़ियों को हाथ लगाया लेकिन उसको कुछ अलग सा नहीं लगा. उसने अपनी वॉकी-टॉकी चेक की, कि वह ऑन तो है और फिर वह उन सीढ़ियों के ऊपर चढ़ गया. ऊपर चढ़ते हुए उसको बहुत डर लग रहा था क्योंकि जिस तरह की बातें उन सीढ़ीओ के बारे में करी जाती थी उसको लगा पता नहीं क्या हो जाएगा उसके साथ.
वह मज़ाक मज़ाक में मुझे बता रहा था कि उसको लगा कि या तो वह गायब हो कर किसी दूसरी दुनिया में पहुंच जाएगा या फिर कोई दूसरे ग्रह का प्राणी वहां आकर उसको पकड़ लेगा. लेकिन उस वक्त ऐसा कुछ नहीं हुआ, फिर वह सीढ़ियों के ऊपर पहुंच गया. उसने बताया कि जब वह सीढ़ियों के बिल्कुल ऊपर खड़ा था और चारों तरफ देख रहा था तो उसको ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो वह कुछ बहुत, बहुत गलत कर रहा है.
उसको ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई अभी आकर उसको पकड़ लेगा और उसको पीछे से गोली मार देगा किसी भी पल.
लेकिन उसने उन सब खयालो को वहम समझकर दिमाग से निकालना चाहा. लेकिन वह जितनी देर वहां खड़ा हो रहा था वह डर वाली फीलिंग बढ़ती जा रही थी. अचानक उसने महसूस किया कि उसको आसपास की जंगल की कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही है. यहां तक कि वह अपनी खुद की सांसें भी नहीं सुन पा रहा था. वह जल्दी से नीचे उतर आया.

लेकिन सबसे अजीब बात तो बाद में हुई उसने बताया कि शाम को जब वह अपने बेस वापस पहुंचा तो उसके सुपरवाइजर ने उसको अकेले में बुलाया. उसने बताया कि उसका सुपरवाइजर उसको बहुत ही गुस्से से देख रहा था. उसने अपने सुपरवाइजर से पूछा “क्या हुआ?”
“तुम उनके ऊपर गए थे ना” सुपरवाइजर ने गुस्से से पूछा.
उसने अपने सुपरवाइजर से पूछा कि उसको कैसे पता चला कि वह ऊपर गया था सुपरवाइजर ने अपना सिर झटकते हुए गुस्से से कहा-“क्योंकि वह लड़की हमको नहीं मिली और हमारे कुत्तों ने भी उसकी गंध खो दी”
मेरे दोस्त ने हैरानी से पूछा कि इन सब बातों का उसके ऊपर जाने से क्या मतलब है.
सुपरवाइजर ने उससे पूछा कि वह कितनी देर तक ऊपर था. उसने बताया बस दो-तीन मिनट.
उसके सुपरवाइजर ने उसको बहुत गुस्से से देखा जैसे कि वह अभी उठ कर उसको मारेगा और वह उसको गुस्से से बोला कि आज के बाद अगर वह उनके आसपास भी चला गया तो वह उसकी नौकरी का आखरी दिन होगा.
यह बोलकर उसका सुपरवाइजर वहां से चला गया

जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था कि मेरे पास आने वाले लगभग आधे केसेस खोए हुए लोगों के ही हुआ करते थे. जहां पर कि खोने वाले शख्स का कोई नामोनिशान तक नहीं मिलता था. ज्यादातर केसेस में होने वाला शख्स अगर कुछ ही घंटों में नहीं मिलता तो या तो वह कभी मिलते ही नहीं या फिर ऐसी जगहों पर मिलते जहां उनके होने का कोई मतलब ही नहीं होता. जैसे कि उनके खोने की जगह से सैकड़ों किलोमीटर दूर .

एक केस मुझे याद है, एक 5 साल का mentally challanged बच्चा जो कि खो गया था.
वह छोटा लड़का एक पिकनिक वाली जगह से गायब हो गया था. मेंटली चैलेंज्ड होने के साथ-साथ वह बच्चा अपाहिज भी था. और उसके मां-बाप हम को बार-बार समझा रहे थे कि वह बच्चा खुद से कहीं जा ही नहीं सकता और जरूर उसको किसी ने गायब किया है.
हमने उस बच्चे को कई हफ्तों तक ढूंढा उसके खोने की जगह से कई कई किलोमीटर दूर तक लेकिन उसका कोई नामोनिशान नहीं मिला.
यहां तक कि हमारे कुत्तों को भी उसकी कोई गंध नहीं मिली. उस पिकनिक एरिया से भी नहीं जहां से वह गायब हुआ था . ऐसे जैसे मानो कि वह लड़का कभी वहां आया ही ना हो. मां बाप पर भी शक गया लेकिन मां-बाप की हालत देखकर ऐसा नहीं लगा कि वह अपने मासूम बच्चे के साथ ऐसा कुछ गलत कर सकते हैं.
करीब 1 महीने बाद उसको ढूंढना बंद कर दिया गया. और कुछ टाइम बाद तो हम उसको भूल ही चुके थे.
कुछ महीनों बाद हम एक ऊंची पहाड़ी पर बर्फ में ऑपरेशन चलाने की ट्रेनिंग ले रहे थे कि अचानक कुछ दूर मुझे बर्फ में कुछ अजीब सा दिखाई देता है. जब मैं पास पहुंचता हूं तो मैं देखता हूं कि वह एक शर्ट है. जमी हुई और बर्फ में आधी बाहर निकली हुई. उस शर्ट का कलर और डिजाइन देख कर मैं तुरंत पहचान गया कि यह उसी बच्चे की शर्ट है.
और उसके करीब 20 कदम दूर ही हमें उस बच्चे की लाश मिलती है. आधी बर्फ में फंसी हुई.
उसको देख कर लग रहा था कि यह मुश्किल से दो-तीन दिन पुरानी लाश है. जबकि उस बच्चे को खोए हुए कई महीने हो चुके थे. जब हमने बॉडी को बाहर निकाला तो देखा कि बच्चा किसी चीज से लिपटा हुआ है. हमने बर्फ हटाकर ठीक से देखा तो हमें अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ. वह एक बड़ी बर्फ का टुकड़ा था जो कि बिल्कुल किसी इंसान की शेप में था. बच्चे ने उस बर्फ के टुकडे को इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि उसके हाथ और पैर उस बर्फ से चिपक गए थे.
मैंने वॉकी टॉकी पर अपनी टीम को वहां बुलाया और बॉडी को निकाला. सच बताऊं तो एसा बिल्कुल हो ही नहीं सकता था कि वह बच्चा अपने खोने की जगह से 70 किलोमीटर दूर चल कर उस जगह पहुंचा हो. क्योंकि वह चल भी नहीं सकता था. ऊपर से पोस्टमार्टम में पता चला की उसका पेट बिल्कुल खाली था यहां तक कि पानी भी नहीं था. यह सब बिल्कुल ऐसा था कि मानो किसी ने बच्चे को धरती से अचानक गायब कर दिया और फिर कुछ महीनों बाद उसको बर्फीले पहाड़ पर छोड़ दिया ठंड से मरने के लिए.

यह अगला केस जो बताने जा रहा हूं यह मेरी रिटायरमेंट के कुछ दिन पहले का ही है. हम जंगल के एक इलाके में गश्त करने गए थे क्योंकि वहां पिछले कुछ दिनों में हमें कुछ तेंदुआ के होने की कई रिपोर्ट मिली थी.
जंगल में लोगों को ढूंढने के अलावा हमारा एक काम यह भी होता था कि कोई जंगली जानवर उन जगहों पर ना जा पाएं जहां की लोग आते हैं. जब हमें ऐसा कोई इलाका मिलता है तो या तो हम उसको बंद कर देते हैं या फिर वहां लोगों को नहीं आने देते.
तो उस बार की बात बताऊं तो वापस आते समय मैं अकेला ही था. उस जगह बहुत ही घना जंगल था. दिन छुपने वाला था कि दूर मुझे किसी औरत के चीखने की आवाज सुनाई देती है. जैसा कि आपको पता होगा कि कई बार तेंदुए भी ऐसे ही आवाज निकालते हैं जैसे कि कोई औरत बहुत दर्द में हो और जोर से चीख रही हो. थोड़ा अटपटा सा तो लगा लेकिन कुछ खास डर नहीं लगा .
मैंने अपने बेस पर फोन किया और अपने सीनियर को बताया कि मैंने तेंदुए की आवाज सुनी है. और मैं उसी तरफ आगे बढ़ रहा हूं यह पता करने के लिए कि वह किस इलाके में है. उसके बाद मैंने दो तीन बार फिर वही चीख सुनी. हर बार बिल्कुल उसी जगह से जहां से वह पहली बार आई थी. और मुझे पक्का यकीन हो गया था कि तेंदुआ उसी जगह है.
फिर मैं वापस बेस पर जाने लगा. जैसे ही मैं वापस जाने के लिए पलटा मैंने फिर से एक तेज चीख सुनी. इस बार यह चीख मुझसे कुछ कदम दूर से ही आई थी. जाहिर है मैं डर गया और जल्दी जल्दी से वहां से निकलने लगा. मैं नहीं चाहता था कि कोई भूखा तेंदुआ मुझे पकड़कर अपनी भूख शांत कर ले. जैसे-जैसे मैं आगे जा रहा था वह चीखने की आवाज मेरे पीछे से आए जा रही थी. मैं भागने लगा. जब मैं अपने बेस के करीब 1 किलोमीटर नजदीक पहुंचा तो वह चीखने की आवाज बंद हो गई
मैंने पलट के देखना चाहा कि अभी भी कोई चीज मेरे पीछे है क्या. उस समय तक अंधेरा हो चुका था. और मैंने देखा कि थोड़ी सी दूर एक पेड़ के पास एक परछाई सी दिखाई देती है.
जो कि किसी आदमी की परछाई दिखाई पड़ती है. मैं जोर से उसको आवाज़ लगाता हूं कि जंगल में घूमने का टाइम खत्म हो गया है और वह अपने घर चला जाए. वह परछाई वहीं खड़ी रहती है. मैं उस परछाई के पास जाता हूं और उस परछाई के करीब 10 कदम दूर पहुंचते ही वह परछाई लंबे-लंबे कदम बढ़ाकर मेरी तरफ बढ़ती है और वही चीखने की आवाज निकालती है. बस वह देखते ही मैं पलट के जोर से भागता हूं अपने बेस की तरफ बिना पीछे देखें.
थोड़ी देर बाद वह चीखने की आवाज वापस जंगल की तरफ जाती सुनाई देती है. मैंने यह बात आज तक किसी को नहीं बताई. यहां तक कि अपने साथियों को भी बस तेंदुए की आवाज के बारे में ही बताया था.

मैंने अपने कैरियर में बहुत सारे लोगों के साथ काम किया है. और एक साथ काम करते-करते आपस में दोस्ती भी हो जाया करती थी. और कई बार जब हम लोग खाली होते थे तो आपस में एक दूसरे के डरावने किस्से सुनते थे.
आगे की कुछ कहानियां मेरे दोस्तों की बताई हुई है.
मेरी एक अच्छी दोस्त हुआ करती थी उसका नाम था KD.
हालांकि वह मुझसे 15 साल जूनियर थी लेकिन फिर भी वह अपने काम में बहुत तेज थी. और उसको हमारे डिपार्टमेंट के सबसे बेस्ट ऑफिसर्स में से जाना जाता था. हम दोनों ने बहुत सारे cases पर एक साथ काम किया था और उसने अपने कई किस्से मुझे सुनाए थे. उनमें से चार किस्से मैं आपको बताता हूं.

हम लोगों को ज्यादातर समय जंगलों और पहाड़ों पर ही गुजरता था. और ऐसी जगहों पर कोई खतरनाक हादसा होने के बहुत ही ज्यादा चांसेस होते थे. KD ने बताया कि कुछ साल पहले पहाड़ों पर बहुत ज्यादा बर्फ पड़ी थी. उस साल इतनी ज्यादा बर्फ पड़ी थी कि हर दूसरे दिन 2 फुट बर्फ जमा हो जाती थी रास्तों पर. लोगों को वार्निंग भी दी जाती थी पहाड़ों की तरफ ना जाने के लिए लेकिन फिर भी कोई ना कोई ऐसा निकल ही जाता था जो वार्निंग पर ध्यान ही ना दे.
उसने बताया कि उसी टाइम उनके पास एक बहुत ही भयानक केस आया था जिसमें एक पूरी फैमिली ही खत्म हो गई थी उनके पापा की गलती से. बार-बार दी गई वार्निंग को ना सुनकर भी वह अपने परिवार को पहाड़ों पर ले गया बर्फ में मस्ती करने के लिए. वह लोग बर्फ पर खेल रहे थे और KD के हिसाब से खेलते खेलते वह ऐसी बर्फ पर चले गए जो दिखने में तो मजबूत लग रही थी लेकिन नीचे से खोखली थी. अचानक से सारी बर्फ ढह गई. और वह लोग नीचे 300 फ़ीट खाई में जा गिरे. नीचे सीधा पत्थरों पर गिरे थे. तो मां-बाप और एक बच्चा तो वहीँ गिरते ही मर गए, लेकिन दो बच्चे बच गए. एक का सिर्फ एक पैर टूटा था और कुछ पसलियां टूटी थी जबकि दूसरे बच्चे को सिर्फ कुछ खरोंचे ही आई थी. तो वह बच्चा जिस को चोट नहीं लगी थी वह अपने भाई को वहीं छोड़ कर आगे चला गया, यह सोच कर की शायद कुछ मदद मिल जाए.
KD ने बताया कि वह मुश्किल से आधा किलो मीटर दूर ही गया होगा की तूफान की चपेट में आ गया. वह शायद तूफान से बचने के लिए यह कुछ देर आराम करने के लिए वहां रुक गया होगा, लेकिन बच नहीं पाया. बच्चा ठंड में जम गया और मर गया.
KD की टीम जब उस फैमिली को ढूंढने गई तो उनको आसानी से वह फैमिली मिल गई, क्योंकि कुछ लोगों ने उस फैमिली को जाते हुए देखा था पहाड़ों के उस तरफ. और वह बच्चा जो मदद के लिए आगे गया था वह भी सबसे पहले KD को ही मिला था. KD ने बताया कि जब वह बच्चे को ढूंढ रही थी तो उसको कुछ दूर पत्थर पर कोई बैठा हुआ दिखाई दिया. वह जल्दी से भागकर उसके पास पहुंची.
KD ने बताया कि उसके पास पहुंचते हुए उसको दिख गया था कि वह कोई बच्चा है और यह भी कि वह मर चुका है. और उसकी मौत बहुत दर्दनाक थी. उसने बताया कि बच्चा सीधा बैठा हुआ था. उसके घुटने उसकी छाती पर लगे हुए थे और दोनों हाथों से उसने अपने पैरों को जकड़ा हुआ था जैसे कि ठंड से बचने के लिए सिकुड़ कर बैठा हो. उसके कोट के कॉलर खड़े थे और उसने अपना सर अपने कोट की कॉलर्स में छुपाया हुआ था.
KD ने बताया कि जब उसने कॉलर को हटाया बच्चे का चेहरा देखने के लिए तो उसने देखा कि मरते हुए बच्चा रो रहा था. उसका चेहरा बहुत डरा हुआ था और उसकी आंखों में आंसू थे जो की जम चुके थे. मरते समय बच्चा बहुत ज्यादा डरा हुआ था और रो रहा था, और ठंड में ठिठुरते हुए उसकी मौत हो गई.
एक मां होने के नाते KD की भी आंखों से आंसू आ गए उस बच्चे का चेहरा देखकर.
वह बार-बार उनके पापा को कोस रही थी उन मासूम बच्चों की मौत के लिए.

दूसरी कहानी जो KD ने मुझ को बताई थी वह तब की थी जब वह नई-नई ही थी इस डिपार्टमेंट में. उसने बताया कि उनकी टीम को एक रिपोर्ट मिली थी एक पुराने हाईकर(hiker) के वापस ना आने की. उस हाईकर की वाइफ को यकीन था कि जरूर उसके साथ कुछ बहुत बुरा हुआ है क्योंकि ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वह टाइम पर वापस ना आया हो. तो KD की टीम उसको ढूंढने के लिए गयी और उनको कुछ बेहद मुश्किल पहाड़ियां चढ़नी पड़ी थी उस जगह पर पहुंचने के लिए. KD ने बताया कि जब वह लोग ऊपर पहुंचे तो वह एक फ्लैट इलाका था. कुछ दूर आगे चलते ही उनको बर्फ पर खून दिखाई देता है. वह लोग उस रास्ते पर आगे बढ़ते हैं जहां जहां खून पड़ा होता है. आगे बढ़ते हुए उनको कुछ मांस के टुकड़े भी पड़े हुए दिखाई देते हैं. लेकिन उनको देखकर बता पाना मुश्किल था कि यह मांस शरीर के कौन से हिस्से का है. लेकिन जैसे जैसे वे लोग आगे बढ़ते हैं उनको और मांस के टुकड़े मिलते जाते हैं बर्फ में. और आखिर में उनका पीछा करते-करते वह एक गुफा में पहुंचते हैं. अंदर उनको वह Hiker पड़ा हुआ मिलता है.
KD ने बताया कि वहां इतना सारा खून था जितना उसने अपनी जिंदगी में नहीं देखा. हाईकर मुंह के बल नीचे पड़ा होता है, ऐसा मानो कि उसकी मौत रेंगते रेंगते हुई हो. वह पास जाकर ध्यान से देखती है तो दिखता है कि उसका पेट फटा हुआ है और अंदर की सारी अंतड़ियां बाहर लटक रही है. आसपास उनको कुछ बहुत बड़े पैरों के निशान भी दिखाई देते हैं जैसे किसी भालू या किसी और बड़े जानवर के हूं. लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था कि उसको किसी जानवर ने मारा हो क्योंकि पहली बात तो उनको वहां किसी जानवर के होने की कोई रिपोर्ट नहीं आई थी, दूसरी अगर किसी जानवर ने उसको मारा होता तो उस को खाया भी होता. लेकिन उसके शरीर का कोई हिस्सा खाया नहीं हुआ था. सिर्फ पेट फटा हुआ था. ऐसा लग रहा था कि मानो किसी ने उसके पेट में हाथ डाला और पेट को फाड़ दिया. उसके साइड में एक कुल्हाड़ी भी पड़ी हुई थी. जिसकी मदद से बर्फ पर चढ़ा जाता है. और उस पर भी खून लगा हुआ था. पहले तो सबको यही लगा की शायद वह उस कुल्हाड़ी की मदद से ऊपर चढ़ रहा होगा और ऊपर चढ़ते हुए फिसल गया होगा और नीचे गिरते ही उसकी कुल्हाड़ी उसके पेट में घुस गई होगी. और वह रेंगते रेंगते उस गुफा तक पहुंचा होगा. यह थ्योरी बिल्कुल ठीक बैठ रही थी सिवाय एक सवाल के, कि वह पैरों के निशान किसके थे. इस का कभी कोई जवाब नहीं मिला.

मैंने केडी से पूछा कि कोई ऐसा किस्सा सुनाओ जिसमें कोई बिल्कुल गायब ही हो गया हो.
सुनते ही वह हंस पड़ी और बोली- डरोगे तो नहीं ?
मैंने कहा -नहीं, सुनाओ.
उसने बताया कि उसकी शुरूआत के ही दिनों में उसको एक केस मिला था जो कि मीडिया में भी बहुत पॉपुलर हुआ था. उसने बताया कि एक फैमिली जंगल में गई थी पिकनिक मनाने के लिए. वह लोग मेन एंट्रेंस के पास ही बेर(berries) तोड़ रहे थे. फैमिली में दो छोटे लड़के थे. दोनों की उम्र 5 साल से कम ही थी.
दिन का ही समय था और बेर तोड़ते हुए ही एक बच्चा गायब हो गया.
बच्चे को ढूंढने के लिए बहुत ही बड़ा ऑपरेशन चलाया गया. लेकिन बच्चे का कहीं कोई नामोनिशान नहीं मिला. यहां तक कि कुत्तों को भी बच्चे की कोई गंध नहीं मिली. यह भी उन्ही cases जैसा ही था, जहां लग रहा था कि बच्चा वहां गया ही नहीं.
बच्चे को करीब 2 महीने ढूंढा गया लेकिन बच्चा नहीं मिला. न ही बच्चे की कोई लाश मिली. आखिर में केस बंद कर दिया गया.
करीब 6 महीने बाद वही फैमिली एक मेमोरियल पर फूल चढ़ाने के लिए आती है जो कि उसी खोए हुए बच्चे की याद में बनाया गया था. वह अपने दूसरे लड़के को साथ लाते हैं. जैसे ही मां बाप फूल चढ़ा रहे होते हैं छोटा लड़का उनके पीछे ही खड़ा होता है. और इन्ही 2-3 सेकेंड्स में वह भी गायब हो जाता है. ऐसे जैसे की हवा में गायब हो गया हो. अब जाहिर है कि मां बाप का रो रो कर बुरा हाल था. एक बच्चे को खोने का दर्द क्या काम था कि उनका दूसरा बच्चा भी गायब हो जाता है. बहुत ही बड़ा ऑपरेशन चलाया गया उस बच्चे को ढूंढने के लिए. इतना बड़ा जितना कि हमारे स्टेट में किसी को ढूंढने के लिए पहले कभी नहीं चलाया गया था. करीब 300 लोगों को काम पर लगाया जाता है पार्क का एक-एक इंच खोजने के लिए. लेकिन फिर से वही.
बच्चे का कहीं कोई निशान नहीं मिला. ऑपरेशन करीब एक हफ्ता चला उसके खोने की जगह से 10-20 किलोमीटर दूर दूर तक. फिर 1 दिन करीब 2 हफ्ते बाद एक वॉलंटियर(volunteer) को दूसरा बच्चा मिल जाता है. उसके खोने की जगह से करीब 20 किलोमीटर दूर. वॉलंटियर ने बच्चे की खबर देने के लिए हमारे रेडियो फोन पर कॉल किया.
हम सब को लगा कि बच्चे की डेड बॉडी मिली होगी. लेकिन वॉलंटियर ने बताया कि ना सिर्फ बच्चा जिंदा है बल्कि बिल्कुल अच्छी हालत में है. KD और उसकी टीम बच्चे को लेने के लिए जाते हैं. और वहां पहुंचकर जब वह बच्चे को देखते हैं तो उनको अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं होता कि यह वही बच्चा है जो इतने दिनों से गायब है. उसके कपड़े बिल्कुल साफ थे. मिट्टी का एक कतरा तक नहीं था. यहां तक कि बच्चा बिल्कुल डरा हुआ भी नहीं था. वॉलंटियर ने बताया कि जब उसको वह बच्चा मिला तब वह एक बड़े लक्कड़ के ऊपर बैठा हुआ था और एक घास की बनी बॉल से खेल रहा था, जिसको की किसी पुरानी रस्सी से बांधा हुआ था.
KD ने बच्चे से पूछा कि वह 2 हफ्ते तक कहां था और किसके साथ था. बच्चे ने बताया कि वह धुंधले आदमी के साथ था.
KD हैरान होकर उससे पूछती है –“कौन धुंधला आदमी? क्या उसके चेहरे और शरीर पर बाल थे”
बच्चा कहता है नहीं उसके शरीर पर कोई बाल नहीं था वह धुंधला आदमी था. जैसे की हम थोड़ी थोड़ी आंख खोलकर देखते हैं तो हमको सब blurry या धुंधला दिखाई देता है बिल्कुल वैसा.
बच्चे ने बताया कि वह आदमी जंगल में से आया और उसका हाथ पकड़कर उसको अपने साथ घने जंगल में ले गया. बच्चे ने बताया कि वह एक पेड़ के अंदर सोता था जो कि अंदर से खोखला था और वह धुंधला आदमी उसको खाने के लिए बेर दिया करता था. KD ने हैरान होकर पूछा कि क्या वह आदमी डरावना था क्या वह तुम को मारता भी था ??
बच्चे ने बताया नहीं नहीं वह मुझे बिल्कुल परेशान नहीं करता था और डरावना भी नहीं था. बस उसको उसका चेहरा पसंद नहीं था क्योंकि उसकी आंखें नहीं थी.
केडी ने बताया कि उसके बाद वह उसको हेडक्वार्टर ले जाते हैं जहां से कि एक पुलिसवाला बच्चे को अपने साथ ले जाता है उसके गायब होने की पूछताछ करने के लिए. वह पुलिसवाला भी KD का ही दोस्त था और उसने KD को बताया कि बच्चा यही बता रहा था कि कोई धुंधला आदमी उसको अपने साथ जंगल में ले गया जहां वह एक पेड़ के अंदर रहता था. और जब भी उसको भूख लगती तो वह आदमी उसको खाने के लिए बेर दे देता. वह धुंधला आदमी बच्चे को खेलने भी देता, लेकिन बस थोड़ी ही दूर तक. और अगर बच्चा दूर चला जाता तो वह बहुत गुस्सा करता और जोर से चिल्लाता, वह भी बिना मुंह के. बच्चे ने बताया कि रात में अगर उस को अंधेरे में डर लगता तो वह आदमी रात में भी रोशनी कर देता और उसको घास से बनी बॉल देता खेलने के लिए. बच्चे ने बताया कि वह धुंधला आदमी उसको अपने साथ रखने वाला था. लेकिन उसने उसको छोड़ दिया क्योंकि वह वैसा नहीं था जैसा उसको चाहिए था. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि बच्चा क्या बात कर रहा है. बच्चे ने बताया कि उसको उसके भाई के बारे में कुछ नहीं पता और उसके भाई को कभी उसने देखा भी नहीं उसके खोने के बाद. उसके भाई की भी उसके बाद कभी कोई खबर नहीं मिली.

आखिरी कहानी KD ने जो मुझे बताई वह तब की थी जब वह नयी नयी थी इस डिपार्टमेंट में. और अपने ग्रुप से अलग हो गई थी. हुआ यूँ कि वह अपने ग्रुप के साथ एक जंगल में गई थी एक ट्रेनिंग के लिए और उसी बीच लंच ब्रेक के दौरान अपने ग्रुप से थोड़ा सा दूर चली गई क्योंकि उसको टॉयलेट जाना था. टॉयलेट करके वह अपने ग्रुप के पास जाने लगती है. उसने बताया कि वह बस 5 6 फीट आगे बढ़ी थी कि वह रास्ता भूल जाती है. और उसको याद ही नहीं रहता कि वह कहां निकल गई है. और उसको बिलकुल भी पहचान नहीं आ रहा था कि वह किस जगह पर है. ऐसे जैसे कि उसकी याददाश्त चली गई है. तो थोड़ी देर के लिए वहां खड़ी हो जाती है ओर सोचती है कि वह कहां है और अब उसे क्या करना है. लेकिन वह जितनी ज्यादा देर वहां खड़ी होती है उसकी कंफ्यूजन बढ़ती जाती है. इसीलिए वह फिर से चलना शुरु कर देती है. वह एक दिशा पकड़ लेती है और उसी तरफ आगे बढ़ती जाती है. लेकिन एक पॉइंट के बाद उसको लगता है कि उसको तो कुछ याद ही नहीं आ रहा है यहां तक कि उसको यह भी समझ नहीं आ रहा था कि वह इतने घने जंगल में कर क्या रही है. KD ने बताया–” मैं चलती जाती हूं और फिर मुझको अपने सर के अंदर से कोई आवाज सुनाई देती है. बहुत हल्की हल्की सी. और वह आवाज मुझे बार-बार कह रही थी. कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा. बस तुम कुछ खा लो, खा लो, खा लो. तो मैं अपने चारों तरफ कुछ खाने के लिए ढूंढने लगती हूं और कसम से मुझे अपनी जिंदगी में कभी इतनी भूख नहीं लगी थी जितनी उस वक्त लग रही थी. सच बताऊं तो मैं उस समय इतनी भूखी थी कि मेरे सामने कुछ भी होता तो मैं उसे खा लेती.
मुझे वक्त का कोई अंदाजा ही नहीं रह गया था, इसीलिए मुझे यह भी नहीं पता था कि मैं वहां कितनी देर तक थी. तभी मुझे कुछ दूर से एक असली आवाज आती सुनाई देती है. मैं आगे बढ़ती हूं तो देखती हूं कि मेरी ही टीम का साथी मुझे ढूंढ रहा है. वह बहुत ज्यादा डरा हुआ था. वह मेरी तरफ भाग कर आता है और मुझ से पूछता है कि क्या मैं ठीक हूं, और मैं वहां क्या कर रही हूं.
और सबसे अजीब बात मैं आपको बताऊं तो जब वह मेरी तरफ भाग के आ रहा होता है तो मेरा दिल कर रहा होता है कि मैं अपना चाकू निकालूं और उसको मार कर खा लूँ. पता नहीं क्यों मुझे और कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. सिर्फ यही लग रहा था कि किसी तरह अपनी भूख शांत कर लूं. वह मुझे मेरा चाकू निकालते हुए देखता है तो एकदम से पीछे हो जाता है. और मुझ पर जोर से चिल्लाता है. उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर मानो मैं नींद से जाग जाती हूं. मैं अपने चारों तरफ देखती हूं तो मुझको याद आता है की मैं कहाँ हूँ. मैं अपने साथी से पूछती हूं कि मैं कितनी देर से बाहर हूं. मुझे लगा वह बोलेगा की कोई 1- 2 घंटों से. लेकिन वह बताता है कि मैं 2 दिन से गायब हूं. मैं दो पहाड़ियां चढ़ चुकी हूं और पहाड़ के दूसरी तरफ पहुंच चुकी हूं. मैं करीब 300 किलोमीटर दूर पैदल चल चुकी थी और अगर मैं आगे भी चलती जाती तो शायद वह मुझे कभी ढूंढ भी नहीं पाते. उन सब को लगा कि मैं मर चुकी हूं.
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था. मेरे लिए तो मानो जैसे वक्त बिलकुल रुक सा गया था. मेरा साथी मुझको पिकअप पॉइंट पर ले जाता है जहां मुझे हेलीकॉप्टर से एयरलिफ्ट करवाकर हॉस्पिटल ले जाया जाता है. हॉस्पिटल में तमाम तरह के टेस्ट कराए जाते हैं यह पता लगाने के लिए कि मुझे क्या हो गया था. टेस्ट में कुछ पता नहीं लगता. सब को लगता है कि शायद मुझे किसी तरह का कोई दौरा आया और मैं सब भूल गई कुछ देर के लिए. लेकिन सच्चाई यही है कि किसी को भी, यहां तक कि मुझे भी नहीं पता था कि मुझे क्या हुआ था. लेकिन सच बताऊं तो उस दिन के बाद मैं जंगल में कभी अकेली नहीं गई. मेरे दोस्त कई बार मेरा मजाक भी उड़ाते थे इस बात को लेकर. लेकिन टॉयलेट करने के लिए किसी को साथ ले जाना अच्छा है बजाय इसके कि मैं कभी वापस ही ना आऊं.

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मेरा एक और बहुत अच्छा दोस्त था. उसका नाम है एडवर्ड. यह काल्पनिक नाम है क्योंकि मैं उसका असली नाम सबके सामने नहीं बताना चाहता. एडवर्ड एक ट्रेनर हुआ करता था लेकिन बाद में वह EMT में चला गया था. EMT मतलब इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट.
अभी तो वह भी नौकरी छोड़ चुका है मेरी तरह, लेकिन फिर भी कई बार जब जरूरत पड़ती है तो हम जैसे पुराने ऑफिसर्स को भी बुला लिया जाता है ऑपरेशन में.
एडवर्ड को खोए हुए बच्चे ढूंढने में महारत हासिल थी. पता नहीं कैसे उसको पता चल ही जाता था कि बच्चे किस तरफ गए हैं. इस काम में तो उसको उस्ताद ही माना जाता था. एक बार वह मेरे घर आया था डिनर के लिए. तो खाना खाते हुए हम एक दूसरे को अपनी अपनी कहानियां सुनाने लगे. उसकी ज्यादातर कहानियां नॉर्मल ही थी. तो मैंने उससे बोला कि कुछ ऐसी कहानियां सुनाओ जहां कुछ अजीब हुआ हो.
मैंने उसको सीढ़ियों के बारे में बताया कि एक बार मेरा एक दोस्त उनके ऊपर चला गया था. यह बात सुनकर एडवर्ड चुप हो गया. फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या तुमने उस बच्चे की कहानी सुनी है जो कुछ साल पहले एक पार्क से गायब हो गया था?? मैंने कहा नहीं मुझे मुझे तो नहीं पता.
उसने मुझे पूरी कहानी सुनाई.
वह लोग एक खोज 11 साल के लड़के को ढूंढ रहे थे. वह बच्चा एक नदी किनारे से गायब हो गया था. सबसे पहले तो सबको यही लगा की शायद बच्चा नदी में गिर गया होगा और डूब के कहीं दूर बह गया होगा. लेकिन जब खोजी कुत्तों को बुलाया गया तो वह उन्हें नदी से दूर घने जंगल में ले गए. जंगल के जिस इलाके में कुत्तों को गंध मिल रही थी वह बहुत ही ज्यादा घना था. तो उन लोगों ने कुछ टीम्स बनाई और उस इलाके का चप्पा चप्पा छानने लगे. आगे बताने से पहले आप लोगों को बता दू कि जब भी हम टीम्स बनाकर ढूंढते हैं तो जिस भी जगह को हमें ढूंढ़ना होता है हम उस इलाके को छोटे-छोटे हिस्सों में डिवाइड कर लेते हैं. जिससे कि कोई भी जगह ना छूट जाये. तो जब वह लोग वहां ढूंढ रहे थे तो उनको बच्चे के वहां आने के निशान मिलने लगे. लेकिन उनको बहुत ही अजीब सा पेटर्न दिखाई दे रहा था बच्चे के वहां होने का. जैसे कि एक हिस्से में कुत्तों को गंध मिलते तो उसके अगले हिस्से में वह गंध खो देते. फिर उसको अगले हिस्से में फिर से गंध मिल जाती है तो अगले हिस्से में फिर से खो देते. सब कंफ्यूज से थे कि ऐसा कैसे हो सकता है. जैसे शतरंज के बॉक्स होते हैं ना. एक बॉक्स में गंध मिलती तो अगले बॉक्स में गायब हो जाती फिर अगले में फिर से मिल जाती. ऐसा लग रहा था मानो बच्चा उछल-उछलकर आगे गया हो. लेकिन वह तो हो ही नहीं सकता था इस घने जंगल में.
एडवर्ड आगे बढ़ ही रहा था कि अचानक उसको करीब 50 फीट दूर सीढ़ियां दिखाई देती हैं. वह तुरंत अपने साथी को बताता है. और उसको आगे चलकर उन सीढ़ीओ को चेक करने के लिए बोलता है. लेकिन उसका साथी साफ साफ मना कर देता है. वह एडवर्ड को साफ बोल देता है कि वह कभी उन सीढ़ियों के पास नहीं जाएगा. वह एडवर्ड से कहता है तुम चाहो तो वहां जाकर चेक कर सकते हो लेकिन मैं नहीं जाऊंगा. मैं यही खड़ा होकर तुमको देखता हूं. एडवर्ड को गुस्सा तो आता है लेकिन उसको भी पता था कि उनको उन सीढ़ियों के पास जाने की सख्त मनाही थी. इसलिए वह अपने साथी को फ़ोर्स भी नहीं करता. और अकेले ही सीढ़ियों की तरफ बढ़ता है. एडवर्ड ने बताया कि वह सीढ़ियां छोटी थी. आमतौर पर जैसी बेसमेंट में होती है ना वैसी ही. और उनकी तरफ बढ़ते हुए उसको कोई डर भी नहीं लग रहा था. एडवर्ड ने बताया –“उनके करीब पहुंचते ही मैं देखता हूं कि सबसे नीचे वाली सीढ़ी में कुछ रखा हुआ है, कुछ लिपटा हुआ. यह देखते ही मेरे दिल में डर सा आ जाता है. मैं बार-बार सोच रहा था कि सब कुछ ठीक हो और बच्चा सही सलामत मिल जाए. हमें पूरी उम्मीद भी थी कि बच्चा सही सलामत मिल जाएगा क्योंकि उसको खोए हुए कुछ घंटे ही हुए थे. लेकिन थोड़ा और करीब पहुंचते ही मैं समझ गया था कि यह वही बच्चा है और यह भी कि वह अब जिंदा नहीं है. उसको देखने से ही पता चल रहा था कि मरते समय वह भयंकर दर्द से गुजरा था. लेकिन मुझे वहां बिल्कुल भी खून नहीं दिखाई दिया. हां उसकी थोड़ी और होंठ पर थोड़ा सा खून जरूर लगा था. मैंने अपने बाकी साथियों को रेडियो पर कॉल किया और वहां बुलाया. फिर हमने उसकी बॉडी को वहां से निकाला. बच्चे के परिवार का रो रो कर बुरा हाल था. उनको समझ ही नहीं आ रहा था कि बच्चा मर कैसे सकता है जब कि उसको खोए हुए अभी दो-तीन घंटे ही हुए थे. ना ही हमें उसकी मौत का कोई कारण दिखाई पड़ रहा था. और इसकी वजह से हम उन लोगों को कोई जवाब भी नहीं दे पा रहे थे. हम लोग ज्यादा नहीं सोचना चाहते थे इस बारे में. इसलिए हमने यही मान लिया कि शायद बच्चे ने कोई जहरीला फल खा लिया और उसकी मौत हो गई. उसके बाद मैं अपने घर चला गया और कोशिश करता रहा कि इस बारे में ना सोचू. बच्चों की लाश देखकर मैं टूट सा जाता हूं. मुझे अपनी नौकरी बहुत प्यारी थी, लेकिन बच्चों की लाशें देखने की हिम्मत मेरे अंदर नहीं थी. मेरी खुद की दो बेटियां हैं और उनको कुछ खो जाने का ख्याल भी…..

ख़ैर यही वजह थी कि आखिर में मुझे वह नौकरी छोड़नी ही पड़ी. ज्यादातर cases में हम मौत की वजह जानने की परवाह नहीं करते क्योंकि वह हमारा काम नहीं है. लेकिन मेरा एक दोस्त पुलिस डिपार्टमेंट में ही था. और जब भी ऐसा कोई अजीब सा केसा आता था तो वह मुझे जरूर बता देता था उसके बारे में. तो करीब 1 हफ्ते बाद वह मुझसे पूछता है कि क्या मुझे उस बच्चे के बारे में याद है ?
मैंने कहा बिल्कुल बहुत अच्छे से याद है.
तो वह बताता है कि यहां कुछ बहुत ही अजीब सा चल रहा है. वह बताता है कि जिन डॉक्टर ने उस बच्चे का पोस्टमार्टम किया था उनको समझ ही नहीं आ रहा था कि बच्चे की मौत कैसे हुई. डॉक्टर्स ने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा केस नहीं देखा था. उसने बताया कि जब डॉक्टर ने उस उस बच्चे की बॉडी को खोला पोस्टमार्टम के लिए तो उनको यकीन ही नहीं हुआ अपनी आंखों पर. उसने बताया कि बच्चे के अंदर के हर एक हिस्से में छेद हो रखे थे. सिर्फ उसके दिल और फेफड़ों को छोड़कर. उसके पेट किडनी यहां तक कि एक टेस्टिकल में भी छेद हो रखे थे. बिल्कुल साफ छेद. ऐसा मानो की लेजर से किए गए हो. छेद इतनी सफाई से किए गए थे कि मानो किसी मशीन से किए गए हो. लेकिन सिर्फ अंदर के हिस्सों पर. ऊपर से बच्चे की बॉडी पर खरोच तक नहीं थी. ना किसी कटे का निशान था. डॉक्टर को समझ ही नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है. मैंने उससे पूछा कि क्या और भी कोई ऐसा केस आया है कभी तुम्हारे पास. तो उसने बताया कि नहीं ऐसा वह पहला ही केस था. लेकिन डॉक्टर को अपनी रिपोर्ट देनी ही होती है. तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यही लिखा कि बच्चे की मौत अंदरूनी ब्लीडिंग की वजह से हुई है.
हालांकि उनमें से किसी को नहीं पता था कि ऐसा कैसे हुआ.
एडवर्ड ने बताया कि सालों बीत जाने के बाद भी वह उस बच्चे को भूल नहीं पाया है.
और तो और वह अपने बच्चों को भी कभी जंगल में नहीं जाने देता है और कभी वह बाहर जाते भी हैं तो वह उनको कभी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देता है. बातों बातों में हमारा डिनर भी हो जाता है. और वह बाहर जाने लगता है. जाते-जाते वह मेरे कंधों पर हाथ रखता है और पास आकर धीरे से बोलता है. वह बोलता है कि इन जंगलों में बहुत खतरनाक चीजें मौजूद हैं ऐसी चीजें जिनकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते. ऐसी चीजें जिनको कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा परिवार भी है, कि हमारे बच्चे हैं, हमें दर्द होता है और हम कुछ महसूस भी कर सकते हैं. वह मुझसे बोलता है कि इन जंगलों में हमेशा अपना ध्यान रखना.
यह कहकर वहां से चला जाता है.

अपने दोस्तों की बात करूं तो मेरा एक और बहुत अच्छा दोस्त हुआ करता था. उसका नाम पॉल है.
एक दिन अचानक उससे मुलाकात हो गई और हम कुछ देर बैठ गए गप्पे मारने के लिए. हम दोनों ने कई साल एक साथ काम किया था. लेकिन फिर उसका दूसरे स्टेट में ट्रांसफर हो गया था. तो बातों बातों में हम उन रहस्यमई सीढ़ियों के बारे में बात करने लगे. मैंने उससे पूछा है कि मैं उनके बारे में और जानना चाहता हूं. वह कुछ देर के लिए चुप हो गया. वह मुझे कुछ बताना चाहता था लेकिन बता नहीं रहा था. मैं उसको फिर से पूछता हूं. तो वह मुझसे कहता है ठीक है लेकिन उससे पहले अपना रेडियो फोन बंद कर लो.
हम अपना रेडियो फोन कभी बंद नहीं करते हैं, क्योंकि किसी भी इमरजेंसी में हमें इसी पर मैसेज मिलता है. लेकिन मैंने सोचा 10-15 मिनट में क्या फर्क पड़ता है. तो मैंने अपना रेडियो फोन बंद कर लिया.
उसने बताया कि करीब 7 साल पहले एक ऑपरेशन पर गया था जंगल में. उसके साथ एक नया नया लड़का था जिसने कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया था. वह जंगल के एक ऐसे हिस्से में थे जहां से बहुत सारी अजीब अजीब घटनाओं के होने की रिपोर्ट मिल चुकी थी. अजीब अजीब घटनायें जैसे कि किसी के गायब हो जाने या रात में अजीब अजीब सी आवाजें आने या फिर रात में रंग बिरंगी लाइट दिखाई देने की घटनाएं.
पॉल ने बताया कि वह नया लड़का बहुत डरा हुआ था और बार बार जंगल में होने वाली अजीब बातों के बारे में बात कर रहा था. उसने बताया कि वह लड़का बार-बार गोटमैन(goatman) का नाम ले रहा था. गोट मैन यानी किया ऐसा आदमी जिसका चेहरा बकरे जैसा होता है और बाकी का शरीर इंसान जैसा. गोटमैन ये गोटमैन वो. बस यही बातें करे जा रहा था.
आखिर में मैंने उसे बोला कि इन भयानक जंगलों में गोटमैन के अलावा भी बहुत सारी चीजें हैं जिससे तुम को डरना चाहिए. इसलिए बेहतर होगा कि तुम गोटमैन का नाम लेना बंद करो. लड़के ने पूछा किस तरह की चीजें . मैंने उससे बोला अपना मुंह बंद रखो, काम पर ध्यान दो. आगे हमने एक छोटी सी पहाड़ी पार करी और उस को पार करते ही हम से करीब 30 फीट दूर हमें सीढ़ियां दिखाई दी.
लड़का चुप करके खड़ा हो जाता है. बिल्कुल चुप चाप. उन सीढ़ियों को वहां देख कर मैंने कहा, देखा यह वह चीज है जिसे तुम को डरना चाहिए. लड़के ने हैरानी से मुझे पूछा कि वह सीढ़ियां इस घने जंगल में क्या कर रही है और वह उनके बारे में जानना चाहता है. अब वह लड़का हमारी टीम ज्वाइन कर ही चुका था तो ना चाहते हुए भी मैं जो कुछ भी जानता था उनके बारे में मैं उसको सब बताता चला गया. मैंने उसको बोला कि तुम को इतना सब कुछ बताने के बाद मैं भी मुसीबत में पड़ सकता हूं. लेकिन तुम अच्छे लड़के हो इसी लिए बेहतर होगा की इनके बारे में ज्यादा सवाल ना पूछो. और इनसे दूर ही रहो. लड़का पॉल की बात अच्छे से समझ गया. मैंने फिर उससे पूछा कि मुझे और बताओ इन सीढ़ियों के बारे में. जितना भी तुमको पता है सब कुछ. बातें करते करते Paul अचानक से रुक गया और मुझसे बोला, ठीक है मैं तुमको सब बताता हूं. लेकिन भूल कर भी हमारे सुपरवाइजर्स को इसके बारे में मत बताना. मैंने कहा बिल्कुल नहीं. फिर वह मेरा रेडियो फोन चेक करता है कि मैंने उसे ठीक से बंद किया है या नहीं. पॉल ने बताया, जब मैंने नौकरी शुरू ही की थी तब हम आपस में बिल्कुल बातें नहीं करा करते थे इन सीढ़ियों के बारे में. ना ही जंगल में होने वाली दूसरी चीजों के बारे में.
यहां तक कि जब कोई हमारी टीम ज्वाइन करने वाला होता तो उसके ज्वाइन करने से पहले ही हम उसको warn कर देते थे कि उसका सामना कुछ बहुत डरावनी चीजों से हो सकता है. जिससे कि कमजोर दिल वाले लोग इस डिपार्टमेंट को ज्वाइन ही ना करें. इतना ही नहीं जॉइनिंग के टाइम पर हर एक आदमी से एग्रीमेंट साइन करवाया जाता था कि जंगल में होने वाली किसी भी अजीब घटना की जानकारी वह किसी को नहीं देंगे, मीडिया में नहीं जाएंगे और बातें लिख नहीं करेंगे. यहां तक कि अपने परिवार वालों को भी कुछ नहीं बताएंगे. क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि कोई डरपोक नया लड़का हमारी टीम ज्वाइन कर ले और मीडिया में जाकर सब कुछ बता दे, इन सीढ़ियों के बारे में और दूसरी डरावनी चीजों के बारे में. लेकिन बाद में सब को लगा कि ऐसे किसी एग्रीमेंट की जरूरत ही नहीं है. क्योंकि इनसे सामना होने के बाद कोई भी इनके बारे में दोबारा बात करना ही नहीं चाहेगा. कई बार मीडिया कोशिश भी करता था हमसे खोए हुए लोगों के बारे में पूछने की, लेकिन हम में से कोई भी अपनी जुबान नहीं खोलता था.
पता नहीं क्यों शायद इसीलिए क्योंकि हम खुद भी यह नहीं मानना चाहते थे कि इन जंगलों में कुछ ऐसा है जो हमारी समझ से परे है. यह हमारा पेशा था. जंगल में रहना हमारा काम था और हमारा घर इसी से चलता था. और इन डरावने जंगलों में डर कर काम नहीं किया जा सकता. इसीलिए हम सब यही दिखाने की कोशिश करते कि सब ठीक है. लेकिन अब तुम पूछ रहे हो तुम्हें जिंदगी में पहली और आखरी बार इनके बारे में बात करूंगा. और मुझे भरोसा है कि तुम उसके बाद इन को लेकर कभी अपना मुंह नहीं खोलोगे. Paul ने बताया कि यह सीढ़ियां बहुत लंबे समय से जंगलों में पाई जा रही है. हमारे डिपार्टमेंट को दसियो सालों से उनके देखे जाने की रिपोर्ट मिलती आई हैं. कई बार कुछ लोग इनके ऊपर भी गए लेकिन कुछ नहीं हुआ. लेकिन कई बार बहुत बुरा बुरा भी हुआ है. एक बार मैंने अपनी आंखों के सामने ही हमारे ही एक साथी का हाथ उसके शरीर से अलग होते हुए देखा था. वह उन सीढ़ियों के बिल्कुल ऊपर चढ़ गया था. और ऊपर जाकर एक टहनी को पकड़ने की कोशिश कर रहा था, कि अचानक उसका हाथ कट गया. सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि किसी को कुछ समझ ही नहीं आया. एक सेकंड पहले उसका हाथ था ओर अगले ही पल उसका हाथ कट चुका था. हाथ नीचे भी नहीं गिरा था. पता नहीं हवा में ही कहां गायब हो गया. हाथ बिलकुल सफाई से कटा था जैसे कि किसी तेज तलवार से एक झटके में काट दिया गया हो. वह मरते मरते बचा था.
दूसरी एक लड़की थी जिसने नया-नया जॉइन किया था. उसने बस एक सीढ़ी को टच ही किया था कि उसके दिमाग की नस फट गई. बिल्कुल फट गई. समझ रहे हो ना. जैसे पानी का गुब्बारा फटता है ना एकदम से. बिल्कुल वैसे. वह लड़खड़ाती हुई मेरे पास आई और बोली-” मुझे लगता है मुझे कुछ हुआ है”
बस इतना ही बोल पाई थी. इतना बोलते ही वह धड़ाम से जमीन पर गिर गई. जमीन छूने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी.
उसकी आंखों में से खून निकल रहा था. मैं वह मंजर कभी नहीं भुला सकता. मेरे देखते ही देखते उसका चेहरा खून में लाल हो चुका था. और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता था.
हम हमेशा सबको मना करते थे उनके पास जाने को लेकिन फिर भी हर बार एक ना एक सरफिरा बहादुरी दिखाने की गलती कर बैठता था. अगर वह बच भी जाते तो भी कुछ ना कुछ गलत हो ही जाता था. या तो कोई बच्चा गायब हो जाता जंगल से या फिर अगले दिन किसी के दो टुकड़े हो जाते जंगल के बीचो-बीच, सबके सामने. पता नहीं क्यूं लेकिन कुछ ना कुछ बुरा हमेशा ही होता था मुझे नहीं पता वह सीढ़ियां इन जंगलों में क्या कर रही है. लेकिन उनके यहां होने का कोई ना कोई मतलब तो जरूर है. हम तो बस इतना कर सकते हैं कि उनके पास ना जाए और अपने साथियों को भी ना जाने दे.
कुछ देर के लिए हम दोनों चुप हो जाते हैं.
मैं कुछ बोलने वाला ही था कि वो मुझसे पूछता है -“क्या तुमने कभी एक ही सीढ़ी दो बार देखी ?”
मैंने कहा-” नहीं” इसके बाद वह चुप हो गया. फिर वह जंगली जानवरों की बातें करने लगा. मैंने भी फिर उससे और ज्यादा पूछना ठीक नहीं समझा. उसके बाद हमने अपने रेडियो को ऑन कर लिया. अंधेरा होने में काफी समय था लेकिन पॉल ने बताया कि उसको तबीयत ठीक नहीं लग रही है. इसीलिए वह जल्दी निकल गया. उस दिन के बाद से मेरी पोल से कभी कोई बात नहीं हुई.

दोस्तों आप लोगों को यह कहानियां कैसी लगी डर लगा हैरानी हुई मैंने जब पहली बार यह कहानियां सुनी थी तो मुझे तो डर लगा था आपको क्या लगता है जंगलों में इन सीढ़ियों के होने के पीछे क्या राज है क्योंकि यह बात तो सच है कि यह झूठ नहीं है क्योंकि मैंने बहुत सारी जगह है इनके बारे में पढ़ा है जिसके वीडियोस में आगे जरूर बनाऊंगा मुझे लगता है इस दुनिया में बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनके बारे में हमें कुछ पता ही नहीं है और जहां हमारी साइंस तक फेल हो जाती है
मैं एलियंस यानी कि दूसरे ग्रह के प्राणियों में बिलीव करता हूं और मुझे पक्का यकीन है इन सीढ़ियों का उनसे जरूर कुछ लेना देना है आपको क्या लगता है कमेंट में जरूर बताएं

कुछ दिन पहले हम कई सारे दोस्त साथ में खाना खा रहे थे रात में. और एक दूसरे को डराने के लिए डरावनी भूतों की कहानियां सुना रहे थे. ज्यादातर डरने वाले नए लड़के ही हुआ करते थे.
लेकिन एक लड़की ने एक ऐसी कहानी सुनाई जिसे सुनकर मैं भी डर गया था. सच बताऊं तो मुझे नहीं पता कि वो कहानी सच्ची थी या नहीं, लेकिन उसने कसम खाई थी कि वो कहानी बिल्कुल सच्ची है. और मुझे भी यही लगा था कि वो सच बोल रही है. उसने बताया कि जब वो छोटी थी तब उनके घर के पीछे एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था.
और वो अपनी दोस्त के साथ अक्सर उस जंगल में जाकर खेला करती थी. वो जिस इलाके में रहते थे वहां के जंगल बाकी जंगलों की तरह नहीं थे बल्की बहुत ही ज्यादा घने थे. इतने घने की दिन के समय भी जंगल के अंदर अंधेरा रहता था क्योंकि रोशनी पेड़ों को पार करके नीचे नहीं पहुंच पाती थी. वो और उसकी दोस्त उसी इलाके में पले बड़े थे, इसीलिए जंगल में खेलने जाते हुए उन्हें ज्यादा डर नहीं लगता था.
लेकिन फिर भी थोड़ा सावधान जरूर रहते थे. उसने बताया कि उसको ये तो नहीं पता कि क्यों लेकिन उनके पेरेंट्स उनको हमेशा जंगल के ज्यादा अंदर जाने के लिए मना करते थे. जंगल के अंदर जंगली जानवर भी नहीं थे. लेकिन फिर भी चाहे कोई छोटा हो या बड़ा, कोई भी जंगल के ज्यादा अंदर नहीं जाता था. बस यही मान लो कि ये एक तरह का अनकहा रूल था कि कोई भी जंगल के ज्यादा अंदर नहीं जाएगा.
हम सब बच्चे आपस में खेलते और एक दूसरे को डराते ये बोलकर कि जंगल के अंदर बड़े-बड़े भालू हैं. हम खेल खेल में छुप जाते और भालू की आवाज निकाल कर एक दूसरे को डराते.
उसने बताया कि एक बार गर्मियों में बहुत सारे भयंकर तूफान आए थे जंगल में. तूफान इतने भयंकर थे कि बहुत सारे पेड़ तक उखड़ के हवा में उड़ गए थे. और उसके घर के करीब 2 किलोमीटर दूर जंगल के एक हिस्से में आग भी लग गई थी.
हालांकि आग बुझाने वाले फायर फाइटर्स ने उस आग पर काबू जरूर पा लिया था. लेकिन जब वो लोग आग बुझा के वापस आ रहे थे के तो उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वो किसी जंग से वापस आ रहे हैं. उन सबके चेहरे पर एक अजीब सी बदहवासी और दहशत थी. मानो उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसी आग कभी ना देखी हो.
वो ऐसे चल रहे थे जैसे कि वो जिंदा ही ना हो. यहां तक कि अगर उनके पास जाकर उनसे कुछ बात करने की भी कोशिश करते तो भी वो कोई जवाब नहीं देते थे. ना ही उनके चेहरे पर कोई खुशी थी.
उनमें से ज्यादातर लोग बाहर से ही आए थे. इसीलिए जब सब कुछ नॉर्मल होते ही वो लोग भी शहर से चले गए.
मैंने अपने पेरेंट्स से भी इस बारे में पूछा लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया. कुछ दिन बाद जब सब कुछ नॉर्मल हो गया तो 1 दिन मैं और मेरी दोस्त ने प्लान बनाया कि हम जंगल के उस इलाके में जाकर देखते हैं जहां आग लगी थी.
हमने अपने घर वालों को भी नहीं बताया इस बारे में. हम दोनों बच्चे ही थे और ये सोच कर कि हम दोनों बिना घर वालों को बताए जंगल में जाएंगे, हम बहुत एक्साइटेड हो गए थे.
हम करीब 3-4 किलोमीटर पैदल चलते चलते उस इलाके में पहुंच गए जहां आग लगी थी. वहां चारों तरफ जले हुए पेड़ खड़े थे. मुझे याद है मेरी दोस्त कुछ जले हुए हिरण को देखकर डर गई थी. वो हिरण आग में बिल्कुल जल चुके थे और पेड़ों से चिपके हुए थे. उसने मुझसे बोला कि इनको जमीन में दबा देते हैं, लेकिन मैंने मना कर दिया. क्योंकि मुझे उनके सींघ बहुत अजीब से लग रहे थे. और मैं नहीं चाहती थी कि हम में से कोई भी उनके नजदीक जाए.
हम जितना अंदर जाते जा रहे थे हमें उतनी ही ज्यादा झुलसी हुई चीजें मिलती जा रही थी. आख़िर में हम एक ऐसी जगह पहुंच गए जहां एक भी पेड़ नहीं बचा था. सब आग में खत्म हो चुके थे. ऐसा लग रहा था कि मानो हम किसी दूसरी ही दुनिया में आ गए हैं. कहीं कुछ हरा नजर ही नहीं आ रहा था. बस सब जगह काला रंग ही था. आग में झुलसी हुई चीजों का. हम वहीं खड़े वो सब देख ही रहे थे कि अचानक कुछ दूर से हमें किसी के चिल्लाने की आवाज आती है. मैं डर गई क्योंकि मुझे लगा वो मेरे पापा हैं और अब मेरी पिटाई होगी, जंगल में बिना बताए आने के लिए.
मेरी दोस्त भाग के एक बड़े पत्थर के पीछे छुप गई क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि मेरे पापा उसको वहां देखें. उसके घर वालों ने भी उस को सख्त मना करा था जंगल में अकेले जाने के लिए. और वो तो अपने घर ये बता कर आई थी कि वो मेरे घर एक मूवी देखने जा रही है. मैं वहीँ खड़ी रहती हूं और महसूस करती हूं की आवाज हमारे करीब आ रही थी. तो पता लगता है कि कोई हेल्प के लिए आवाज़ लगा रहा है. मुझे लगा वो कोई hiker है जो कि जंगल में खो गया है और मदद के लिए आवाज मार रहा है. क्योंकि अक्सर ऐसा होता ही रहता था उस जंगल में.
तो मैं भी उसको आवाज देती हूं, aur वो मेरी आवाज का पीछा करते करते मेरे पास आ जाता है.
वो मुझसे थोड़ी ही दूर खड़ा होता है, तो मैं देखती हूं की उसका चेहरा बिल्कुल लाल है.
मैंने अपने दोस्त को आवाज़ लगाई उसका बैग लेने के लिए क्योंकि उसके बैग में फर्स्ट एड किट थी. लेकिन वो चिल्ला के मुझसे बोलती है-” तुमने उसका चेहरा देखा ?”
मैं उसको गुस्से से चुप होने के लिए बोलती हूं और भाग के उस आदमी के पास जाने लगती हूं. और जब मैं पास पहुंचती हूं तो देखती हूं कि उसकी नाक और होंठ गायब हो चुके हैं. मानो जैसे किसी तलवार से एक झटके से काट दिए गए हो. उसके चेहरे से बहुत ज्यादा खून निकल रहा होता है. मेरा ध्यान उसके घुटनो पर जाता है तो देखती हूँ कि उसके घुटनों से भी खून निकल रहा है. ये देख कर मैं तो बहुत ज्यादा डर गई थी इतना कि डर के मारे पीछे भी नहीं हो पा रही थी.
वो मेरे कंधे पकड़ लेता है. उसके हाथ लगाते ही ऐसा लगा कि मानो कोई बिजली का झटका लगा हो. और वो एकदम से पीछे हो जाता है और पता नहीं क्या बड़बड़ाने लगता है. मुझे ज्यादा कुछ तो समझ नहीं आ रहा था बस इतना ही समझ आया कि वो ये पूछ रहा था कि वो वहां कितनी देर से है. उसने मुझसे पूछा कि उसकी यूनिट कहां है.
मैं डरते-डरते जवाब देती हूं “मुझे नहीं पता”
वो मुझे ध्यान से देखता है, मेरे पास मेरा वॉकमेन भी था, जिसको देखकर वो चिल्लाता है.
वो लगातार बड़बड़ाया जा रहा था और अपने चेहरे को टच किए जा रहा था.
मैंने उसको ध्यान से देखा तो नोटिस किया कि उसने कुछ अजीब से ही कपड़े पहने हुए थे. उसने कोई अजीब सी ही जैकेट पहनी थी और उसकी पेंट फॉर्मल लग रही थी. उसकी जैकेट पर अजीब से बटन थे जिन पर की रेट बॉर्डर था. ऐसा लग रहा था कि वो सौ साल पुराना सिपाही है. मैंने उसको बोला कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आप क्या बोल रहे हो. मैंने फर्स्ट एड बॉक्स को खोलना चाहा लेकिन वो फिर से मुझ पर चिल्लाया–” मुझे मत छेड़ो. तुम मुझे वापस वहीँ भेज दोगी.”
इतना बोलते ही वहां से भाग गया. भागते हुए वो चीखे जा रहा था. और जब उसके चीखने की आवाज मुझे सुनाई देना बंद हुई तो मैं पलटी.
पलट कर देखा तो मेरी दोस्त मेरे पीछे खड़ी रो रही थी. फिर हम दोनों भागकर अपने घर की तरफ जाने लगे. वो बार-बार मुझसे पूछ रही थी कि वो आदमी कौन था. मैं कुछ नहीं बोली घर पहुंच कर हम दोनों ने फैसला किया कि हम अब कभी जंगल में नहीं जाएंगे. हम आज भी दोस्त हैं लेकिन उस दिन के बाद हमने उस आदमी के बारे में कभी कोई बात नहीं की.

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जब मैंने जंगल में अपनी नौकरी शुरु करी थी तब मुझे किसी ने ज्यादा कुछ नहीं बताया था इन सब चीजों के बारे में. मेरा मतलब कि जंगल में होने वाली इन अजीब अजीब चीजों के बारे में.
शायद इसीलिए कि कहीं मैं डर ना जाऊं और डर के भाग ना जाऊं. लेकिन कुछ महीने बाद एक पार्टी में एक दोस्त ने नशे में मुझे कई सारी बातें बताई थी. मैंने उससे पूछा कि मैंने सुना है जंगलों में बहुत गड़बड़ है. उसने नशे में ही बोला हां इन जंगलों में बहुत अजीब अजीब चीजें होती हैं. सबसे अजीब तो ये है कि लोग ऐसी जगहों पर मर जाते हैं जहां उनके मरने का कोई मतलब ही नहीं होता या फिर ये कि लोग खोते होते ही मर जाते हैं. जैसे कि 10 मिनट पहले कोई खोया और 10 मिनट बाद उसकी डेडबॉडी मिल जाए. इतनी जल्दी कोई कैसे मर सकता है. जैसे कि एक आदमी के साथ हुआ था कुछ साल पहले.
वो आदमी जंगल में गया था hiking के लिए और वो जिस रास्ते से जा रहा था वो बहुत ही पॉपुलर रास्ता था. और उस रास्ते पर लोग आते जाते ही रहते थे. किसी ने हमको फोन किया कि कोई आदमी मरा पड़ा है रास्ते में. हम वहां पहुंचे तो देखा कि वो आदमी खून में लथपथ पढ़ा था. वहां बहुत ही ज्यादा खून था. वो शक्स मर चुका था. और मरता भी क्यों ना उसका सिर पीछे से किसी आलू की तरह पिचका हुआ था. पीछे से सर की हड्डी टूटी हुई थी और दिमाग बाहर लटक रहा था. वो आदमी बूढा था. तो शायद वो चलते-चलते लड़खड़ा गया होगा और सिर के बल गिर गया होगा. बूढ़े लोग अक्सर लड़खड़ा के गिर जाते हैं और चोट लगवा बैठते हैं. तो ये कोई बड़ी बात नहीं थी. सिवाय इसके कि वहां कोई ऐसा पत्थर नहीं था जिस पर गिरके उसका सर इस तरह फूट जाए. ना ही वहां कोई उबड़-खाबड़ रास्ता था. बिल्कुल प्लेन रास्ता था और झाड़ियां भी नहीं थी. और ना ही आस-पास कोई खून था इसका मतलब यही था कि वो शख्स वहां गिरते ही मर गया था. हो सकता है किसी ने उसका मर्डर किया हो. लेकिन उसके कुछ दूर पीछे ही और लोग भी थे और अगर कोई उसके पीछे से आकर उसका खून करता तो ऐसा हो ही नहीं सकता था कि किसी को सुनाई ना दे. फिर भी मान लिया जाए कि कोई आवाज नहीं सुन पाया हो तब भी आस-पास खून के छींटे तो होने चाहिए थे ना. लेकिन जिसने भी उसको देखा सबको यही लगा कि वो वहां गिरा और उसका सर किसी पत्थर पर लगा और उसके सिर के टुकड़े हो गए. तो आखिर उसके सर पर लगा क्या. किसी को नहीं पता.

उसी तरह एक औरत का केस था जो मुझे एक दूसरे जंगल में कुछ साल पहले मिली थी. वो हमें एक बड़े से पतले पेड़ से लिपटी हुई मिली थी. उसने उस पेड़ को अपने हाथ पैरों से जकड़ रखा था. जैसे कि वो पेड़ को हग कर रही हो. हमने उसको जैसे ही खींचकर पीछे किया तो उसके मुंह से पानी की लंबी धार निकल पड़ी और मेरे दोनों पैर भिगो दिए. उसके कपड़े सूखे हुए थे बाल भी बिल्कुल सूखे थे. लेकिन उसके फेफड़ों और पेट में बहुत ही ज्यादा पानी भरा था. वो मर चुकी थी. मैंने पूछा -“पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या निकला”
उसने बताया पोस्टमार्टम में पता चला कि उसकी मौत डूबने से हुई थी. उसके फेफड़े पानी से लबालब भरे हुए थे. जिस जगह वो मिली थी वो एक सूखा जंगल था और उसके कई कई किलोमीटर दूर तक पानी नहीं था. ना कोई नदी ना कोई झरना कुछ भी नहीं था. ना ही किसी और के वहां होने का कोई निशान था. जाहिर है वो खुद तो नहीं मर सकती थी. क्योंकि डूब के मरने के बाद वो वहां तक कैसे आती. इसका मतलब किसी और ने ही उसको मारा था. लेकिन किसी को अगर उसको मारना ही था तो इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत थी. पहले उसको डुबाकर मारा और फिर दूर जंगल में लाकर छोड़ दिया. मारने के तो और भी आसान तरीके हैं. इतने सारे सवाल लेकिन एक जवाब नहीं.

ये दोनों कहानियां सुनकर मैं तो डर ही गया था. क्योंकि मैं तब नया नया ही था लेकिन उस समय हम दोनों ही नशे में थे तो मुझे लगा कि शायद वो नशे में ही बातें बढ़ा चढ़ाकर बोल रहा है.

ये जो अगला केस मैं बताने जा रहा हूं, इस केस के बारे में बातें करना मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता. ये बहुत ही दर्दनाक case था जिसको कि मैंने भुलाने की बहुत कोशिश की. लेकिन ऐसे किसी केस को भुलाना इतना आसान नहीं होता. ये जो मैंने आपको अपने दोस्त की पिछले वाली कहानी सुनाई थी ये केस उसके करीब 6 महीने बाद का ही था. तब मुझे 1 साल ही हुआ था इस नौकरी में और उस समय तक मैंने ऐसा कोई केस नहीं देखा था. बस कुछ हल्के फुल्के केस ही देखे थे, और सीढ़ियां देखी थी. बस ज्यादा कुछ नहीं. एक 20 साल का लड़का जो कि मेंटली चैलेंज्ड था वो एक जगह से खो गया था. उसका खोना ही अपने आप में अजीब था क्योंकि उसकी मम्मी ने बताया कि वो बिल्कुल उनके साथ ही था उसका हाथ पकड़े हुए. अचानक वो गायब हो गया. वो बार-बार बोले जा रही थी कि जरूर उसको किसी ने kidnap किया है. उसकी मम्मी बार-बार अपने आप को कोसे जा रही थी कि उसकी वजह से उसका बेटा खो गया है.
हमने उसको बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वो मान ही नहीं रही थी. आखिर में हमने उसको शांत किया और उनसे डिटेल्स पूछी उसके खोने की. सिचुएशन बहुत अर्जेंट थी क्योंकि वो लड़का मेंटली चैलेंज्ड था aur वो अकेले रह ही नहीं सकता था. हमने लोकल पुलिस को भी कॉल किया हमारी मदद करने के लिए. पहली रात तो वो हमें नहीं मिला जो कि वाकई में बहुत परेशान कर देने वाला था क्योंकि हम सबको पता था कि हमें जितनी देर ढूंढने में लगेगी उसके मिलने के चांसेस उतने ही कम होते जाएंगे. हम सब यही मान रहे थे कि वो हमसे आगे ही चलता जा रहा है. अगली सुबह हेलीकॉप्टर लाया गया. हेलीकॉप्टर की मदद से वो कुछ ही घंटों में हमें मिल गया. वो 1 गड्ढे में फंसा हुआ था. हमने उसको बाहर निकाला और हेलीकॉप्टर पर चढ़ाया. उसकी हालत देखकर मैं समझ गया था कि वो नहीं बच पाएगा. उसकी रीड की हड्डी टूट गई थी उसको अपनी कमर के नीचे का हिस्सा महसूस ही नहीं हो पा रहा था. उसके दोनों पैर भी टूट चुके थे. और उनमें से बहुत खून निकल रहा था. वापस आते समय मैं उसके साथ हेलीकॉप्टर में ही था. मैंने उससे पूछा तुम क्यों चले गए थे ? मैं बस कुछ ऐसा सुनना चाहता था जो कि मैं उसकी मां को बता सकूं ये बताने के लिए कि ये उसकी गलती नहीं थी. उसका बहुत सारा खून बह चुका था और मुझे पता था कि हॉस्पिटल पहुंचने तक ये बच नहीं पाएगा और अपनी मां से बात नहीं कर पाएगा.
वो रो रहा था. रोते-रोते उसने बताया कि जब वो अपनी मम्मी के साथ जा रहा था तो वहां उसको एक छोटा बच्चा मिला जो कि बहुत उदास था. वो बच्चा उसके साथ थोड़ी देर खेलना चाहता था.
उसने बताया कि वो छोटा बच्चा उससे अदला बदली करना चाहता था जिससे कि वो अपने घर जा सके.
छोटे बच्चे ने उसको अपनी आंखें बंद करने को कहा, उसने एक सेकेंड के लिए अपनी आंखें बंद करी और जब उसने आंखे खोली तो वो उस गड्ढे में फंसा हुआ था.
हेलीकॉप्टर में वो रोए जा रहा था और बार-बार अपनी मम्मी के बारे में पूछ रहा था. मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको शांत किया.
“वहां बहुत ठंड थी वहां बहुत ठंड थी मेरे पैरों में बहुत ठंड है मेरे अंदर बहुत ठंड है” वो लड़का यही बड़बड़ाया जा रहा था उसको कमजोरी आती जा रही थी. कुछ ही देर में वो चुप हो गया और उसने अपनी आंखें बंद कर ली. फिर जब हम हॉस्पिटल से 5 मिनट ही दूर थे उसने अपनी आंखें खोली और मेरी तरफ देखते हुए बोला. बोलते हुए उसकी आंखों से लंबे लंबे आंसू निकल रहे थे “मम्मी अब मुझे कभी नहीं देख पाएंगी. लव यू मम्मी. काश आप यहां होती, मेरे पास.” इतना कहकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली और फिर, फिर कभी नहीं खोली.
ये बहुत दर्दनाक था. इस बारे में मैं याद करना मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता. सच बताऊं तो ये पहला ऐसा केस था जिसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया था. इसके इसके बाद मैं कई दिनों तक उदास रहा. मुझको उदास देखकर एक दिन मेरे सीनियर ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझसे इस बारे में पूछा. मैंने अपने सीनियर को सब कुछ बता दिया.
बातों बातों में हम काफी घुलमिल गए थे. अगले कुछ दिनों में हमारी अच्छी दोस्ती भी हो गई थी. फिर एक दिन मेरे सीनियर ने मुझे उसकी एक कहानी सुनाई. उसकी कहानी भी बहुत परेशान कर देने वाली थी. लेकिन उसको सुनकर कम से कम मुझे ये सुकून तो मिला था कि मैं अकेला ऐसा नहीं हूं जिसको ऐसे केसेस परेशान कर देते हैं.
उसने बताया कि एक बार जंगल की एडमिनिस्ट्रेशन ने जंगल का एक छोटा सा हिस्सा एक प्राइवेट कंपनी को बेचने का फैसला किया था. इसको लेकर बहुत हल्ला भी हुआ था लेकिन उस टाइम recession के कारण एडमिनिस्ट्रेशन को पैसों की बहुत ज्यादा जरूरत थी.
जिस कंपनी को वो प्लॉट बेचा गया था वो एक पेड़ काटने वाली कंपनी थी.
उनके लोग पेड़ काट ही रहे थे कि हमारे पास कॉल आई कि जल्दी से सभी सुपरवाइजर और ऑफिसर्स को उस जगह भेजो. वहां जाने वाले सुपरवाइजर में एक मैं भी था. वहां पहुंचे तो देखा कि वो सब लोग एक पेड़ के चारों तरफ भीड़ बनाकर खड़े थे. वे लोग जिस पेड़ के चारों तरफ खड़े थे उस पेड़ को उन्होंने तब काटा ही था. वो सब लोग गुस्से में थे और बहुत ज्यादा डरे हुए थे. उनका ऑफिसर गुस्से में हमारे पास आकर पूछता है “तुम लोग चाहते क्या हो? ये किस तरह का बेहूदा मजाक है. हमने पूरे पैसे दिए हैं इस जमीन को खरीदने के लिए तो फिर तुम्हारी ये हरकत करने की हिम्मत कैसे हुई ?””
वो बहुत गुस्से में था. हमें समझ नहीं आ रहा था कि वो किस बारे में बात कर रहा है. हमने उससे पूछा तो वो हमको उस पेड़ के पास ले गया जो उन्होंने कुछ देर पहले ही काटा था. पेड़ के अंदर का हिस्सा सड़ा हुआ था और खोखला था उन्होंने बताया कि जब उन्होंने पेड़ काटा तो उनको पेड़ के अंदर से ये मिला. मैंने पास जाकर देखा तो वो एक कटा हुआ हाथ था. एक परफेक्टली कटा हुआ हाथ. उसको देख कर लग रहा था कि वो पेड़ के साथ ही उगा हो. उस पॉइंट पर हम सबको लगा कि ये लोग हमसे मजाक कर रहे हैं.
हमने उनसे नाराज होते हुए बोला कि हमें इस तरह का मजाक पसंद नहीं है. और हम वहां से वापस जाने लगे. लेकिन उसने हमें बताया कि वो पुलिस को पहले ही फोन कर चुके हैं और अगर हमने वहां रुक कर उनकी हेल्प नहीं करी तो वो सीधा मीडिया में चले जाएंगे. मीडिया की बात सुनते ही हमारा ऑफिसर रुक गया
पुलिस भी पहुंच चुकी थी और हम सब इस बारे में बात करने लगे. पुलिस ने पूछताछ की तो सब मना कर रहे थे कि उन्होंने वो हाथ वहां नहीं रखा. और सच बताऊं तो ऐसा हो भी नहीं सकता था कि कोई उस हाथ को वहां रख दें.
हमने ध्यान से देखा तो वो एक इंसान का ही हाथ था. असली हाथ. कोई ममी नहीं थी. और वो बिल्कुल नया हाथ था. जैसे कि अभी-अभी कटा हो. 1 दिन पुराना भी नहीं लग रहा था. और वो बिल्कुल ऐसा था कि जैसे वो पेड़ का ही एक हिस्सा हो. पुलिस वालों ने पेड़ के उतने हिस्से को काटा और अपने साथ ले गए इंवेस्टिगेशन के लिए. उस एरिया को भी कुछ दिनों के लिए बंद कर दिया गया. बहुत बड़ी इन्वेस्टिगेशन चली थी. लेकिन मुझे पता था कि उनको इंवेस्टिगेशन में कुछ नहीं मिलेगा.
उसके बाद हमने जंगल की जमीन कभी किसी को नहीं बेची.

एक बार मैं एक ट्रेनिंग सेमिनार में गया था. और वहां कुछ बहुत ही डरावनी कहानियां सुनी थी. वहां मुझे एक बंदा मिला था जिस से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी. तो एक रात कैंप फायर के दौरान हम एक दूसरे को अपनी अपनी कहानियां सुना रहे थे. हम दोनों काफी नशे में थे. एक कहानी बो सुनाता फिर एक कहानी मैं उसे सुनाता.
उसने मुझे ये वाली कहानी सुनाई. उसने बताया -“एक रात मैं और मेरा एक साथी जंगल में गश्त पर गए थे क्योंकि कुछ campers ने रात के समय जंगल में चीखने की आवाजें सुनाई देने की रिपोर्ट दी थी. हमें लगा कुछ जंगली बिल्लियां होंगे. तो हम उनको ढूंढने के लिए उस तरफ जाते हैं. मैं बहुत गुस्से में था क्योंकि उस साल व तीसरा ऐसा केस था उन जंगली बिल्लियों का. और मैं उनको ढूंढ ढूंढ के बहुत परेशान हो चुका था. वैसे भी मुझे बिल्लियां बिल्कुल पसंद नहीं थी.
साली बिल्लियां.
मैं बार-बार गुस्से में गालियां देते हुए आगे बढ़ रहा था.
आगे हमको टूटी टहनियां मिलती हैं और कुछ छोटी-छोटी गुफाएं सी भी मिलती है.
हम देखते ही समझ जाते हैं कि यही बिल्लियों का इलाका है. मैं अपने base फोन करके बताता हूं कि हमें बिल्लियों का इलाका मिल गया है. तो मेरा सीनियर मुझसे कहता है कि अच्छे से कंफर्म कर लो. अच्छे से कन्फर्म करने का मतलब था कि उनके shit को इकट्ठा करके proof के लिए लेकर जाना है. आसपास हमें कुछ कही कुछ नहीं मिलता.
फिर मैं टॉयलेट करने के लिए थोड़ा साइड में चला जाता हूं. मेरा साथी आगे ही निकल जाता है. मैं वहां खड़ा टॉयलेट ही कर रहा था कि मुझे दूसरी तरफ से टहनियों के टूटने की आवाज आती सुनाई पड़ती है. मुझे लगा शायद कोई जंगली जानवर होगा या वो जंगली बिल्लियां होंगी. ये जंगली बिल्लियां बिल्कुल छोटे शेरो की तरह होती हैं और बहुत खतरनाक होती हैं.
तो मैं अपनी पिस्टल निकाल लेता हूं. हालांकि मुझे पता था कि उन जंगली बिल्लियों के सामने वो पिस्टल ज्यादा कुछ नहीं कर सकती.
लेकिन फिर भी मैं अपनी पिस्टल को हाथ में निकाल लेता हूं और अपने साथी को गुस्से से आवाज देता हूं इधर आने के लिए. लेकिन वो शायद काफी दूर निकल चुका था और मेरी आवाज नहीं सुन पाया. मैं alert हो कर वही खड़ा हो जाता हूं और उस तरफ ध्यान लगाता हूं जहां से वो आवाज मेरी तरफ आ रही थी.
और मां कसम मैं अपनी पेंट गीली ही करने वाला था. वो आदमी सीधा मेरी तरफ आ रहा था पलटियां खाता हुआ जंगल के बीच में से.
आप समझ रहे हो ना. जैसे कि चलने के बजाय वो आदमी पलटियां खाता हुआ भागकर मेरी तरफ आ रहा था.
और बाय गॉड, वो एक एक पेड़ और झाड़ी को ऐसे पार कर रहा था जैसे कि उसको पता है कि वो कहां जा रहा है. मैं उसकी तरफ चिल्लाकर उसको रुकने के लिए बोलता हूं.
मैं उसको बोलता हूं कि मेरे पास पिस्टल है लेकिन वो मेरी तरफ आता जाता है. जब वो मुझसे करीब 20 कदम दूर होता है, मैं उसकी तरफ गोली चला देता हूं. जैसे ही मैं गोली चलाता हूं, वो वहीँ रुक जाता है. और फिर वापस जंगल के अंदर चला जाता है पलटियां खाता हुआ.
गोली की आवाज सुनकर मेरा साथी मेरे पास भागा चलाता है. मैं उसको सब कुछ बताता हूं. उसके बाद हम वहां से जल्दी से निकल जाते हैं अपने बेस पर. पता नहीं वो कमीना कौन था और मुझसे क्या चाहता था. लेकिन उसने मुझे बहुत ज्यादा डरा दिया था.

इस नौकरी में मैंने 35 साल किया काम किया है. 35 सालों तक मैंने डरावनी जंगलों की खाक छानी है.
और अक्सर लोग मुझसे मेरे एक्सपीरियंस के बारे में पूछा करते थे. सीढ़ियों के बारे में तो बहुत ही कम लोग जानते हैं इसीलिए उनके बारे में कोई कुछ नहीं पूछता था क्योंकि किसी ने कभी सुना ही नहीं होता था उनके बारे में.
ज्यादातर लोग goatman और wendigo को के बारे में ही पूछते थे.
wendigo एक ऐसा जीव होता है जिसके बारे में बताते हैं कि वो किसी भी इंसान या जानवर की शेप ले सकता है. सच बताऊं तो मुझे भी इन चीजों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता. बस बचपन से ही इनके बारे में किस्से कहानियां सुनते आए हैं. लेकिन हमारे पेशे में इन सब चीजों के बारे में ज्यादा नहीं सोचा जाता थे.
जैसे कि किसी हॉस्पिटल में काम करते हुए होता है ना. या तो आप दिनभर हॉस्पिटल में मरने वाले लोगों के बारे में ही सोचते रहो. या फिर उनको भुलाकर आगे अपने काम पर ध्यान दो.
जैसे कि मैंने आपको पहले भी बताया था कि इन जंगलों में डर कर काम नहीं करा जा सकता. क्योंकि या तो आप हर वक्त यही सोचते रहो कि इन जंगलों में ना जाने क्या-क्या है. भूत हैं, सीढ़ियां है. या फिर ये सब अपने दिमाग से निकाल कर अपने काम पर ध्यान दो. और शाम को अपने घर चले जाओ अपने परिवार के पास.
और हम में से ज्यादातर लोग ऐसा ही करते हैं. ऐसे ही pretend करते हैं कि सब कुछ ठीक है क्योंकि एक बार आपके दिल में डर आ जाएगा तो फिर आप हमेशा ही डरेंगे. और ऐसा होता भी है. बहुत सारे लोग नौकरी शुरु करने के पहले कुछ महीनों में ही छोड़ देते हैं. खासकर हमारी यूनिट में तो बहुत सारे ऐसे कैडेट्स थे जो इतना डर जाते थे कि उन्हें छोड़ना ही पड़ जाता था.

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इससे पहले मैंने आपको अपनी दोस्त KD के बारे में बताया था. एक बार मैंने उससे wendigo के बारे में पूछा क्योंकि मैं जानना चाहता था कि वो उनके बारे में क्या सोचती हैं.
KD ने बताया कि उसको तो कभी ऐसा कुछ नहीं मिला और वो इन सब चीजों के बारे में ज्यादा सोचना भी नहीं चाहती लेकिन एक बार उसके एक दोस्त के साथ ऐसा कुछ हुआ था.
उसके दोस्त का नाम Harry है. ये उसका असली नाम नहीं है.
तो Harry ने KD को जो कुछ बताया था वो मैं सब कुछ वैसे ही आप लोगों को बताता हूं.
हैरी ने बताया–“मैं सेंट्रल ऑर्गन में पला बढ़ा हूं, और मेरे घर से करीब 2 घंटे की दूरी पर एक बहुत बड़ा जंगल है. उस जंगल में एक Tribe भी रहता है. और वो Tribals उसी जंगल में रहते हैं.
जब हम छोटे थे तब हम उस जंगल में घूमने जाते थे. और उस Tribe के कई आदिवासी बच्चों से मेरी दोस्ती भी हो गई थी. एक बच्चा तो मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त बन गया था. उसका नाम था Nolan. और जब भी मेरी फैमिली जंगल में घूमने जाती तो मैं उससे जरुर मिलता और उसके साथ खेलता था. हमें पेरेंट्स की भी अच्छे से जान पहचान हो गई थी एक दूसरे से. जब भी हम जंगल में रात में रुकते कैंप में तो वो लोग भी हमारे साथ आ जाते थे. हम हर साल छुट्टियों में वहां जाते थे और कई बार तो हम दो-दो हफ्ते तक जंगल में ही कैंप लगाकर रहते थे.
मुझे बहुत ही मजा आता था. रात में टेंट लगा कर सोना और मस्ती करना. बहुत अच्छा लगता था. एक बार मैं और Nolan वहीँ जंगल में ही थे, तब हमारी उम्र कोई 12 साल रही होगी. हम दोनों शाम को अपने कैंप से निकलकर पास ही एक नदी पर चले हम लोग रात में फिशिंग करना चाहते थे हम अपने मेन कैंप से करीब 2 किलोमीटर दूर निकल गए होंगे. ज्यादा दूर तो नहीं थे लेकिन इतनी दूर जरूर थे कि किसी को हमारी आवाज ना सुनाई दे.
मुझे ठीक से तो याद नहीं लेकिन नदी किनारे Nolanने एक पत्थर घिस कर आग लगाई और हम वोीं बैठ गए. अंधेरा भी हो गया था और हम दोनों वहीँ बैठ कर हंसी मजाक और मस्ती करने लगे. जैसा कि कोई भी 12 साल के बच्चे करेंगे. रात हो चुकी थी. की Nolan ने अचानक मेरे पीछे कुछ देखते हुए मुझसे पूछा-” तुम्हें वो दिखा क्या”
मैं आपको बता दूं कि उस वक्त हम नदी से करीब 10 फीट दूर बैठे थे. और जिस जगह हम बैठे थे उस किनारे से नदी का दूसरा किनारा करीब 20 फीट दूर था.
गर्मियों के दिन जरूर थे लेकिन नदी का पानी बहुत ही ठंडा था.
मैंने पीछे मुड़ के देखा तो मैंने देखा कि दूर नदी में कुछ चल रहा है. हमको लगा वो कोई हिरण है. लेकिन आग की वजह से कुछ ठीक से दिख नहीं रहा था.
मैं थोड़ा पास जा कर देखता हूं तो मुझे दो सींघ दिखाई देते हैं जैसे हिरण के होते हैं, बिल्कुल वैसे.
हमको पक्का यकीन हो गया था कि वो कोई हिरण ही है. लेकिन हमें ये नहीं समझ आ रहा था कि वो इतनी रात में नदी में क्या कर रहा है. और वो पक्का हमारी ही तरफ आ रहा था.
मैंने Nolan से पूछा कि अब हमें क्या करना चाहिए. Nolan आग की तरफ अजीब ही तरीके से देख रहा था और उसने मुझे चुप करके बैठने को बोला. मैं चुपचाप बैठ गया.
वो मुझे धीरे से बोलता है कि उसकी तरफ मत देखो और नॉर्मल बातें करते रहो जैसे हम पहले कर रहे थे.
लेकिन मेरे दिमाग में तो कोई बात ही नहीं आ रही थी. वो मुझे एक मूवी की कहानी सुनाने लगा.
लेकिन मैं उस हिरण के नदी में चलने की आवाज सुन रहा था. उसकी बातों पर मेरा ध्यान ही नहीं जा रहा था.
बीच-बीच में उस हिरण की तरफ देखने की कोशिश करता तो नोलन हर बार मेरे कंधे पर हाथ मारकर मुझे उस तरफ ना देखने को बोलता. मैं ज्यादा डरा हुआ तो नहीं था क्योंकि तब तक मुझे यही लग रहा था कि वो कोई हिरण ही है. बस मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि Nolan इस तरह से क्यों act कर रहा है.
फिर मैंने उसके पानी में से बाहर निकलने की आवाज सुनी. मैं उसकी तरफ देख तो नहीं रहा था लेकिन फिर भी तिरछी नजर से मैं उसको हल्का हल्का देख पा रहा था. मुझे उसकी shape का अंदाजा हो रहा था और तभी मुझे पता चला कि वो कोई हिरण नहीं है. क्योंकि वो दो पैरों पर चल रहा था.
उस वक्त मैं बहुत ज्यादा डर गया था और बस उठ कर भागने वाला ही था कि Nolan ने मुझे पकड़ कर बैठा दिया और जोर-जोर से मूवी की कहानी सुनाने लगा. वो भी मेरे जितना ही डरा हुआ था. या शायद मुझसे भी ज्यादा.
Nolan थोड़ा सा आगे झुका आग में लकड़ी डालने के बहाने और मुझसे धीरे से बोला-” कि चाहे कुछ भी हो जाये, बस उससे बात मत करना”
मैं उसको हमारे पास आते हुए देख रहा था और वो बिल्कुल Nolan के पीछे आकर खड़ा हो जाता है.
मैं अपनी पेंट गीली करने वाला था और वहां से भागने की सोच रहा था लेकिन मैं Nolan को वहां अकेला छोड़कर भागना नहीं चाहता था. तो मैं वोीं बैठा रहा. और बीच-बीच में तिरछी नजर से उसको देख रहा था.
वो बहुत ज्यादा लंबा तो नहीं था लेकिन जिस तरह से वो खड़ा था वो बहुत ही अजीब था. उसका सेंटर ऑफ बैलेंस बिल्कुल ही अजीब था. मैं ठीक से तो नहीं बता सकता लेकिन वो बहुत ज्यादा आगे की तरफ झुका हुआ था.
वो बहुत देर तक Nolan के पीछे ही खड़ा रहा और फिर Nolan की भी बातें खत्म हो गई.
हम कुछ देर ऐसे ही बैठे रहे. आग के जलने का हल्का हल्का शोर आ रहा था.
मुझे लगा शायद मुझे उसकी आवाज सुनाई दे रही है, हल्की हल्की सी. तो मैं थोड़ा सा आगे झुकता हूं उसकी आवाज को ठीक से सुनने के लिए. और कसम से मैंने अपनी पेंट गीली कर दी थी क्योंकि मेरे थोड़ा सा आगे झुकते ही वो भी आगे झुकता है. मैं उसका चेहरा तो नहीं देख पाया लेकिन मैंने उसकी आंखें देखी. उसकी आंखें धुंदली और सफेद थी. बड़ी-बड़ी मानो उनके अंदर मवाद भरा हुआ है. दो बड़ी बड़ी आंखें बिल्कुल Nolan के सर के ऊपर तैर रही थी.
और उसके सर में से दो बड़े बड़े सींघ निकल रहे थे. और बस. वही मौका था जब मैं और Nolan वहां से भाग निकले.
हम बहुत तेजी से भागे थे. और अपने camp पहुंचने तक हमने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मेन कैंप में पहुंचते ही मैंने पीछे मुड़ कर देखा लेकिन हमारे पीछे कोई नहीं था. हम थोड़ी देर वोीं खड़े होकर सांस लेने लगे. हमारी सांसें फूली हुई थी. मैंने Nolan से पूछा कि वो क्या चीज थी. Nolan ने कहा- मुझे नहीं पता, बस मुझे मेरे दादा जी ने एक बार बताया था कि जंगल में कभी ऐसी कोई चीज तुम्हारे पास आए तो कभी उससे बात मत करना और उसकी बात मत सुनना.
मैंने नोलन से पूछा कि तुमने भी उसकी कोई बात सुनी क्या उसने बताया कि उसको सिर्फ एक ही बात समझ आई थी-“Help”

हैरी की ये कहानी wendigo की कहानियों से बिल्कुल मिलती जुलती है.
wendigo के बारे में कहा जाता है कि wendigo सुनसान जगहों की आत्मा होती है .
बहुत बार जब मैं जंगलों में अकेला होता हूं, जहां की मुझे पता होता है कि यहां से कई कई किलोमीटर दूर तक कोई नहीं है और मैं बिल्कुल अकेला हूं तो मुझे ये अजीब सी भूख लगती है जिसको कि मैं ठीक से बयान भी नहीं कर सकता. वो कोई नॉर्मल भूख नहीं होती है जैसे की हम को खाने के लिए लगती है वो ऐसी भयंकर भूख होती है मानो कि हमारे शरीर का हर एक हिस्सा भूखा हो

wendigo की तरह Faceless Man यानी कि ऐसा इंसान जिसका कोई चेहरा नहीं होता इसके भी किससे बहुत फेमस है और बहुत पुराने समय से लोग इनके बारे में बातें करते आये हैं.
मेरे एक दोस्त के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था. एक रात हम सब दोस्त अपने बेस पर ही थे. और रात में डिनर कर रहे थे. अपने रूम में हम पांच लोग थे मुझे मिलाकर. तो हमारा एक दोस्त अपनी एक कहानी सुनाता है.
मेरा ये दोस्त एक बार हमारे Base के गेट पर बने एक बोर्ड को पेंट कर रहा था.
तभी उसके पीछे से कोई आदमी आकर उसको आगे कैंप का रास्ता पूछता है.
मेरा दोस्त पीछे पलट के नहीं देखता क्योंकि वो उस वक्त सीढ़ी पर चढ़ा हुआ था. ऊपर चढ़े चढ़े ही वो बिना पीछे मुड़े उसको जवाब देता है कि यहां आसपास कोई Campsite नहीं है. लेकिन अगर वो सीधा जाएगा तो 4-5 किलोमीटर दूर एक दूसरा जंगल है और वहां एक कैंप साइट है. फिर मेरा दोस्त उससे पूछता है कि वो उसकी कोई और हेल्प कर सकता है क्या. वो आदमी जवाब देता है- No. थैंक यू.

मेरे दोस्त ने बताया कि वो सारा टाइम सीढ़ी पर ही चढ़ा हुआ था और पेंट कर रहा था. उसने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. लेकिन उसे सुन सब रहा था.
उसने उस आदमी के जाने की आवाज नहीं सुनी.
मेरे दोस्त ने बताया कि “जब वो आदमी मेरे पीछे आकर मुझसे बात कर रहा था तो पता नहीं क्यों मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे. और माहौल में एक अजीब सा डर आ गया था. और मैं बस जल्दी से वो पेंट खत्म कर के वहां से निकल जाना चाहता था.
और शायद ये भी एक कारण था कि मैंने उस आदमी को पीछे मुड़कर नहीं देखा. यहां तक की उस आदमी के मुझसे बात करने से पहले ही एक अजीब सी बदबू आने लगी थी हवा में. जैसे पुरानी लाश में आती है बिलकुल वैसी.
मैंने पीछे मुड़ कर भी देखा. लेकिन उस वक्त कुछ नहीं दिखाई दिया. फिर थोड़ी देर बाद वो आदमी वहां आया लेकिन मैंने उसके वापस जाने की कोई आवाज नहीं सुनी.
इसीलिए मैंने फिर से उससे पूछा कि उसको कोई और हेल्प चाहिए क्या.
उसने कोई जवाब नहीं दिया.
लेकिन मुझे पता था वोीं खड़ा हुआ है. मुझे उसकी मौजूदगी का अहसास हो रहा था. तो मैं ऊपर सीढ़ी पर ही चढ़े चढ़े पलट कर नीचे देखता हूं उस आदमी को कि वो कर क्या रहा है और मां कसम 1 सेकंड के लिए तो मुझे लगा कि शायद मेरा दिमाग खराब हो गया है. उस साले का तो कोई चेहरा ही नहीं था.
उसका फेस बिल्कुल smooth था. मुझे लगा मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा लेकिन तभी अगले ही पल उसका चेहरा वापस आ गया. मुझे लगा मेरा दिमाग मुझसे खेल खेल रहा है.
मेरी डरी हुई शक्ल देखकर वो मुझसे पूछता है-” आप ठीक तो हैं”
मैं हड़बड़ाते हुए जवाब देता हूं, हां मैं ठीक हूं.
वो फिर से मुझ से पूछता है campsite के बारे में.
मैं उसको अपना हाथ उठा कर इशारा करता हूं – कि इस रास्ते पर आगे चलते जाओ आपको 4- 5 किलोमीटर दूर ek campsite मिल जाएगी.
वो बोलता है कि उसकी वो इस इलाके में नया है और मैं उसके साथ चल के उस को रास्ता दिखा दू.
उसी पल मेरे कान खड़े हो जाते हैं. मैं समझ जाता हूं कि जरूर कुछ गड़बड़ है. क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता कि कोई नया आदमी रात में इस इलाके में आ जाए. और तो और वहां कोई car भी नहीं खड़ी थी तो वो आदमी वहां आया कैसे.
मैं उसको बोलता हूं -sorry मैं आपको अपनी सरकारी गाड़ी में नहीं ले जा सकता, हमें इसकी परमिशन नहीं है.
तो वो बोलता है- प्लीज मेरे साथ चलो ना.
उस पॉइंट तक मुझे पक्का यकीन हो जाता है की जरूर कुछ गड़बड़ है. मैं उसे बोलता हूं ठीक है तो मैं आपके लिए टैक्सी बुला लेता हूं और जहां आपका जाना है टैक्सी आपको ले जाएगी. ये बोलकर मैं अपनी जेब से अपना फोन निकालने लगता हूं.
मुझे फोन निकालते देख वो बोलता है नहीं नहीं और जल्दी से पीछे जाने लगता है.
लेकिन वो कमीना बाहर नहीं जा रहा था. वो घने जंगल के अंदर जा रहा था. उसके जाते ही मैं बोलता हूं- भाड़ में जाए पेंट, और मैं जल्दी से अपनी car स्टार्ट करके वहां से निकल जाता हूं.
कार स्टार्ट करते हुए मैं रियर व्यू मिरर से पीछे देखता हूं तो वो कमीना एक पेड़ के पास ही खड़ा था. मुझे नहीं पता वो इतनी जल्दी वहां तक कैसे पहुंचा लेकिन इस बार मुझे पक्का यकीन हो गया था उसका चेहरा नहीं है.
वो वही खड़ा मुझे बाहर जाते हुए देख रहा था. और जैसे ही मैं कार बाहर ले जाने लगा, उसने जंगल की तरफ एक बड़ा सा कदम बढ़ाया और जंगल में ही गायब हो गया. अंधेरे की वजह से शायद मैं ठीक से देख ना पाया हूं लेकिन बिल्कुल ऐसा लगा जैसे कि वो जंगल में ही घुल गया हो.

उस वक्त तक हम सब डिनर कर ही रहे थे रहे थे और मैं सीढ़ियों की बात छेड़ देता हूं.
सीढ़ियों की बात सुनते ही जैसे सब के कान खड़े हो जाते हैं. लेकिन कोई भी कुछ बोलता नहीं है. सीढ़ियों के बारे में बात शुरू करते ही सब ऐसा ही करते हैं .उनका डर ही इतना है सबके दिलों में.
खैर.
मन हल्का करने के लिए मैं अपनी एक कहानी सुनाता हूं सबको.
मेरी कहानी सुनने के बाद मेरा वो ही दोस्त जिसने अभी वो बिना चेहरे के आदमी की कहानी सुनाई थी वो अपनी एक और कहानी सुनाने लगता है. लेकिन इस बार बड़ी धीमी आवाज में.

वो बताता है कुछ साल पहले मैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ जंगल में कैंपिंग कर रहा था. हम मेन रोड से करीब 2 किलोमीटर दूर थे. रात में हम सोने के लिए जाते हैं अपने tent में. लेकिन सो नहीं पा रहे थे. क्योंकि बाहर से एक अजीब सा शोर आ रहा था.
जैसे कि कोई कुछ घिस रहा हो.
मेरे भाई को नींद में दांत घिसने की आदत थी और वो आवाज बिल्कुल वैसे ही लग रही थी.
मेरी गर्लफ्रेंड डरने लगती हैं लेकिन मैं उसको शांत करता हूं और उसका आवाज पर ध्यान ना देने को बोलता हूं.
कुछ देर बाद वो आवाज आनी बंद हो जाती है. और उसके थोड़ी ही देर बाद हमारी भी आंख लग जाती है और हम सो जाते हैं. लेकिन करीब 2 घंटे बाद अचानक मेरी आंख खुल जाती है पता नहीं क्यों मुझे कुछ गलत सा लग रहा था. मैं पलट कर देखता हूं तो मेरी गर्लफ्रेंड वहां से गायब थी. मेरी जान निकल जाती है. मैं जल्दी से टेंट से बाहर निकलता हूं और उसका नाम लेकर आवाज़ लगाता हूं. मैं थोड़ी सी दूर गया था कि मुझे वो आगे खड़ी दिखाई देती है. वो पेड़ों की तरफ किसी चीज को देख रही थी. उसका रंग बिल्कुल पढ़ चुका था. मैं उसके पास जाता हूं तो देखता हूं कि वो तो गहरी नींद में है. लेकिन उसकी आंखें खुली हुई थी. उसके चेहरे पर एक अलग ही लुक था जो की मैंने पहले कभी नहीं देखा था.
तो मैं अपना एक हाथ उसके कंधे पर डालकर उसको वापस ले जाने की कोशिश करता हूं लेकिन वो बिल्कुल भी नहीं हिलती. वो धीरे से मुझसे बोलती है -“अब मुझे जाना होगा, वो यहां आ चुके हैं”
मैं उस को हिलाते हुए बोलता हूं- तुम नींद में चल रही हो. चलो वापस चलो.
लेकिन वो हिलती. तक नहीं है. वहीँ खड़ी रहती है और बस यही बोले जा रही थी की अब उसको जाना होगा अब उसको जाना होगा. तभी मैं ध्यान देता हूँ कि वो देखा क्या रही है. देखता हूं तो सामने करीब 20 कदम दूर एक staircase है.
ग्रे कलर की कंक्रीट की बनी हुई सीढ़ियां. वो उन सीढ़ियों की तरफ आगे बढ़ने लगती है तो मैं उसपर जोर से चिल्लाता हूं.
मेरे चिल्लाने की आवाज सुनकर वो मानो नींद से जागती है. वो हैरानी से मेरी तरफ देखती है जैसे कि उसको कुछ पता ही नहीं है. वो मुझसे पूछती है कि हम वहां tent से बाहर क्या कर रहे हैं.
मैं उसको कुछ नहीं बताता. बस यही बोलता हूं कि वो नींद में चल रही थी. इसके बाद हम वापस अपने tent में चले आते हैं. वो घिसने की आवाज भी बंद हो चुकी थी. मुझे इस बारे में याद करना बिलकुल अच्छा नहीं लगता.

हम सब उसकी बात समझ सकते थे

फिर वो आगे बोलता है- “तुमने उस बच्चे के बारे में सुना है जो शायद मेंटली हैंडीकैप्ड था और गायब हो गया था और एक हफ्ते बाद जब वो मिला तो उसने जो बताया वो दिमाग घुमा देने वाला था”

हम ने जवाब दिया नहीं तो. क्या हुआ था बताओ.

वो बताता है कि वो बच्चा अपने पापा के साथ ही एक कैंप में था और अपने पापा को आग जलाते हुए ही देख रहा था की सीढिया उसके पास आती हैं और उस को उन सीढ़ियों के ऊपर जाना ही पड़ता है नहीं तो कुछ बहुत बुरा हो जाता. वो बताता है पुलिस वालों को समझ नहीं आ रहा था कि बच्चा क्या बोल रहा है. लेकिन वो बच्चा बार-बार तेज आवाज सुनाई देने की बात कर रहा था इतनी तेज कि उसको अपने कानों पर हाथ रखना पड़ रहा था. पुलिस वाले बच्चे से बस यही पूछ रहे थे कि वो कहां चला गया था. और वो बस यही बोल रहा था कि वो तो यहीं था. वो बार-बार अपनी तरफ इशारा कर रहा था कि वो तो यहीं था. उसने बताया कि सीढ़ियों को देखकर वो डरा नहीं था क्योंकि वो सीढ़ियों उससे बात कर रही थी. लेकिन वो नॉर्मल इंसानो जैसी बात नहीं थी बस उसको सीढ़ियों की बात उसके दिमाग में सुनाई दे रही थी. पुलिस वालों को कुछ समझ नहीं आया कि बच्चा क्या बोल रहा है और सबने यही मान लिया कि शायद बच्चा नींद में ही चल के कहीं दूर निकल गया था. लेकिन एक हफ्ते बाद जब वो मिला तो बिलकुल अच्छी हालत में था उसके कपड़े बिल्कुल साफ थे और उसको भूख भी नहीं लगी थी. ये बात किसी को समझ नहीं आई.

अजीब केसेस की बात करूं तो एक केस काफी फेमस हुआ था कुछ टाइम पहले. एक जवान लड़की अपने घर से गायब हो गई थी. शुरु शुरु में तो सबको यही लगा कि शायद वो घर से भाग गई है क्योंकि उसके घर में बहुत लड़ाई झगड़ा रहता था. लेकिन फिर कुछ लोगों ने रिपोर्ट दी उन्होंने उस लड़की को जंगल के आसपास देखा था उसके गायब होने से पहले. तो फिर कुछ Rangers को भेजा गया जंगल में उसको ढूंढने के लिए ये सोच कर कि कहीं उसने किसी पेड़ से लटक कर फांसी ना खा ली हो. उनको थोड़ा वक्त लगा लेकिन वो मिल ही गई. पूरी तो नहीं मिली बस उसका कुछ हिस्सा ही मिला था. उसकी जीभ और नीचे वाला जबड़ा ही मिले थे. बिल्कुल सफाई से कटे हुए. बाकी का शरीर कभी नहीं मिला.

खोए हुए बच्चों के बहुत केस आते थे. कुछ गायब हो कर किसी गुफा में पहुंच जाते या ऐसी किसी टाइट गड्ढे में फंसे मिलते जहां पहुंचना बिल्कुल इंपॉसिबल ही होता था. या फिर ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर मिलते हैं या फिर अपने खोने के जगह से दसियो किलोमीटर दूर.
एक बार एक यंग कपल एक ऊंची पहाड़ी पर Hiking के लिए गए थे. उन्होंने बताया कि वो लोग ऊपर पहाड़ी पर चढ़ ही रहे थे कि उन्होंने ऊपर अपने binocular से देखा कि एक और Hiker ऊपर चढ़ रहा है.
बाद में जब वो पहाड़ी के ऊपर पहुंचते हैं तो वो दूसरा Hiker भी उनको वहीँ खड़ा दिखाई देता है.
वो दूर से उनकी तरफ हाथ हिला रहा था. हाथ हिलाते हिलाते ही वो बीच में से टूट गया और उसके दो टुकड़े हो गए और वो पहाड़ी से नीचे गिर गया. उन्होंने मुझको इसकी रिपोर्ट दी. मैंने बोल दिया कि मैं पता लगाऊंगा लेकिन मैंने वो रिपोर्ट नोट ही नहीं की क्योंकि वो दसवीं ऐसी रिपोर्ट थी मेरे पास उस आदमी के देखे जाने की. हम सब को उसके बारे में पता था.

इन जंगलों में इतने साल बिताने के बावजूद बहुत सारी चीजें ऐसी हैं जिनको मैं आज तक समझ नहीं पाया और शायद कभी समझ भी नहीं पाऊंगा. समझ में आई तो सिर्फ एक बार अगर आप जंगल में जाओ तो अपना ध्यान रखो. अपने साथ पानी, खाना और इमरजेंसी इक्विपमेंट्स लेकर जाओ. और ऐसे किसी रास्ते पर मत जाओ जिसका आपको अच्छे से नहीं पता है और सबसे जरूरी- कभी उनके पास मत जाना, उनको छूना मत और उनके ऊपर मत जाना.

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