Dive into the Darkness with Praveen

छुट्टियाँ मनाने गए दोस्तों के साथ हुआ डरावना हादसा – सच्ची खौफ्फ्नाक कहानियाँ

छुट्टियाँ मनाने गए दोस्तों के साथ हुआ डरावना हादसा - सच्ची खौफ्फ्नाक कहानियाँ

यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है
दोस्तों, यूं तो भूत प्रेत की kahaniyaan सुनने में खूब मजा आता हैं और मजा तब दोगुना हो जाता हैं जब हम किसी vampire यानी की पिशाच की कहानी सुनते हैं।

पिशाच के बारे में कहा जाता है की पिशाच न तो एक इंसान होता है और न ही जानवर। यह एक ऐसा जीव होता है जो खून पीकर जिंदा रहता है। यह कहानी अमेरिका के मर्सी ब्राउन ग्रेव नामक शहर की है। इस शहर के बारे में बताया जाता है कि इस प्यूर शहर में सिर्फ कब्रिस्तान ही है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस कब्रिस्तान जैसे सूनसान इलाके में भी रात के समय अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं। और ये आवाएं पास के इलाके में रहने वाले लोगों को स्पष्ट रूप से सुनाई देती हैं। तो हैरानी की बात यह है कि जब इस प्यूर शहर में कोई रहता ही नहीं है तो फिर देर रात ये आवाजें कैसे आती हैं?

और आवाजें भी इतनी भयानक होती हैं जैसे कोई किसी इंसान का दिल उसके कलेजे से फाड़कर निकाल रहा हो। ऐसी दर्दनाक चीखें जो आपके इमेजिनेशन को हिला कर रख दे। इस जगह का खौफ ऐसा है कि शहर में आने के रास्ते भी सरकार ने बंद किए हुए हैं ताकि कोई ग़लती से भी कोई इन खतरनाक मुर्दों के इलाके में न चला जाए।

लेकिन आखिर इस जगह की सच्चाई क्या है? क्यों यहाँ रात भर ऐसी दर्दनाक चीखें सुनाई देती हैं? बताते हैं कि ये जगह हमेशा से ऐसी नहीं थी। बहुत साल पहले इस इलाके में भी लोग रहते थे। शहर में खूब चहल-पहल रहती थी। बताते हैं कि यहाँ के एक गांव में हर साल एक बहुत बड़ा मेला लगा करता था। जिसमें उस गांव के साथ-साथ पूरे शहर से लोग घूमने आते थे।

इस मेले की खास बात यह थी कि ये दिल ढलने के बाद लगता था… तो ऐसे कि एक बार 1970 के आखिरी महीने में जब इस मेले का आखिरी दिन था, तभी रात में अचानक आसपास के पूरे इलाके में भगदड़ मच गई। सब लोग चीखते चिल्लाते हुए इधर-उधर भागने लगे।

वहीं पास में ही उस इलाके के एक बड़े प्रिस्ट का घर भी था। तो शोर-शराबा सुनकर वो भी अपने कुछ लोगों के साथ बाहर आए, लेकिन उनको भी समझ नहीं आया कि यहाँ क्या हो रहा है। भगदड़ इतनी मच गई थी कि वो भी किसी तरह-तरह से अपनी जान बचाकर वहाँ से भागने लगे… जैसे-तैसे वो रात बीती और अगली सुबह हुई… किसी को नहीं पता था कि रात में असल में हुआ क्या था… क्यों अचानक से वहाँ भगदड़ मच गई थी।

लोग इकठ्ठा होकर फिर से उस मैदान में पहुंचे लेकिन वहां पहुंचते ही उन सबके होश उड़ गए… लोगों ने देखा कि मैदान के अंदर एक कटार में बहुत सारी लाशें पड़ी थीं… जिनमें से एक लाश वहाँ रहने वाले उस प्रिस्ट की भी थी।

लाशों का वो नजारा देखकर सबका दिल दहल गया। लेकिन फिर लोगों ने एक बहुत अजीब चीज़ नोटिस की… वो ये कि उन सभी लाशों में खून का एक

कतरा भी मौजूद नहीं था… जैसे कि उन सब लाशों से उनका खून चूस लिया गया हो… और हर एक लाश में २ छेद बने थे… किसी की गर्दन पे तो किसी की पीठ पे… जैसे कि किसी ने अपने दांत उनके शरीर में गाड़े हों… किसी को समझ नहीं आ रहा था कि यहाँ क्या हुआ है।

पुलिस और फोरेंसिक की टीम की जांच में भी यही बात सामने आई कि सभी लाशों का खून उन दो छेदों में से चूस लिया गया था जो उनके शरीर पर बने थे… किसी भी शरीर में और कोई चोट का निशान तक नहीं था।

लोगों का कहना था कि इस पूरी घटना के पीछे जरूर किसी शैतान का हाथ है… क्योंकि हर साल वो मेला किसी दूसरे मैदान में लगता था… लेकिन इस बार वो मैदान खाली न होने के कारण मेला वहाँ के एकलोते कब्रिस्तान के बगल में लगाया गया था।

पुलिस ने इंवेस्टिगेशन की लेकिन कुछ भी सामने नहीं आया। धीरे-धीरे लोग भी इस घटना के बारे में भूल गए। २ महीने बीत चुके थे। इलाके में पहले जैसी आवाज़ें शुरू हो गई थीं। फिर एक शाम उसी मैदान में कुछ बच्चे बास्केटबॉल खेल रहे थे। तभी उनकी बास्केटबॉल ग्राउंड से निकलकर उस कब्रिस्तान की तरफ चली गई। तो उनमें से एक लड़का बॉल लेने के लिए उस कब्रिस्तान में पहुंच गया। कब्रिस्तान में गया तो उसने देखा कि उनकी बॉल एक खुली कब्र में फंस गई थी। वो देख के पहले तो उसे बहुत हैरानी हुई कि कोई कब्र खुली कैसे हो सकती है। लेकिन वो ज्यादा ध्यान न देते हुए सीधा अपने बॉल उठाने के लिए उस कब्र के पास पहुंच गया। लेकिन कब्र के पास पहुंचते हुए उसने कब्र के अंदर से किसी के बड़बदाने की आवाज़ सुनाई देने लगी। ये सुन के वो लड़का बहुत डर गया। वो जल्दी से बॉल उठाने के लिए नीचे झुका। लेकिन उसके झुकते ही किसी ने कब्र के अंदर से उसका हाथ पकड़ लिया। लड़का जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसकी आवाज़ सुनके उसके दोस्त वहाँ पहुंचे तो देखा कि वो वहाँ से गायब था। उन्होंने उसको आसपास देखा लेकिन वो कहीं नहीं था। वो सब बहुत डर गए और वहाँ से वापस जाने लगे। और तभी कब्रिस्तान के एक कोने से उनको आवाज़ आई… “अपने दोस्त को साथ लेके नहीं जाओ।” उन्होंने झट से उस तरफ देखा तो देखा कि उनका वही दोस्त वहाँ खड़ा था जो बॉल लेने आया था। उन सबको लगा कि शायद वो लड़का उनसे मज़ाक कर रहा है। लेकिन तभी उन सबके देखते ही देखते वो लड़का एक काली परछाई में बदलने लगा। ये देखते ही वो सबके सब वहाँ से भागने लगे… वो उनका दोस्त नहीं था… वो अब कुछ और ही बन चुका था। तभी भागते हुए लड़कों में से उसने एक लड़के को पकड़ लिया और उसके ऊपर झपट के उसकी गर्दन में अपने दांत गड़ा दिए और उसका खून पीने लगा.. सब लड़कों ने वो सब अपनी आंखों से होता देखा था.. किसी तरह बाकी के सब लोग वहां से अपनी जान बचा के भागे.. अगले दिन तक ये बात पूरे शहर में आग की तरह फैल चुकी थी.. कि उस कब्रिस्तान में पिशाच का वास है.. पूरे इलाके में डर का माहौल हो गया था.. लेकिन बहुत से लोग इन सब बातों को अफवाह भी बताते थे. लेकिन फिर धीरे धीरे पूरे शहर में ही वैंपायर अटैक के मामले सामने आने लगे.. सिर्फ कब्रिस्तान या उस मैदान में ही नहीं बल्कि पूरे शहर में ही जगह जगह लोगों की लाशें पाई जाने लगी.. और हर एक लाश में एक चीज़ समान होती थी.. कि उन सभी की बॉडी से सारा खून चूसा गया होता था. धीरे धीरे उस शैतान का खौफ इतना बढ़ गया कि लोगों ने रात में घर से बाहर निकलना ही बंद कर दिया.. लोग बताते थे ये शहर में कोई एक दो नहीं.. बल्कि इन शैतानों का पूरा एक ग्रुप है.. जो लोगों का खून पीकर उनका शिकार करता है.. फिर वहां पे एक बहुत बड़े एस्ट्रोलॉजर और एक पैरानॉर्मल एक्सपर्ट की टीम को बुलाया गया.. उन लोगों ने बताया कि ये पिशाच उसी कब्रिस्तान से ही निकले हैं.. ये एक तरह के कौम पिशाच थे जो सिर्फ रात में ही बाहर निकलते थे.. लेकिन इस मामले की और ज्यादा तह में जाने पर उन्हें पता चला कि ये शैतान असल में खुद से नहीं बने, बल्कि इन्हें बनाया गया है… पता चला कि एक काला जादू करने वाले सैटनिस्ट ने उस कब्रिस्तान में लाशों को अपने काबू में करने के लिए उन्हें अपनी ताकत से जिंदा किया था और वही उन सब शैतानों को अपने इशारे पर नचा रहा था.. लेकिन उस आदमी ने इन मुर्दों को जिंदा तो कर दिया लेकिन वो खुद इनको संभाल नहीं सका और मारा गया.. पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर्स और उस एस्ट्रोलॉजर ने मिलके ये पता लगाया कि उस आदमी के पास एक खास तरह की चंदन की लकड़ी थी जिससे वो इन शैतानों को काबू करता था.. और वो लकड़ी अभी भी उसी कब्रिस्तान में ही दफन थी.. तो वहां के चर्च के प्रीस्ट्स और इन्वेस्टिगेटर्स ने मिलके उन शैतानों को काबू में करने का एक प्लान बनाया.. उन्होंने प्लान बनाया कि रात में उनमें से एक आदमी उस कब्रिस्तान में जाएगा.. जिससे कि वो शैतान उसका शिकार करने के लिए अपनी कब्रों से बाहर निकल जाएं और उनको पता चल सके कि वहां असल में कितने शैतान मौजूद हैं.. उन्होंने वैसा ही किया.. अंधेरा होने के बाद बहुत सारे लोग चुपके उस कब्रिस्तान के बाहर खड़े हुए.. और उनमें से एक आदमी कब्रिस्तान के अंदर चला गया.. और जैसे उन्होंने सोचा था.. उसके अंदर जाते ही बहुत सारे मुर्दे अपनी कब्रों से बाहर निकल के आने लगे.. और अपने प्लान के मुताबिक उन शैतानों के बाहर निकलते ही उन लोगों ने कब्रिस्तान के चारों तरफ लकड़ियों के बड़े-बड़े बत्तों में आग लगा दी.. वो शैतान आग से डर के अपनी कब्रों के अंदर भागने लगे.. सबको लगा था कि अब इन शैतानों को हमेशा के लिए खत्म करा जा सकेगा.. लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था.. अचानक से वहां तेज बारिश आने लगी.. उनकी लगाई आग बुझने लगी.. आग बुझते ही शैतान उन लोगों के ऊपर झपट पड़े,.. उनमें से कुछ तो अपनी जान बचा के भागने में सफल हो गए लेकिन बहुत सारे लोग उन शैतानों का शिकार बन गए.. अगली सुबह वो लोग वापस आए तो देखा कि उन सबकी लाशें उसी कब्रिस्तान में पड़ी थीं.. सबके शरीर से खून चूसा जा चुका था.. ये बात आसपास के सब शहरों में फैल गई.. वो पूरा शहर वैंपायर्स के खौफ से बदनाम होने लगा.. शहर के लोग भी डर के मारे शहर छोड़ के दूसरी जगहों पर जाने लगे.. और देखते ही देखते पूरा शहर वीरान हो गया.. लेकिन उन शैतानों का खतरा अभी भी बना हुआ था.. इसलिए कुछ समय बाद वहां के एक बहुत बड़े प्रीस्ट ने उस पूरे इलाके को चारों तरफ से बांध दिया.. जिससे कि वो शैतान उस इलाके से बाहर ना निकल सकें.. उस इलाके को उन्होंने बांध तो दिया लेकिन आज भी वो इलाका बिलकुल वीरान है.. लोग उसके आसपास जाने से भी डरते हैं.. लोग बताते हैं आज इतने सालों बाद भी रात के समय उस इलाके से अजीब अजीब आवाजें सुनाई देती हैं.. लेकिन वो आवाजें किसकी हैं ये देखने जाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता..

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मेरा नाम सुनील है। भूत-प्रेत-शैतान जैसी चीज़ों के बारे में बचपन से सुनता तो आया था लेकिन मेरा खुद कभी ऐसी चीज़ों से सामना नहीं हुआ था। लेकिन फिर एक दिन ये सब बदल गया। ये कई साल पहले की बात है। जब हमारे कॉलेज की छुट्टियाँ पड़ने वाली थीं। छुट्टियाँ पड़ने से पहले मैंने अपने दोस्तों के साथ एक एडवेंचर ट्रिप पर जाने का प्लान बनाया था। हमने सोचा था कि हम किसी जंगल या किसी ख़तरनाक जगह पर जा के एक रात बिताएंगे और फिर अगले दिन अपने-अपने घर चले जाएंगे। मैंने अपने दोस्तों को इस आइडिया के बारे में बताया तो उन्होंने भी हाँ कर दी। लेकिन ये समझ नहीं आ रहा था कि हम जाएँ कहाँ। हम चाहते थे कि हम किसी ऐसी जगह पर जाएँ जहाँ बहुत कम लोग आते-जाते हों। फिर हमें कॉलेज से 221 किलोमीटर दूर असम के एक जंगल के बारे में पता चला। उस जंगल के बारे में कहते हैं कि वहाँ एक शैतान का वास है, जो रूप बदल कर आता है। तो उस जगह के बारे में जानते ही हम तीनों उस जगह जाने के लिए तैयार हो गए। हम सब बहुत उत्साहित थे। मुझे तो पूरा यकीन था कि ये सब सिर्फ अफ़वाह है। ऐसा कोई शैतान-वैतान उस जंगल में नहीं मिलने वाला। फिर अपने कॉलेज के आखिरी दिन हम सब अपना सामान लेकर उस जंगल के लिए निकल गए। हम सुबह 8 बजे कॉलेज से निकल गए थे। 4 घंटे का रास्ता था। मैं और मेरा दोस्त अजय तो बहुत खुश थे, लेकिन भावेश थोड़ा डरा हुआ लग रहा था। फिर 2 घंटे ड्राइव करने के बाद हम एक जगह चाय पीने के लिए रुक गए। वो एक छोटी सी दुकान थी जिसमें एक बूढ़ी औरत बैठी थी। हम वहाँ खड़े होकर चाय पीने लगे। इसी बीच बातों-बातों में वो हमसे पूछने लगी, “कि तुम तीनों कहाँ घूमने जा रहे हो? कहीं तुम उस जंगल में तो नहीं जा रहे।” उसकी बात सुनकर भावेश पूछने लगा, “क्यों अम्मा, ऐसा क्या है उस जंगल में जो आप हमसे पूछ रही हो?” तो उस बूढ़ी औरत ने बताया कि उस जंगल में बहुत से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और गायब हो चुके हैं। रात के समय तो उस जंगल में पैर भी नहीं रखना चाहिए। उसकी बात सुनकर हम तीनों एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे। मैं ये बात अच्छे से जानता था कि गाँव के इलाकों में लोग इस तरह की बातों को बहुत मानते हैं, खासकर बूढ़े लोग बहुत अंधविश्वासी होते हैं। मैंने उससे कहा, “नहीं-नहीं, हम उस जंगल में नहीं जा रहे। हम तो उसके आगे एक दूसरे गाँव में जा रहे हैं।” और फिर हम कुछ देर वहाँ रुकने के बाद वहाँ से निकल गए। और फिर कुछ घंटे और ड्राइव करने के बाद हम उस जंगल में पहुँच गए। दोपहर ढलने लगी थी। हम तीनों ने कार से अपना सामान निकाला और जंगल के अंदर जाने लगे। हमने सोचा था कि जंगल के अंदर जा कर किसी अच्छी सी जगह पर अपना टेंट लगा लेंगे और मस्ती करेंगे। हम तीनों पैदल चलते हुए जा ही रहे थे कि तभी भावेश अचानक से चिल्लाया, “वो देखो क्या है।” हम दोनों ने झट से पलट कर देखा लेकिन हमें कोई नज़र नहीं आया। हमने उससे पूछा क्या हुआ, तो वो बोला कि उसको दूर पेड़ों के बीच कोई अजीब सा जानवर जैसा कुछ खड़ा दिखाई दिया है। मैंने कहा, “तूने जरूर कोई हिरन वगेरा देख लिया होगा। डर मत, चुपचाप चलता रह।” मैं और अजय हंसने लगे और आगे बढ़ने लगे। भावेश भी हमारे पीछे-पीछे आने लगा। वो सर्दियों का समय था, इसलिए शाम होते ही जंगल में कोहरा छाने लगा था। तो हम लोगों ने जल्दी से एक जगह ढूंढी और वहाँ टेंट लगाने लगे। हम अंधेरा होने से पहले अपना टेंट सेट कर देना चाहते थे। फिर कुछ देर बाद हमारा टेंट तैयार हो गया, जिसके बाद हमने खाना खाया और फिर बैठकर बातें करने लगे। जंगल में बहुत शांति थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अंधेरा होने लगा था। फिर अजय बोला, “चल जंगल में थोड़ा घूम कर आते हैं, देखें तो सही वो शैतान जंगल में कहाँ रहता है।” अजय की बात सुनकर भावेश बोला, “नहीं, अंधेरा हो गया है, ऐसे में हमें जंगल में और अंदर नहीं जाना चाहिए।” मैंने कहा, “डरने की जरूरत नहीं है। यहाँ कोई भूत-वूत नहीं है। चल थोड़ा टहल कर आते हैं।” और फिर हम पैदल चलते हुए जाने लगे। अब हम कुछ ही दूर गए थे कि अचानक हमें हमारे पीछे से किसी के कूदने की आवाज़ आई, जैसे कि कोई बहुत भारी चीज़ पेड़ से नीचे कूदी हो। हमने पलट कर देखा लेकिन वहाँ कोई नहीं था। हमें लगा कि शायद जंगल का कोई जंगली जानवर होगा। हम वापस अपने टेंट में आ गए। ठंड बहुत हो रही थी, इसलिए हमने जल्दी से कुछ लकड़ियाँ इकट्ठी कीं और आग जला कर उसके सामने बैठ गए। वहाँ बैठे हमें मुश्किल से 10 से 15 मिनट ही हुए थे कि जंगल के अंदर से किसी के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई दी। आवाज़ बिलकुल ऐसी थी जैसे कोई बहुत दर्द में हो। लेकिन इतनी रात में इस जंगल में कौन हो सकता था। अजय बोला, “शायद कोई मुसीबत में है, उसे मदद की जरूरत है।” मैंने कहा, “नहीं, यहाँ इस समय कोई इंसान क्यों आएगा।” लेकिन अजय को पता नहीं क्या हो गया था, वो मेरी बात सुने बिना ही जंगल के अंदर जाने लगा। मैंने और भावेश ने उसे रोकने की भी कोशिश की लेकिन वो नहीं रुका। मुझे डर था कि कहीं वो किसी मुसीबत में ना पड़ जाए, इसलिए मैं और भावेश भी उसके पीछे-पीछे जाने लगे। हम कुछ ही दूर गए थे कि हमें किसी कुत्ते के बहुत जोर से रोने की आवाज़ सुनाई दी। लेकिन वो बहुत ही अजीब तरह से रो रहा था, जैसे कोई इंसान रो रहा हो। मैं समझ गया कि अभी थोड़ी देर पहले जो आवाज़ हमने सुनी थी वो भी जरूर इसी जानवर की ही होगी। लेकिन अजय का अभी भी कुछ अता-पता नहीं था। मैं और भावेश उसे आवाज़ें मारते हुए उसे ढूँढने लगे। तभी हमें अपने पीछे से अजय की आवाज़ आई। हमने पलट कर देखा लेकिन अजय वहाँ नहीं था। लेकिन वो आवाज़ तो अजय की ही थी। मैं भाग कर उस तरफ चला गया और उसे इधर-उधर देखने लगा। और तभी मैंने देखा कि अजय सामने एक पेड़ पर उल्टा लटका हुआ था। मैंने भावेश को आवाज़ देकर जल्दी से वहाँ बुलाया और किसी तरह अजय को नीचे उतार के उसे अपने टेंट में ले आए। अजय के शरीर पर कई सारे जख्म बने हुए थे जिनमें से खून निकल रहा था, जैसे किसी ने पंजे से उस पर वार किया हो। गनीमत थी कि उसकी साँसें अभी भी चल रही थीं। और तभी हमें कुछ दूर पेड़ों के बीच कोई खड़ा हुआ दिखाई दिया, कुछ ऐसा जो कि ना तो कोई इंसान था और ना कोई जानवर। वो अपने चारों पैरों पर तो खड़ा था लेकिन उसका आधा शरीर इंसान जैसा लग रहा था। उसके चेहरे पर और हाथ-पैरों पर बहुत सारे बाल थे। वो कई देर तक वहीं खड़ा रहा, लेकिन हमारे पास नहीं आया। शायद इसलिए क्योंकि हमारे पास आग जल रही थी। और फिर कई देर खड़े रहने के बाद वो ज़मीन पर ही बैठ गया, किसी कुत्ते की तरह, जैसे कि वो इंतजार कर रहा हो कि हम कब उस आग से दूर जाएँ और वो हमारा शिकार करे। ये भी गनीमत थी कि हम अपने साथ फर्स्ट-एड का भी कुछ सामान लेके आए थे। भावेश ने अजय के जख्मों को साफ करके उसकी पट्टी कर दी। पूरी रात वो शैतान वहीं बैठा रहा। और फिर दिन निकलने से कुछ देर पहले ही वो उठा और जंगल में गायब हो गया। दिन निकलते ही हमने अपना सामान पैक किया और अजय को लेकर जल्दी से उस मनहूस जंगल से निकल गए। उस दिन मुझे समझ आ गया कि इस दुनिया में सच में इस तरह के शैतान होते हैं। हमने कसम खा ली कि आज के बाद कभी उस जंगल में वापस नहीं जाएंगे।

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मेरा नाम अमन गौतम है। मैं आपको अपने हॉस्टल की कहानी बताने जा रहा हूँ। ये मेरे साथ तब हुआ था जब मैं 6th class में पढ़ता था। हमारे हॉस्टल का नाम दीनदयाल शोध संस्थान था जो कि चित्रकूट जिले में पड़ता था। हॉस्टल में कई सारी अलग-अलग बिल्डिंग्स थीं जिनमें अलग-अलग क्लास के बच्चे रहा करते थे। हर एक बिल्डिंग में एक सर होते थे जिनको हम पिताजी कहा करते थे। साथ ही बता दूं कि हमारे हॉस्टल की बिल्डिंग के ठीक पीछे पूरा जंगल ही जंगल पड़ता था। जब मैं पहली बार उस हॉस्टल में गया तो मुझे उसके बारे में बहुत कुछ बताया गया। लेकिन मैं डरता नहीं था। हॉस्टल में रहने वाले बच्चे इतना डरते थे कि रात होने के बाद अकेले बाथरूम में भी नहीं जाते थे। किसी न किसी को साथ लेकर ही जाते थे। अगर साथ जाने वाला कोई नहीं होता तो वो डस्टबिन में ही टॉयलेट कर लेते थे। मैं अकेला ही बाहर बाथरूम में जाया करता था। रात के समय अकेले बाथरूम में जाना बिलकुल किसी श्मशान घाट में अकेले जाने के बराबर था। लेकिन मैं अपने आप को डरपोक नहीं दिखाना चाहता था इसलिए मैं डरता नहीं था। मैं जिस बिल्डिंग में रहता था वो 10 नंबर बिल्डिंग थी। तो एक बार हमारे एक टीचर जो कि 9 नंबर बिल्डिंग में रहते थे, रात में उनके गेट पे किसी ने नॉक किया। उन्होंने दरवाजा खोल के देखा तो बाहर अँधेरे में एक आदमी खड़ा था। उस आदमी ने उनसे तंबाकू माँगा। टीचर को लगा कि वो शायद हॉस्टल का रसोइया है, अँधेरे में ठीक से दिख भी नहीं रहा था। टीचर बोले, “मैं तंबाकू नहीं खाता। तुम्हें चाहिए तो मैं तुम्हारे लिए हसिया लेके आता हूँ।” इतना कह के टीचर अंदर हसिया लेने चले गए और फिर बाहर आए तो देखा कि वो आदमी वहाँ से जा चुका था। वो भाग के बाहर हॉल में गए तो देखा कि वो आदमी बाहर रोड पे जा रहा था। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था क्योंकि हॉल का गेट तो अंदर से बंद था। और तभी उनके देखते ही देखते वो आदमी वहाँ से गायब हो गया। ये देख के वो टीचर बुरी तरह घबरा गए। उनकी पत्नी ने अगले दिन ये बात सबको बताई। लेकिन ये कोई एक किस्सा नहीं था, इस तरह के बहुत सारे किस्से उस हॉस्टल में होते रहते थे। वो हॉस्टल U शेप में बना था। फिर कुछ समय बाद मैं 6 नंबर बिल्डिंग में रहने लगा। तब मैं जिस बिल्डिंग में रहता था उसके एक बिल्डिंग छोड़ के आगे पूरा हॉरर ज़ोन शुरू हो जाता था। 1 नंबर से लेकर 4 नंबर तक की बिल्डिंग के आसपास अँधेरा होने के बाद कोई नहीं जाता था। एक शाम ऐसे ही मैं अपने एक दोस्त के साथ मस्ती कर रहा था। वो मुझे मार के भागा तो उसको पकड़ने के लिए मैं भी उसके पीछे भागने लगा। भागते-भागते मैं सीधा 3 नंबर बिल्डिंग के सामने पहुँच गया। वहाँ पहुँचते ही मेरे पैर अपने आप रुक गए। मैंने देखा कि मैं ठीक 3 नंबर बिल्डिंग के सामने खड़ा था। और तभी मुझे उस बिल्डिंग के अंदर से किसी लड़की के गाना गाने की आवाज़ सुनाई देने लगी। लेकिन तब बाहर रोड पे खड़ा था और वो आवाज़ बिल्डिंग के अंदर से आ रही थी। वो आवाज़ सुनते ही मैं और मेरा दोस्त तेजी से अपनी बिल्डिंग की तरफ भागने लगे। बीच में शहतूत का बड़ा सा पेड़ पड़ता था। उसके पास पहुँचते ही ऐसी आवाज़ आई जैसे कोई उस पेड़ पर जोर से कूदा हो। लेकिन हम नहीं रुके और सीधे अपने रूम में पहुँच गए। उस दिन हमारे साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ लेकिन उसके बाद मैंने रात के समय बाहर निकलना बंद कर दिया। उस हॉस्टल में इस तरह की और भी बहुत सारी चीज़ें होती रहती थीं। Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi. Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi.

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मेरा नाम करण है। मैं अभी 17 साल का हूँ। ये अभी 4-5 साल पहले की बात है। मेरी मम्मी हमारे शहर के एक स्कूल में worker staff में काम करती थीं। तो उस दिन हर रोज की तरह मम्मी जब स्कूल से घर आईं तो बिलकुल normal थीं। फिर शाम को मेरे पापा और मेरी बहन किसी काम से बाहर गए हुए थे। मम्मी अकेली अंदर bed पे लेटी थीं। तभी मेरी नजर मम्मी के ऊपर पड़ी तो मैंने देखा कि मम्मी रो रही थीं। मैं मम्मी के पास गया और उनसे पूछा कि क्या हुआ, आप रो क्यों रही हैं लेकिन मम्मी ने कुछ नहीं बताया। बोलीं बस सिर में दर्द हो रहा है। लेकिन फिर उसी रात जब हम सब खाना खा रहे थे तो खाना खाते-खाते अचानक मम्मी अजीब ही तरीके से रोते हुए रोटी के टुकड़े-टुकड़े करने लगीं। मम्मी को ऐसा करते देख हम तीनों डर गए। और फिर मम्मी और बुरी तरह से रोने लगीं। रोते हुए मम्मी बार-बार अपना पेट पकड़ रही थीं, जैसे कि उनके पेट में बहुत तेज़ दर्द हो रहा हो। फिर पापा ने जल्दी से गाँव के एक डॉक्टर को बुलाया। लेकिन डॉक्टर के आने से पहले ही मम्मी बिलकुल normal हो गईं और एकदम किसी बच्चे की तरह behave करने लगीं। डॉक्टर आए और मम्मी को check करने लगे। लेकिन मम्मी अभी भी अजीब-अजीब हरकतें कर रही थीं। मम्मी की हरकतें देखकर डॉक्टर बोले कि इनके ऊपर पक्का कोई ऊपरी चक्कर है। मम्मी पहले कुछ भी नहीं बोल रही थीं। लेकिन फिर डॉक्टर ने मेरी और मेरी बहन की तरफ इशारा करके मम्मी से पूछा कि ये कौन हैं, जानती हो इनको? तो मम्मी बोलीं, “नहीं, मुझे नहीं पता ये कौन हैं।” मम्मी की बात सुनकर हमें बहुत बुरा लगा। डॉक्टर ने कहा कि आप इन्हें जल्दी से किसी बाबा के पास लेकर जाओ। तब तक आसपास के दूसरे लोग भी इकट्ठा हो गए थे। पापा ने मम्मी से पूछा कि तुम कौन हो और यहाँ क्यों आई हो? तो मम्मी के अंदर से वो चीज बोली, “नहीं बताऊँगी, तुम क्या कर लोगे।” पापा उस चीज के साथ बहस करने लगे। तो मम्मी उठीं और पापा का गला दबाने लगीं। लेकिन पापा डरे नहीं। पापा मम्मी को चप्पल से मारने लगे। पापा रामजी के भगत हैं। हमने रामजी की एक माला भी मम्मी के गले में डाल दी। मम्मी चिल्लाने लगीं, “बोलीं ये माला खोलो।” लेकिन हम मम्मी को पकड़े रहे। फिर मेरे पापा और मेरे 2-3 पड़ोस के भाई गाँव के एक बाबा के पास गए लेकिन उस बाबा ने मम्मी का इलाज करने से मना कर दिया। तब तक मम्मी की हरकतें और ज्यादा बढ़ती जा रही थीं। मम्मी कभी हंसतीं तो कभी अचानक रोने लगतीं। हम उस आत्मा से कह रहे थे कि तू यहाँ से चली क्यों नहीं जाती। वो मम्मी के मुँह से कह रही थी कि “मैं सुबह होने के बाद ही जाऊँगी।” उसका इरादा था कि वो मम्मी को भी मार के अपने साथ ले जाए। इतने में मेरे मामा को सारी बात पता चली तो वो अपने गाँव के एक छोटे-मोटे बाबा को लेकर वहाँ पहुँच गए। वो बाबा वहाँ पहुँचे और मम्मी के ऊपर से उस आत्मा को उतारने की कोशिश करने लगे। लेकिन वो आत्मा नहीं मान रही थी। इसी बीच पापा और कुछ लोग पास के एक दूसरे गाँव में एक बाबा के पास पहुँचे। वो बाबा बहुत ही शक्तिशाली थे। पापा ने उनको बस अपना नाम ही बताया था कि उस बाबा ने मम्मी की पूरी बात चुटकियों में बता दी। फिर वो भी हमारे घर पहुँचे और उन दोनों बाबाओं ने मिलकर मम्मी को ठीक कर दिया। हम सब बहुत खुश थे। उन्होंने मम्मी को एक धागा पहनने को दिया और पापा को सुबह के लिए कोई इलाज बताया। बाद में बाबा ने बताया कि ये पास के शहर की ही एक औरत की आत्मा थी। उस औरत का बच्चा होने वाला था लेकिन उसको मार दिया गया। इसलिए मम्मी को भी पेट में दर्द हो रहा था। बाबा ने बताया कि उस औरत को मार के उसके कपड़े गाँव से शहर के रास्ते के बीच में जो बरगद का पेड़ पड़ता है, उस पेड़ पर टोटके के लिए टाँग दिए गए थे। मम्मी जब स्कूल से घर आती थीं तो वो हर रोज़ पेड़ के ऊपर बैठ के मम्मी को देखा करती थी। और उस दिन उसने मम्मी के शरीर के ऊपर कब्जा कर लिया। लेकिन उस दिन के बाद से मम्मी अब बिलकुल ठीक हैं।

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