Hello दोस्तों.. हिंदी हॉरर स्टोरीज YouTube चैनल में आपका स्वागत है। और मैं प्रवीण आज फिर से लेकर हाज़िर हूँ भूतों की कुछ और सच्ची डरावनी कहानियाँ.. अगर आपको भूत-प्रेत, जिन्नात, चुड़ैल और अलग-अलग topics की सच्ची मजेदार कहानियाँ सुनना पसंद है तो जल्दी से मेरे चैनल को subscribe कर लीजिए.. मैं हर हफ्ते आपके लिए बहुत सी डरावनी कहानियाँ लेकर आता हूँ.. तो खुद भी सुनिए और अपने-अपने दोस्तों के साथ भी share कीजिए.. और डरिए, प्रवीण के साथ।
मेरा नाम विशाल बरुन दत्ता है.. मैं असम के डिगबोई का रहने वाला हूँ। मैं आपको एक बहुत ही डरावनी सच्ची घटना के बारे में बताना चाहता हूँ जो मुझे मेरे दोस्त राजीव ने बताई थी.. मैं तब 12th standard में पढ़ता था। मेरा एक दोस्त था राजीव.. वे लोग OICL की कॉलोनी में रहा करते थे। उनकी कॉलोनी के ठीक पीछे एक बहुत बड़ा नाला हुआ करता था जो आज भी वहाँ है। उस नाले के ऊपर oil company का एक बड़ा सा पाइप डाला हुआ था। राजीव अपने दोस्तों के साथ अक्सर उस पाइप के ऊपर बैठने और time pass करने जाया करता था। तो ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय वह अपने कुछ दोस्तों के साथ उस पाइप के ऊपर बैठा बातें कर रहा था। अचानक उनमें से उसके एक दोस्त ने कहा कि “वो देखो सामने केले के पेड़ के नीचे वो अजीब से दिखने वाले आदमी और औरत बहुत देर से मुझे घूरे जा रहे हैं।” उसके दोस्त बोले “तू किसकी बात कर रहा है.. हमें तो वहाँ कोई नहीं दिख रहा.. कौन घूर रहा है तुझे?” उसके दोस्त ने इतना ही कहा था कि तभी वह ज़मीन पर गिर गया। उसको देखकर बाकी सभी दोस्त बहुत डर गए और उसे ज़मीन से उठाने की कोशिश करने लगे, लेकिन वे पूरा जोर लगाने के बावजूद उसे हिला नहीं पा रहे थे। ज़मीन पर पड़ा उसका दोस्त ऐसा छटपटा रहा था जैसे कि उसका दम घुट रहा हो। उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। तो वे सब दोस्त बहुत मुश्किल से उसे घसीटते हुए उसके घर ले जाने लगे। उसका शरीर इतना भारी हो गया था कि जैसे वे बहुत सारे आदमियों को एक साथ ले जा रहे हों। किसी तरह अपनी पूरी ताकत लगाकर वे लोग उसे खींचते हुए उसके घर के आँगन तक ले गए। उसके घरवाले और आसपास के लोग बाहर निकले तो उसे देखते ही समझ गए कि इसके ऊपर जरूर कोई ऊपरी साया आ गया है। और फिर देर न करते हुए वे जल्दी से पास के एक मौलवी को वहाँ ले आए। मौलवी ने वहाँ पहुँचकर उसके ऊपर झाड़-फूंक की जिसके बाद वह होश में आ गया। होश में आने के बाद उसने सबको अपनी आपबीती बताई। लड़के ने बताया कि जब वह वहाँ उस पाइप के ऊपर बैठा था तो सामने केले के पेड़ के नीचे उसे छोटे कद का एक आदमी और एक औरत खड़े दिखाई दिए। वे दोनों उसे इशारे से अपने पास बुला रहे थे, लेकिन जब वह उनके पास नहीं गया तो वे दोनों गुस्से से भाग के उसके पास आए और उसकी छाती पे बैठ के उसका गला दबाने लगे। उसने बताया कि पहले तो वह छोटे कद के आदमी और औरत ही थे, लेकिन फिर एक छोटा बच्चा भी, जो उन्हीं दोनों का बच्चा था, वहाँ आ गया और उसके ऊपर चढ़ गया। वे तीनों उसके ऊपर चढ़े हुए थे इसलिए उसके दोस्तों को उसका शरीर बहुत भारी महसूस हो रहा था। उस वक्त अगर उसके दोस्त उसे खींच के वहाँ से न ले जाते तो वे तीनों पक्का उसका गला दबा के उसे मार डालते। उस दिन के बाद वह फिर कभी उस गंदी नाली के ऊपर बैठने नहीं गया।
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मैं आपको अपना नाम तो नहीं बता सकती.. लेकिन मैं झारखंड के गिरिडीह की रहने वाली हूँ। मुझे horror stories सुनने का बहुत शौक है। मैं आपको तीन सच्ची कहानियाँ बताना चाहती हूँ जो मुझे हमारे school teacher ने बताई थीं। तो यह बात तब की है जब मैं class 5 में पढ़ती थी। एक दिन हमें पता चला कि हमारे हिंदी टीचर ने बगल वाली क्लास में horror stories सुनाई हैं, तो फिर हमारी पूरी क्लास भी उनके पीरियड में उनसे एक horror story सुनाने की ज़िद करने लगी। तब सर ने हमें ये कहानी सुनाई थी। सर ने बताया कि ये बहुत साल पहले की बात है.. उन दिनों वे college में पढ़ा करते थे और अपने 3-4 दोस्तों के साथ एक किराये के मकान में रहते थे। कमरे में उन लोगों ने तीन फोल्डिंग बिछा रखे थे। जिस जगह उनका घर था उसके ठीक पीछे एक छोटा सा जंगल भी पड़ता था। सब कुछ अच्छा चल रहा था.. एक दिन उनके दोस्त किसी काम से बाहर गए हुए थे। वे उनको बोल के गए थे कि वे रात का movie show देखकर ही आएंगे। इसलिए सर अपने room में अकेले थे। वह गर्मियों के दिन थे.. और गर्मी की वजह से सर को नींद भी नहीं आ रही थी। तो सर ने अपनी फोल्डिंग उठाकर उस जंगल की तरफ वाली खिड़की की तरफ कर ली.. और खिड़की खोल के सो गए। लेकिन सर को जैसे ही नींद आने लगती, तब ही उनको ऐसा लगता जैसे कोई उनके बाल पकड़ के खींच रहा है। उन्होंने पहले तो ignore किया.. सोचा कि शायद उनके दोस्त उनके साथ मस्ती कर रहे हैं। लेकिन फिर उनके साथ 5-6 बार ऐसा ही हुआ.. तो वे गुस्से से उठे और खिड़की के बाहर देखकर गाली देने लगे। इसके बाद जब वे सोए तो उनके साथ वैसा नहीं हुआ। लेकिन जब उनके दोस्त वापस आए तो उन्होंने देखा कि सर को तेज बुखार हो रखा था.. और इतनी गर्मी में भी उन्होंने तीन कम्बल ओढ़े हुए थे और वे कुछ बड़बड़ाए जा रहे थे। उनके दोस्तों ने उनको दवाई देने की भी कोशिश की लेकिन वे दवाई नहीं ले रहे थे। तो उन लोगों ने सर के घर फोन किया और उनको पूरी बात बताई। तो उनके घरवाले जल्दी से वहाँ पहुँचे और उनको अपने साथ ले गए। फिर इलाज करवाने के बाद भी उनका बुखार कम नहीं हो रहा था। तभी उन्होंने अपने घरवालों से एक अजीब सी आवाज़ में बोला कि “अब ये मारा जाएगा।” ये सुनकर उनकी मम्मी रोने लगीं। वे लोग गाँव में रहते थे.. उनके घरवालों ने जल्दी से गाँव के एक बाबा को घर में बुलाया। बाबा ने उनके ऊपर झाड़-फूंक शुरू की तो वे एक औरत की आवाज़ में बोलने लगे कि “इसने मुझे बहुत गालियाँ दी हैं.. मैं अब इसको मार के अपने साथ ले जाऊँगी।” उस बाबा के बहुत कोशिश करने पर भी वह औरत उनको छोड़ने को तैयार नहीं हो रही थी। आखिर में उस बाबा ने एक काला धागा पूजा करके सर के गले में बाँधा और कहा कि इस धागे को कभी मत उतारना.. अगर तुमने कभी भी इसको उतारा तो वह औरत उसी समय तुम्हारे ऊपर आ जाएगी। इसके बाद सर की हालत थोड़ी normal हुई.. गाली देकर सोने के बाद से लेकर होश आने तक सर को कुछ भी याद नहीं था। फिर कई साल बाद सर का एक operation होना था.. ऑपरेशन के time पर उनकी सारी चीजें उतरवा दी गईं थीं। सर की family ने doctor को वह धागा उतारने को मना भी किया था लेकिन nurse ने ऑपरेशन theatre में वह धागा खोल दिया। धागा खोलते ही वही औरत फिर से उनके सामने आ गई.. और सर पागलों जैसी हरकतें करने लगे। फिर बहुत मुश्किल से वह धागा उनको फिर से बाँधा गया और तब जाकर उनकी हालत normal हुई। सर ने वह धागा आज तक पहना हुआ है और अब उनकी हालत बिल्कुल ठीक है.. उनकी government job भी लग गई है।
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यह दूसरी कहानी जो हमारे सर ने सुनाई यह उनके दादा के साथ घटी थी। यह बहुत साल पहले की बात है जब उनके दादा शहर में अपना सामान बेचने जाया करते थे। तो ऐसे ही एक रात उनके दादा शहर से सामान बेच के गाँव वापस आ रहे थे.. रात के करीब 8 बजे का time था। लेकिन इस time तक गाँव के सब लोग सो जाया करते थे। रास्ता बिल्कुल सुनसान था.. वह कच्चे रास्ते से आ ही रहे थे कि उनको एक औरत उसी रास्ते से जाती दिखाई दी। उस औरत का मुँह ढका हुआ था। दादा जी को लगा कि शायद गाँव की कोई औरत होगी और वहाँ टॉयलेट के लिए आई होगी। तो वे उस औरत पर ध्यान न देते हुए सीधे अपने रास्ते जाने लगे। वह औरत उनके पीछे-पीछे ही चल रही थी। फिर कुछ दूर जाने के बाद उस औरत ने दादा जी को पीछे से आवाज़ देकर कहा कि “मुझे बहुत डर लग रहा है.. क्या मैं आपके पास आ जाऊँ?” तो दादा जी रुक गए और उससे पूछा कि “तुम्हारा घर कहाँ है?” वह बोली “मेरा घर आपके घर से थोड़ा पहले पड़ता है।” तो दादा बोले “ठीक है, तुम मेरे साथ आ जाओ।” उसके बाद दादा जी अपने घर आ गए और खाना खा के सो गए। अगली सुबह जब वह उठे तो उनको हल्का-हल्का बुखार हो रखा था। लेकिन दवाई लेने के बाद उनका बुखार ठीक हो गया। अब धीरे-धीरे दादा जी का व्यवहार बदलने लगा था। वह अपनी पत्नी से अच्छे से बात नहीं करते थे और सुबह उनके उठने से पहले ही खेत में चले जाया करते थे। फिर जब उनकी पत्नी बिस्तर समेटतीं तो उनको बिस्तर से बहुत ही गंदी बदबू आती। लेकिन वह ज्यादा ध्यान नहीं देतीं। फिर कुछ दिन बाद एक दिन दादा बोले कि “अब हम तुम्हारे साथ नहीं सोएंगे।” उनकी पत्नी बोली “क्यों मुझसे कोई गलती हो गई क्या?” दादा जी कुछ नहीं बोले और उनको कमरे से निकाल दिया। तो उनकी पत्नी बाहर बरामदे में जाकर सो गईं। लेकिन जब वह सुबह सो के उठीं तो पता चला कि दादा अपनी चारपाई समेत घर से गायब थे। यही सिलसिला अगली कई रातों तक चलता रहा। पहली बार जब वह गायब हुए तो घर के बाहर मिले। दूसरी बार घर से 10 घर दूर। और तीसरी बार तो वह मिले ही नहीं। आसपास के सब लोग मिल के उनको ढूंढने लगे तो उसी कच्चे रास्ते पर मिले जहां वह औरत उनको पहली बार मिली थी। उनकी हालत बहुत मैली हो रही थी। वह चारपाई से उठ भी नहीं पा रहे थे और उनके पूरे शरीर पर इंसानी मल लगा हुआ था। अब सबको यकीन हो गया कि उनके ऊपर जरूर किसी चुड़ैल का साया आ गया है। फिर किसी तरह उनको चारपाई से उठाकर नहलाया गया और फिर एक बाबा को घर पे बुलाया गया। बाबा ने बहुत सारी पूजा की जिसके बाद पता चला कि वह चुड़ैल हर रात दादा के पास आती थी और उनके शरीर पर मल लगा के उनके साथ सोती थी। लेकिन दादा के साथ में उनकी पत्नी भी सो रही होती थी इसलिए उस चुड़ैल को परेशानी होती थी। फिर उस बाबा ने किसी तरह उस चुड़ैल को वहाँ हाज़िर किया और उसे दादा को छोड़ देने को कहा। लेकिन वह चुड़ैल बोली “नहीं, मैं इसको नहीं छोड़ूँगी.. क्योंकि ये मेरे पति हैं।” तो बाबा ने जल्दी से दादी को अपना थोड़ा सा सिंदूर दादा को लगाने को कहा। और ऐसा करते ही दादा बेहोश हो गए। बाबा ने कहा कि पवित्र सुहागिन के सिंदूर में बहुत ताकत होती है.. वह चुड़ैल इनको ऐसा नहीं छोड़ने वाली थी। उन्होंने दादी के सिंदूर में कुछ मंत्र पढ़े और कहा कि रोज सिंदूर लगाते हुए थोड़ा सा सिंदूर अपने पति को भी लगा दिया करो। दादी ने वैसा ही किया और फिर कुछ दिनों बाद दादा की तबियत ठीक होने लगी। वह चुड़ैल उनको फिर कभी दिखाई नहीं दी।
ये आखिरी कहानी जो सर ने हमें सुनाई ये उनके साथ तब घटी थी जब वे बहुत छोटे थे। सर ने बताया कि बचपन में उनको नदी के पानी में तैरने में बहुत मजा आता था। तो एक बार वह अपने पापा के साथ नदी में जाने की जिद करने लगे। वह पूर्णिमा की रात थी। नदी का पानी बहुत सुंदर लग रहा था। सब बच्चे नदी के पानी में खेलने लगे और बड़े लोग नदी के बाहर बैठ के बातें कर रहे थे। उसी समय कुछ मछुआरे भी नदी में मछली पकड़ रहे थे। खेलते-खेलते वे नदी में थोड़ी आगे की तरफ चले गए। तभी उनको पानी में एक अजीब सी चीज़ दिखाई दी। उन्होंने देखा कि कोई चीज़ तेजी से पानी में तैरती हुई उनको पकड़ने आ रही थी। लेकिन वे छोटे थे इसलिए तेज़ी से तैर नहीं सकते थे। वह चीज़ तेजी से उनकी तरफ बढ़ती जा रही थी। तभी उन मछुआरों की नजर उस चीज़ के ऊपर पड़ी तो उन्होंने अपना जाल नदी में फेंक दिया। सर ने वह जाल पकड़ लिया और किसी तरह पानी से बाहर आ गए। बाद में उनको पता चला कि जो चीज़ उन्होंने पानी में देखी थी उसे “बुधवा” बोला जाता है। वह पानी में ही रहता है। मछली पकड़ने वाले जाल के किनारे में लोहा लगा होता है इसलिए वह बुधवा उस जाल के पास नहीं आ सका और उनकी जान बच गई। जब मैं घर आई तो मैंने ये कहानियाँ अपनी मम्मी को सुनाई। तो मम्मी बोली कि ये कहानियाँ सच्ची हैं। मम्मी ने बताया कि ये बुधवा पानी में रहते हैं लेकिन ये खुद से पानी नहीं पी सकते। ऐसा बताते हैं कि जो लड़कियाँ कार्तिक के महीने में पूरे महीने व्रत करती हैं जब वे नदी में नहाने जाती हैं तो ये बुधवा पानी में उनका पैर छूने आते हैं जिससे इनको मुक्ति मिलती है। हमारे यहाँ बिहार में पहले सब व्रत करने वाले नदी में नहाने जाते थे। मम्मी ने बताया कि एक दिन जब वह नदी किनारे गईं तो उनके ऊपर भी एक बुधवा आ गया था। घर आने के बाद वह अजीब-अजीब हरकतें करने लगीं। बुधवा ने उनका शरीर छोड़ने के बदले एक पानी का ग्लास माँगा और तब जा के उसे मुक्ति मिली।
इसके अलावा मम्मी ने बताया कि एक बार एक 6-7 साल का बच्चा नदी में खेलते-खेलते डूब गया था। जिसके बाद उसकी आत्मा हर रात उस नदी के पुल पे आ के रोती थी। वह बच्चा अपनी माँ के पास जाने के लिए रोता था और खाना माँगता था। बहुत से लोगों ने उसको देखा था। लेकिन वह किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता था। जब उसकी माँ को ये बात पता चली तो वह बहुत रोई। फिर कुछ समय तक वे लोग हर रोज पुल पे उसके लिए खाना रखते थे। जिसके बाद वह बच्चा लोगों को दिखाई देना बंद हो गया। लेकिन फिर कुछ समय बाद उसके मम्मी-पापा वह जगह छोड़ के वहाँ से चले गए। तो वह फिर से लोगों को रात में रोता हुआ दिखाई देने लगा। लोग बताते हैं कि वह करीब एक साल तक उनको उस पुल पे रोता दिखाई दिया और फिर दिखना बंद हो गया। शायद एक साल बाद उसको मुक्ति मिल गई होगी।
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मेरा नाम गर्गी सिंह है.. और मैं छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर की रहने वाली हूँ। मैं आपको अपने साथ घटी एक बिल्कुल सच्ची घटना के बारे में बताना चाहती हूँ। शायद ये कहानी आप लोगों को इतनी डरावनी ना लगे.. लेकिन मेरे लिए ये सब बहुत डरावना था.. क्योंकि जिसके साथ ये सब होता है वही समझ सकता है कि ये डर क्या होता है। तो हुआ ऐसा था कि उस रात मेरा birthday था। मेरे कुछ दोस्त मेरे घर पे ही आए हुए थे। फिर रात में 12 बजे केक काटने के बाद मेरे दोस्त बाहर घूमने जाने के लिए कहने लगे। वो नवंबर का महीना था.. और बाहर ठंड भी बहुत हो रही थी। मैंने अपने दोस्तों से कहा कि “अभी बहुत रात हो चुकी है.. कल दिन में कहीं घूमने चलेंगे।” लेकिन उन लोगों ने बाहर घूमने जाने की ज़िद पकड़ ली थी। आखिर में मुझे उनकी बात माननी ही पड़ी। मैंने अपनी मम्मी को बताया और फिर हम 5 लोग बाहर घूमने के लिए निकल गए। हमारे शहर से बाहर की तरफ एक जगह थी जहां पहाड़ और तालाब हैं.. वह जगह हम सबको पसंद थी.. इसलिए हम लोग उसी जगह घूमने चले गए। कार मैं ही चला रही थी। वैसे तो हम उस जगह पर बहुत बार घूमने गए थे.. लेकिन इतनी रात हम पहली बार वहाँ जा रहे थे। रात के 1 बज चुके थे। मेरे बगल वाली सीट पर मेरी best friend अंकिता बैठी थी। फिर हम जैसे ही उस एरिया के अंदर गए तो अचानक मुझे सामने पहाड़ के ऊपर कोई सफेद चीज़ तेजी से निकलती दिखाई दी। मुझे लगा शायद कार के शीशे में reflection से मुझे ही धोखा हुआ होगा.. इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन अंकिता वो देखकर बहुत डर गई.. बोलने लगी कि “अभी हम यहाँ से चलते हैं.. कल सुबह आ जाएंगे।” मैंने कहा “अब इतनी दूर आ ही गए हैं तो थोड़ी देर घूम लेते हैं।” फिर हम लोग कार से उतरे और तालाब के सामने बैठ के बातें करने लगे। हमने बहुत सारी बातें कीं.. वहाँ बैठे-बैठे हमें 2:30 बज गए। इसी बीच मेरी मम्मी की call आई तो उनसे बात करने के लिए मैं वहाँ से उठ के अपनी कार की तरफ जाकर बात करने लगी। फोन पे बात करते हुए मैंने देखा कि जहां मेरी सब friends बैठी हुई थीं ठीक उसके बगल वाले पेड़ पर कुछ बहुत ही अजीब सा धुंधला सा साया बैठा दिखाई दिया। उस साए को देखकर मैं इतनी ज्यादा डर गई कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या करूँ। फिर मैंने किसी तरह अपने आप को संभाला और अपनी एक friend सपना को call किया और उसे कहा कि “तुम चुपचाप सबको लेकर कार के पास आ जाओ.. हम अब घर चलते हैं।” तो उसने वहीं से बैठे-बैठे मुझे देखा और इशारे में पूछा कि “क्या हुआ?” मैंने उससे कुछ नहीं कहा बस यही बोला कि “अब बहुत देर हो गई है सबको बोल दो कि अब घर चलते हैं।” फिर वो सब लोग जैसे ही वहाँ से उठे तो उनके उठते ही वो साया भी खड़ा हो गया। वो अपने चारों पैरों पर चलता हुआ लग रहा था। मैं अपने दोस्तों को चिल्ला के बोलना चाहती थी कि “भागो यहाँ से” लेकिन मेरे मुँह से आवाज़ भी नहीं निकल रही थी। लेकिन फिर पूरा जोर लगाकर मैं जोर से चिल्लाई “जल्दी से भागो और पीछे मुड़ के मत देखना।” मेरी बात सुनके वो सब समझ गयी की पक्का कुछ गड़बड़ है.. और वो सब तेज़ी से भागते हुए मेरे पास आने लगी.. मैंने भी जल्दी से कार की चाबी निकाली और कार के अंदर बैठते ही मैंने देखा की सामने से मेरी एक दोस्त भागती हुई आ रही थी.. उसके पीछे वही साया था जो अब बहुत तेज़ी से आ रहा था.. किसी तरह मेरी सब फ्रेंड्स कार में बैठी और उनके बैठते ही मैंने जल्दी से कार घुमाई और फुल स्पीड में वहां से कार भगा दी.. इतनी स्पीड में मैंने आजतक कार नहीं चलाई थी.. कार भगाते हुए मैंने एक बार भी शीशे में पीछे नहीं देखा की वो साया हमारे पीछे आ रहा है या नहीं.. मैंने अंकित को जल्दी से हनुमान चालीसा चलाने को कहा.. हनुमान चालीसा चलने के बाद मुझे थोड़ी शांति मिली.. फिर हम किसी तरह सही सलामत घर पहुंच गए.. घर पहुंच के मैंने सारी बात मम्मी को बता दी. फिर अगले दिन मेरी वो दोस्त सपना जिसे मैंने रात में कॉल किया था.. उसे मैंने फिर से फोन किया तो पता चला की उसे बहुत तेज बुखार चढ़ गया था.. मैंने उसकी मम्मी को भी सारी बात बताई.. तो उसकी मम्मी उसे किसी बाबा के पास ले कर गयी.. उसके बाद क्या हुआ सपना की मम्मी ने ठीक से तो नहीं बताया बस इतना ही बताया की उस रात जो साया मैंने वहां देखा था वो एक प्रेत था.. और उसने सपना को छू लिया था.. लेकिन सपना अब ठीक है.. उस दिन के बाद मैं और मेरे दोस्त उस जगह दिन की रोशनी में भी जाने से डरते हैं.. आज भी जब मैं वो रात याद करती हूँ तो मेरी आत्मा कांप जाती है..मैं असम का रहने वाला हूँ और अभी 10वीं कक्षा में पढ़ता हूँ। अभी करीब 1 महीने पहले मैं अपनी नानी के गाँव गया हुआ था। नानी के गाँव में मेरा एक दोस्त है जिसका नाम शाहिद है। तो एक दिन मैंने और शाहिद ने प्लान बनाया कि हम रात में खेत में जाकर खीरे चुरा के खाएंगे। लेकिन रात में खाना खाने के बाद मैं सबके सोने का वेट ही कर रहा था कि मेरी भी कब आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला। फिर थोड़ी देर बाद मैं उठा तो देखा कि 11 बज चुके हैं। मेरा दोस्त भी सोया हुआ था। मैंने जल्दी से उसे नींद से उठाया और फिर हम दोनों चुपके से खीरे के खेत की तरफ जाने लगे। हमें सिगरेट पीने का भी शौक है। तो खेत की तरफ जाते हुए हम बीच में जो तालाब पड़ता था उसके सामने बैठकर सिगरेट पीने लगे। वो शायद चांदनी रात थी। सामने पूरा खेत साफ-साफ दिखाई दे रहा था। हम सिगरेट पी ही रहे थे कि तभी मेरा दोस्त बोला.. उठ.. जल्दी से मेरे पीछे-पीछे आ। तो मैं भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा। वो मुझे सामने एक बांस के पेड़ के पीछे ले गया। मैंने उससे पूछा क्या हुआ.. यहाँ क्यों लाया है। तो उसने मुझे खेत की तरफ इशारा करके वहाँ देखने को कहा। मैंने उस तरफ देखा तो देखा कि कोई आदमी खेत में घूम रहा था। मुझे लगा शायद खेत का मालिक होगा। लेकिन मैं गलत था। मैंने उसे ध्यान से देखा तो पता चला कि वो कोई इंसान नहीं था। वो कुछ और ही था।
फिर जब वो खेत के कोने की तरफ आया तो हम दोनों ने बहुत अच्छे से देखा। वो बिलकुल किसी शैतान के जैसा लग रहा था। उसके सिर पे दो सींग थे.. और उसके बड़े-बड़े नाखून थे.. और मुंह से नुकीले दांत निकल रहे थे.. और उसने अपने एक हाथ में एक बड़ी सी कुल्हाड़ी पकड़ी हुई थी। उसे देखकर मैं इतना डर गया कि हिल भी नहीं पा रहा था। मैंने अपने दोस्त की तरफ देखा तो वो भी डर के मारे सफेद पड़ा हुआ था। और तभी वो एक झटके से हमारे तरफ देखने लगा.. शायद उसे हमारे वहाँ होने का पता चल गया था। वो जानवर की गुर्राहट करते हुए हमारे तरफ बढ़ने लगा। उसकी अपनी तरफ आता देख मैं अपने दोस्त से बोला.. भाग यहाँ से। हम दोनों पूरी ताकत से वहाँ से भागने लगे। लेकिन हम अपने घर की तरफ नहीं बल्कि वहाँ से दूसरी तरफ भाग रहे थे। फिर करीब 20 मिनट भागते रहने के बाद हमें खेतों के आगे एक घर दिखाई दिया। जहाँ 2 आदमी रात में खेत के रखवाली कर रहे थे। हम दोनों जल्दी से उनके पास गए और उनको पूरी बात बतायी। लेकिन उनकी हमारी बात पे भरोसा नहीं हुआ। वो हमारे उपर हंसने लगे। लेकिन तभी वहाँ वही गुर्राने की आवाज आने लगी। वो आवाज सुनते ही मैं और मेरा दोस्त बाग के एक केले के पेड़ के पीछे जाकर चुप गए। और अपने पूरे शरीर पे मिट्टी लगा ली जिससे कि उस शैतान को हमारी गंध ना आये। और फिर हमने देखा कि वो शैतान उन दोनों आदमियों को कुल्हाड़ी से काटने लगा। वो देखकर तो हमारी जान ही निकल गयी। मैंने अपने दोस्त को कहा कि अभी भी वक्त है यहाँ से भाग ले नहीं तो हम भी मारे जाएंगे। उसने मेरी बात मान ली। और फिर हम दोनों अपनी पूरी ताकत लगाकर वहाँ से भागने लगे। भागते भागते हम कई बार गिरे भी। लेकिन उठकर फिर से भागने लगते। फिर करीब आधे घंटे भागने के बाद हम अपने घर पहुंच गए। अंदर आकर हमने टाइम देखा तो रात के 2 बज चुके थे। हम दोनों बहुत डर चुके थे लेकिन हमने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। और अगले ही दिन अपने घर वापस आ गया। उस रात के बाद मैंने रात में बाहर जाना ही बंद कर दिया।
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