Dive into the Darkness with Praveen

आत्माओं का आतंक – भूतो और चुडैलों की सच्ची कहानियाँ

आत्माओं का आतंक - भूतो और चुडैलों की सच्ची कहानियाँ

हैलो दोस्तों.. हिंदी हॉरर स्टोरीज़ यूट्यूब चैनल में आपका स्वागत है.. और अब वक़्त है डरने का.. और मैं प्रवीण.. आप लोगों को डराने के लिए आज फिर से लेकर आया हूँ.. व्यूअर्स की बेहजी कुछ और सच्ची डरावनी कहानियां.. अगर आपको भूतों, चुड़ैलों, जिन्नात और अलग-अलग टॉपिक्स की कहानियां सुनना पसंद है तो जल्दी से मेरे चैनल को सब्सक्राइब कर लीजिए.. मैं हर हफ्ते आपके लिए बहुत सी मजेदार कहानियां लेकर आता हूँ.. तो खुद भी सुनिए और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए और डरिए.. प्रवीण के साथ।

मैं आपको अपनी दीदी के साथ घटी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ.. आप लोगों को शायद ये कहानी उतनी डरावनी ना लगे लेकिन यकीन मानिए जब ये सब मेरे दीदी के साथ हुआ था तो वो बहुत ही भयानक और डरावना था क्योंकि ये सब उनके साथ पहली बार हुआ था.. मेरा नाम ऋषभ कुमार है और मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से जिले का रहने वाला हूँ.. ये घटना मेरी दीदी के साथ लगभग 3-4 साल पहले घटी थी.. मेरी दीदी लखनऊ में जॉब करती हैं और एक स्कूल टीचर हैं.. 3-4 साल पहले उन्हें Lucknow में रहने के लिए घर नहीं मिल रहा था.. तो इंटरनेट पर ढूँढने पर उनको एक घर मिला जो बहुत ही सस्ता था.. तो उन्होंने उस घर के मालिक से घर के बारे में बात की और उनकी डील फाइनल हो गई.. मकान मालिक उनको अगले ही दिन वहां आने को बोल दिया.. फिर अगले दिन जब दीदी उस address पर पहुँची तो वो जगह विकासनगर नाम के एरिया में थी.. उस एरिया में बहुत सारे मंदिर थे और जिस घर में दीदी को रहना था वो एक बड़ा सा दो मंजिला मकान था.. नीचे वाले फ्लोर पर एक 60-65 साल की बूढ़ी औरत रहती थी.. दीदी को ऊपर वाले फ्लोर रहने के लिए मिला था.. जब वो मकान मालिक दीदी को दूसरी मंजिल यानी उनके रूम में ले जा रहा था तो वो बूढ़ी औरत दीदी को अजीब ही तरह से घूर-घूर के देख रही थी.. दीदी को अजीब तो लगा लेकिन उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और सीधा अपने फ्लैट में चली गई.. फ्लैट में पहुँची तो देखा कि वो फ्लैट अंदर से बहुत ही बड़ा और सुंदर था.. अंदर एक बड़ा सा हॉल, एक रूम और किचन था.. इतना बड़ा फ्लैट इतने सस्ते में मिलने पर दीदी बहुत खुश थी.. लेकिन पहले ही दिन जब दीदी उस घर में अपना सामान सेट कर रही थी तो अचानक उनके पैर में बहुत जोर से चोट लगी और वहाँ से खून निकलने लगा.. फिर दीदी ने अपनी मरहम पट्टी लगाई और सामान सेट करके नहाने के लिए चली गई.. और फिर लंच करके आराम करने के लिए लेट गई.. दिन तो जैसे तैसे निकल गया लेकिन रात होते ही उनको फ्लैट में से बीच-बीच में अजीब-अजीब सी आवाजें आने लगीं.. कभी किसी के खुशफुसाने की तो कभी किसी के चलने की आवाज़ें आतीं.. लेकिन दीदी इस सबको अपने वहम समझकर खाना बनाने लगी.. तो खाना बनाते-बनाते अचानक किसी ने पीछे से उनके बाल पकड़ के खींच दिये.. दीदी ने चिल्लाकर पूछा.. कौन है यहाँ.. लेकिन कोई जवाब नहीं आया.. वहाँ कोई नहीं था.. पूरा रूम बिल्कुल शांत था.. फिर दीदी ने खाना खाया और सोने के लिए लेट गई.. सोते हुए दीदी को 2-3 घंटे ही हुए थे कि अचानक किसी आवाज़ से दीदी की आँख खुल गई.. वो किसी के रोने की हल्की-हल्की आवाज़ थी.. दीदी ने ध्यान से सुना तो वो आवाज़ किचन से आ रही थी.. दीदी ने जल्दी से किचन में जाकर देखा लेकिन वहाँ कोई नहीं था.. दीदी अब बहुत डर गई थी.. फिर दीदी जल्दी से वापिस सोने के लिए चली गई.. अगले दिन दीदी ने फ्लैट में एक छोटा सा मंदिर लगा लिया और भगवान की एक मूर्ति रख ली.. वो हर रोज वहाँ दिया जलाती और पूजा करती.. अगले दिन दीदी जब बाजार जाने के लिए बाहर आई तो नीचे वाली वो बूढ़ी औरत उनको फिर से दिखाई दी.. वो अभी भी उनको अजीब ही नज़रों से देख रही थी.. दीदी ने फिर से उसपर ध्यान नहीं दिया और बाजार चली गई.. फिर जब दीदी सामान लेकर वापस आई तो देखा कि बाथरूम का नाल अपने आप चल रहा था.. दीदी को बहुत हैरानी हुई लेकिन उन्होंने सोचा कि शायद वो ही बंद करना भूल गई होंगी.. उसके बाद दीदी ने खाना बनाया और फिर अपने रूम में आकर सो गई.. फिर अगली शाम फिर से जब दीदी खाना बना रही थी तो वो अजीब-अजीब आवाजें उनको फिर से सुनाई देने लगीं.. कभी किसी के रोने तो कभी किसी के चलने की आवाज़ आती.. 10 दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर एक शाम जब दीदी शाम को घूमने के लिए बाहर जा रही थी तो उनको वो नीचे वाली बूढ़ी औरत फिर से खड़ी दिखाई दी.. इस बार दीदी ने उनसे पूछ ही लिया.. की आप मुझे ऐसे क्यों देखती हैं.. तो वो औरत कुछ देर चुप रहने के बाद बोली की तुम यहाँ पर कैसे रह लेती हो ? दीदी ने पूछा क्या मतलब है आपका.. तो उसने कहा की तुमको इस घर में कुछ अजीब नहीं लगता क्या ? दीदी बोली आप कहना क्या चाहती हैं साफ-साफ बोलिए.. तो उस औरत ने बताया की तुमसे पहले यहाँ पर कुछ लड़के रहने आए थे.. लेकिन वो लोग यहाँ 2 दिन से ज्यादा नहीं टिक सके.. तुमने यहाँ अकेले इतने दिन कैसे बिता दिए.. तो दीदी ने पूछा कि यहाँ पर ऐसा क्या है.. लेकिन उस औरत ने कुछ नहीं बताया.. बस दीदी को अपने मोबाइल नंबर दिया और कहा कि अगर कुछ भी प्रॉब्लम हो तो मुझे फोन कर देना.. इसके बाद दीदी जब टहलने के बाद अपने रूम में वापस आई तो देखा कि घर के सारे नाल चल रहे थे.. और अलमारी के सारे कपड़े भी बाहर पड़े थे.. दीदी ने गुस्से में चिल्ला के कहा.. कौन हैं यहाँ.. सामने आओ.. लेकिन वहाँ पर तो कोई था ही नहीं तो सामने कैसे आता.. लेकिन इसके बाद वो सब अजीब चीजें अचानक से बंद हो गईं.. फिर दीदी ने दिल्ली वाले भैया से बात करके ये सब बात बतायी तो उन्होंने कहा की तुम घर में धूप जलाया करो.. दीदी ने ऐसा ही किया.. और पूरी रात घर में धूप जलाए रखती.. दिन में तो कुछ नहीं होता.. लेकिन धूप जलाने के बाद रात में ये सब चीजें और ज्यादा बढ़ गई.. कभी कोई चीज़ अपने आप उड़ कर दीदी के सर में लग जाती तो कभी अपने आप किचन में रखा हुआ सामान जमीन पर गिर जाता.. कई बार तेज़ तेज़ आवाज़ में किसी के रोने की आवाज़ आने लगती.. फिर एक शाम जब दीदी आईने के सामने मेकअप कर रही थी.. तो उनको आईने में दो लड़कियां दिखाई दी.. उनके चेहरे बहुत डरावने थे.. सिर के बाल उनके चेहरे के आसपास बिखरे थे.. और उन्होंने बहुत पुरानी फ्रॉक पहनी हुई थी.. ये देख के दीदी बहुत ज्यादा डर गई और उसी वक्त चिल्लाती हुई घर से बाहर निकल गई..तो दीदी की आवाज सुनके नीचे वाली बूढ़ी औरत भी बाहर आ गई.. दीदी ने उनको पूरी बात बताई तो उसने बताया की यहाँ पर पिछले कई सालों से 2 लड़कियों की आत्माएं रहती हैं और जो भी यहाँ रहने आता है ये उन्हें ऐसे ही परेशान करती हैं.. इनके डर से जो भी लोग यहाँ रहने आते हैं वो यहाँ 2 दिन भी नहीं टिक पाते.. तुम पहली इंसान हो जिसने यहाँ 15 दिन बिता दिए.. मेरी सलाह मानो तो तुम आज की रात मेरे यहाँ रुक जाओ.. और सुबह होते ही अपना सामान लेके यहाँ से चली जाना.. लेकिन दीदी बोली नहीं मैं अपने घर में ही रुकूंगी और सुबह यहाँ से चली जाऊंगी.. फिर उस आखिरी रात दीदी जब उस घर में सो रही थी तो किसी ने उन्हें बहुत जोर से उठा के फेंक दिया.. जिसके कारण दीदी के हाथ और सिर में बहुत चोट लगी.. दीदी ने उसी वक्त अपने एक फ्रेंड को कॉल किया और उनको सारी बात बताई तो उन्होंने उनको उसी वक्त वहाँ से निकल जाने को कहा.. दीदी ने तभी के तभी वो रूम खाली किया और जैसे-तैसे अपने फ्रेंड के यहाँ पहुँची.. अगले दिन उनके फ्रेंड ने माकान मालिक को बहुत फोन किया लेकिन उसने फोन नहीं उठाया.. तब दीदी को ये बात समझ में आई कि बिना जाँच-पड़ताल के किसी भी नए घर में रहने की सौगात नहीं दी जानी चाहिए.. तो दोस्तों मैं आपको यही अड्वाइस देती हूँ कि किसी नए घर में रहने से पहले उसके बारे में जाँच-पड़ताल करके ही उसमें रहने का फैसला लें.. यह कहानी मैंने अपनी दोस्त से सुनी है और मैं आपसे भी यही बात कर रही हूँ.. कि आप अपनी सेहत का ध्यान रखे.. और अपने विचारों में खुश रहे.. ताकि जीवन की हर खुशी आपके कदम चूमे..🙏Horror Stories in Hindi. 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मेरा नाम ऋतेश है। मैं झारखंड के बोकारो जिले का रहने वाला हूँ। यह बात उस समय की है जब मैं ग्रेजुएशन के लिए रांची पढ़ने गया था। कॉलेज में एडमिशन होने के बाद मैंने वहाँ अपने कुछ दोस्तों के साथ एक फ्लैट किराए पर ले लिया था। मेरी कॉलेज लाइफ बिल्कुल अच्छी चल रही थी। लेकिन एक दिन अचानक जब मैं शाम को अपने फ्लैट में पहुँचा तो बहुत थका हुआ महसूस कर रहा था। आते ही मैं बिस्तर पर लेटा और गहरी नींद में सो गया। लेकिन सोते हुए रात में मैंने एक बहुत भयानक सपना देखा। मैंने देखा कि एक छोटी लड़की जिसने उर्खा पहना हुआ था, वह मेरे बगल में खड़ी मेरे बिस्तर को जोर-जोर से हिला रही थी और बहुत डरावनी आवाज़ में चिल्ला रही थी। मेरी आँख खुल गई, मैं डर के मारे पसीना पसीना हो रहा था। वह सपना इतना रियल था कि मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब सपना था या यह सच में मेरे साथ हुआ था। लेकिन उस दिन के बाद से मुझे हर रात डरावने सपने आने लगे। सपने ऐसे होते थे जैसे कि वो सब सच में मेरे साथ हो रहा हो। हर रात ठीक २ बजे एक भयानक सपने से मेरी नींद अपने आप खुल जाती और आँख खुलते ही मुझे ऐसा महसूस होता जैसे कोई मेरे आसपास खड़ा है और मुझे देख रहा है। लेटे हुए मुझे अपने सीने पर बोझ महसूस होता जैसे कोई मेरे ऊपर बैठा है। आँख खुलने के बाद मैं अपने फोन में हनुमान चालीसा पढ़ता रहता जिससे मुझे कुछ आराम मिलता। मैं सुबह ४ बजने का वेट करता रहता और ४ बजने के बाद मुझे नींद आती। धीरे-धीरे मैं बीमार पड़ने लगा, दिन में भी अगर मैं अकेला होता तो अजीब सा डर लगता रहता। फिर एक रात, हर रोज़ की तरह जब रात २ बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि एक काला साया खिड़की के बाहर खड़ा है और मेरी तरफ देख रहा है। एक बारे के लिए मुझे लगा कि वो शायद मेरा रूम मेट है, लेकिन मेरा रूम मेट तो मेरे सामने बिस्तर पर सो रहा था। उस रात मैं बहुत ज्यादा डर गया। लेकिन फिर वो साया मुझे हर रात दिखाई देने लगा, लेकिन वो कभी कमरे के अंदर नहीं आता था, खिड़की के बाहर ही खड़ा रहता था। ऐसे ही १५ दिन बीत गए। फिर एक दिन मैंने अपने दोस्तों को इस बारे में बताया तो उन्होंने मुझे ये सब अपने घर में बताने को कहा। तो मैंने अपनी मम्मी को कॉल करके सारी बात बताई। मम्मी ने मुझे जल्दी से घर वापस आने को कहा। मैं उसी शाम बस पकड़ के अपने घर चला गया। जब मैं बस में बैठा घर जा रहा था तो मेरे दिमाग में बहुत ही नेगेटिव ख्याल आ रहे थे। मैं सोच रहा था कि ये बस पलट क्यों नहीं जाती, कब मैं चैन से सो पाऊंगा, आज कितने दिन हो गए मैं ठीक से सो भी नहीं पाया हूँ। यही सब सोचते सोचते मैं अपने घर पहुँच गया। लेकिन घर पहुँचने के बाद पहली रात ही मुझे एक बहुत डरावना सपना आया। मैंने देखा कि एक पिशाच मेरे पीछे पड़ा हुआ है और उसने मुझसे कहा कि तू बस कुछ दिन और जी ले, उसके बाद मैं तुझे मार दूंगा।

मैंने रात में ही अपनी मम्मी को सपने के बारे में बताया तो मम्मी ने अगले ही दिन एक मौलवी को घर में बुला लिया। मौलवी घर में आए तो मुझे देख के उन्होंने बताया कि इसके ऊपर काला जादू किया गया है। ४० दिनों के अंदर अगर इस काले जादू को नहीं काटा गया तो इसकी जान चली जाएगी। इसके बाद मौलवी ने मुझे अपने मंत्रों से मेरे शरीर को बंद किया और कहा कि मैं कल फिर आऊँगा इसकी काट करने के लिए, आज रात तुम्हें कुछ नहीं होगा। और सच में उस रात मुझे बहुत अच्छी नींद आई। उस रात मुझे कोई डरावना सपना नहीं आया, ना ही अकेले में डर लगा। फिर अगले दिन मौलाना वापस आए तो उन्होंने मुझसे पूछा कि रात में डर लगा क्या। मैंने कहा नहीं, मुझे अपना शरीर अब बहुत हल्का महसूस हो रहा है। फिर उन्होंने कहा कि जाओ जल्दी से नहा के आओ और मेरे पास बैठो। मैं जल्दी से नहा के आया और उनके सामने बैठ गया। फिर मौलाना ने मेरे ऊपर बहुत देर तक झाड़ फूंका और मुझे कुछ पर्चियों पर आयत लिख के दी और कहा कि इसे रोज पानी में डाल के पी जाना, ऐसा तुम्हें ४० दिनों तक करना है। उन्होंने मुझे एक ताबीज भी पहनने को दिया। जिसके बाद मुझे वो डरावने सपने आने बंद हो गए। हर रात में वो आयत लिखा कागज पानी में डाल के पीता था। धीरे-धीरे मैं ठीक होने लगा और वो सब कुछ जो मेरे साथ होता था, वो सब बंद हो गया।Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi. Horror Stories in Hindi. Ghost Stories in Hindi. Bhoot Story. Hindi Horror Stories. Real Ghost Stories in Hindi. Haunted Places in India in Hindi.

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मेरा नाम रुद्र है। मैं ओडिशा के जगतसिंघपुर जिले का रहने वाला हूँ। यह 2019 की बात है। जब मैं चेन्नई की एक कंपनी में असिस्टेंट इंजीनियर की पोस्ट पर काम कर रहा था। वहाँ मेरी शिफ्ट कभी दिन में तो कभी रात में लगती रहती थी। नाइट शिफ्ट का समय शाम 6 बजे से रात के 2.30 बजे तक था। और जगह जहाँ मैं रहता था, वो मेरे घर से बस 1 किलोमीटर दूर थी। इसलिए मैं कार्यालय कदमों से ही आता-जाता था। हमारे रूम से कंपनी जाने के बीच एक मार्केट था। और सीधे उस मार्केट के पहले एक स्कूल था। जिसके सामने बहुत सारी झाड़ियां उगी हुई थीं। रात में वो जगह बहुत डरावनी नजर आती थी। वहाँ रहते हुए जब मुझे कुछ समय हो गया तो पड़ोस में रहने वाले एक चाचा ने एक दिन मुझसे कहा कि तुम रात के वक्त उस स्कूल के रास्ते में मत आया करो। मैंने पूछा क्यों, तो उन्होंने कुछ नहीं बताया, बस यही कहा कि रात के समय वहाँ से आना ठीक नहीं है। साथ ही मैं आपको बता दूं कि मैं बचपन से हॉरर मूवीज़ देखता आया हूँ और इन सब चीजों के बारे में काफी कुछ जानता हूँ। इसलिए चाचा की बात सुनकर मुझे थोड़ा अजीब तो लगा, लेकिन चेन्नई जैसे शहर में ये सब होना, यकीन करना मुश्किल था। मैं इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और इस बात को भूल गया। मैं जिस रूम में रहता था, वहां मेरे साथ मेरे एक दोस्त भी रहता था। हम दोनों का कैंपस रिक्रूटमेंट के थ्रूग उस कंपनी में सेलेक्शन हुआ था। लेकिन एक महीने बाद ही मेरा प्रमोशन हो गया, लेकिन मेरे दोस्त का नहीं हुआ। प्रमोशन होने के बाद कंपनी ने मुझे रहने के लिए एक अलग फ्लैट दे दिया जो कंपनी के कैंपस के अंदर ही था। लेकिन मैंने नये फ्लैट में शिफ्ट नहीं किया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे दोस्त को ये लगे कि प्रमोशन होते ही मैं उसे छोड़ के चला गया। लेकिन नए फ्लैट की चाबी मैंने अपने पास जरूर रख ली थी। कभी-कभी जब मैं जॉब से बहुत थक जाता था तो उसी फ्लैट में ही रुक जाता था। लेकिन फिर एक रात… मुझे आज भी वो तारीख बहुत अच्छे से याद है… 5 दिसंबर 2019। उस दिन मेरी नाइट शिफ्ट थी। काम खत्म करते करते मुझे रात के 3 बज गए थे। उस रात कंपनी में मुझे बहुत ज्यादा काम था, इसलिए मैं भी बहुत मेंटल स्ट्रेस में आ गया था। और चलते चलते कब मैं उस स्कूल के पास पहुंच गया, मुझे पता ही नहीं चला। स्कूल के पास पहुंचते ही मुझे बहुत अजीब सा लगने लगा। मैंने हमेशा रात में उसी रास्ते से ही जाया करता था, लेकिन उस रात… उस रात पता नहीं क्यूँ… मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा था। दिल में बहुत तेज़ डर आ रहा था। लेकिन फिर भी… मैं बस हिम्मत करके चलता रहा। समझ नहीं आ रहा था कि आज इतना डर क्यों लग रहा है। अगर आप लोगों में से कभी किसी आत्मा से आपका सामना हुआ हो तो आप जानते होंगे कि जब कोई आत्मा आपके आसपास होती है तो आपको अपने आप डर आने लगता है। मेरे साथ भी यही हो रहा था। उस रात मैंने पहली बार अपनी आँखों से एक आत्मा को देखा… वो भी बहुत बुरी हालत में… मैंने देखा कि 29 या 30 साल का कोई आदमी उस स्कूल की बाउंडरी के ऊपर बैठा था… उसके कपड़े बिल्कुल कटे-फटे हुए थे… और चेहरा बिल्कुल सफेद था… जैसे कि उसके बदन में खून का एक कतरा तक नहीं है… एक बार के लिए तो मुझे लगा कि शायद वो कोई आदमी है जो रात में वहाँ बैठा है। लेकिन जब मैं उसके पास पहुँचा तो मुझे समझते हुए देर नहीं लगी कि ये कोई इंसान नहीं बल्कि एक आत्मा है। मैंने उसके ठीक सामने से निकल रहा था… लेकिन वो ऐसे बैठा था जैसे कि मैं उसके सामने हूँ ही नहीं। मैं बहुत डर गया… और धीरे-धीरे बिना आवाज़ किए वहाँ से निकलने की कोशिश करने लगा। लेकिन तभी… उस आदमी ने सिसक सिसक के रोना शुरू कर दिया। अब तो मेरी डर की मारे हालत ही खराब हो गई… और तभी… मेरे पीछे से आवाज़ आई… “रुक जाओ”। वो आवाज़ सुनते ही मैं इतनी तेज वहाँ से भागने लगा जितना मैं आज तक नहीं भागा था। लेकिन भागते हुए भी मुझे पीछे से भारी कदमों की आवाजें आ रही थीं। भागता हुआ मैं सीधा अपने कॉलोनी के अंदर जाके घुस गया। लेकिन कदमों की वो आवाज़ हमारी कॉलोनी के अंदर नहीं घुस सकी… क्योंकि हमारी कॉलोनी के गेट पर ही भगवान कार्तिकेय का एक मंदिर है। जिन लोगों को नहीं पता, उन्हें मैं बता दूं कि दक्षिण में भगवान कार्तिकेय को मुरुगन के नाम से पूजा जाता है। मंदिर के पीछे पहुँचके मुझमें थोड़ी हिम्मत आई तो मैंने पलट के देखा… तो देखा कि वही आदमी वापिस स्कूल की तरफ जा रहा था। उसके बाद मैं सीधा अपने रूम में पहुँच गया। लेकिन अगले ही दिन मुझे 104 डिग्री बुखार आ गया। मैं बिस्तर से उठ भी नहीं पा रहा था। कुछ दिनों बाद मेरी तबियत ठीक हुई। उस रात भागते हुए मैं बजरंग बली को याद किए जा रहा था और शायद इसी वजह से वो मेरा कुछ बिगाड़ नहीं पाया था। फिर ठीक होने के कुछ दिनों बाद मुझे पूरी बात पता चली। असल में आज से लगभग 30 साल पहले उस जगह पर एक आदमी का कुछ गुंडों ने मिलकर खून कर दिया था। और उसको मारकर उसकी लाश को वहीं गाड़ दिया था। लेकिन बाद में पुलिस ने उसकी लाश को वहां से धूंड निकाला। ये भी सुनने को मिलता है कि उस आदमी के मरने के कुछ ही दिनों बाद उन गुंडों की लाशें भी उनी झाड़ियों में पड़ी मिली थीं। उनको किसने मारा ये आज तक किसी को नहीं पता चला। उस रात के बाद मैंने अपनी शिफ्ट रात 9 बजे से सुबह 6 बजे तक की करवा दी। आखिर में 1 अप्रैल 2020 को मैंने उस कंपनी से रिजाइन कर दिया। अब मैं घर में ही कंपीटिटिव एग्जाम्स की तैयारी कर रहा हूँ।

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मेरा नाम प्रियंका है। ये जो कहानी मैं आपको बताने जा रही हूँ ये खुद मेरे साथ हुआ था। ये मई 2018 की बात है। हम एक जोइंट फैमिली में रहते थे, जिसमें मेरे मेरे मम्मी पापा, मेरे २ चाचा और हम सभी बच्चे एक ही साथ रहते थे। मेरे बड़े चाचा जी के बड़े बेटे की शादी हो रखी थी। और उनकी २ बच्चे भी थे। वैसे तो मेरे वो कुसंगी बहुत अच्छे थे, लेकिन उनको शराब पीने की बहुत गंदी आदत थी। एक दिन मई के महीने में जब वो अपनी दुकान पे गया हुआ था तो उसने बहुत ज्यादा शराब पी ली वो भी बिना कुछ खाए पीए। और शराब पीने के बाद वो वही चाचा जी की शॉप में ही खुली धूप में सो गया। मैं आपको बता दूं की हमारे यहां मई महीने में टेम्परेचर 45-46 डिग्री तक पहुँच जाता है और वो इस कड़ी धूप में ही पूरा दिन पड़ा रहा। फिर रात 10 बजे तक भी जब वो घर नहीं आया तो चाचा और भाई उसको देखने दुकान पर गए तो देखा की वो दुकान के सामने शराब पीके पड़ा था। उसने खाना भी नहीं खाया था। वो किसी तरह उसको उठा के घर लेके आये। लेकिन पूरा दिन धूप में रहने की वजह से वो घर आकर बार-बार पानी पीने के लिए मांग रहा था। वो उन दिनों बहुत ज्यादा शराब पीने लगा था। तो उसका छोटा भाई जो एक डॉक्टर है उसने गुस्से में कहा की इसको किचन में डाल दो और कोई इसके पास नहीं जाएगा और इसको पानी भी नहीं देगा। सब लोग उसके रोज-रोज शराब पीने की आदत से परेशान हो चुके थे। इसलिए रात में कोई भी उसके पास नहीं गया। फिर रात में 2.30 बजे के करीब उसके जोर से दर्द में चिल्लाने की आवाज़ से भाभी की आंख खुल गई। लेकिन भाभी को लगा की वो नशे में ही चिल्ला रहा होगा। तो वो उसको दूर से ही देख के वापिस आके सो गई। फिर सुबह होने पर जब सब लोग उठे तो वो वही किचन में पड़ा था। तो मेरी चाची ने कहा की इसको उठा के बेडरूम में लिटा दो। लेकिन जैसे ही मेरी भाभी और चाची उसको उठाने लगी तो देखा की उसके हाथ पैर ठंडे पड़ चुके थे। उसकी बॉडी में कोई हलचल नहीं थी। तो उन्होंने जल्दी से मेरे डॉक्टर कुसिन को उसको चेक करने को कहा तो उसने चेक करके बताया की इसकी मौत हो गयी है। ये सुनते ही सबके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। शायद रात में जब भाभी ने उसकी चीख सुनी थी शायद वो उसके दम तोड़ने की आख़िरी आवाज़ थी। सब रोने लगे। हमारे घर में पहली बार किसी की इतनी यंग एज़ में मौत हुई थी। हम सब कुसंगी बहुत क्लोस थे। वो हमें बहुत हंसाया करता था। जबसे उसका अंतिम संस्कार हुआ था मुझे बहुत सुना सुना लग रहा था। मैं बार-बार रोती थी और उससे कहती की प्लीज भाई मुझे एक बार तो देख जाओ मुझे आपको देखना हे। और फिर 1 दिन जैसे उसने मेरी बात ही सुन ली.. उसकी मौत के 8 दिन बाद एक रात जब म 10.30 बजे के करीब हमारी 2nd फ्लोर वाली बाल्कनी में फोन पे अपने 1 कौसीन से बात कर रही थी तो अचानक से मेरी नज़र नीचे पड़ी.. मैंने नीचे देखा तो मेरे शब्द मेरे मुंह में ही जम्म गये.. मेने देखा की मेरा भाई जिसकी 8 दिन पहले मौत हो गई थी वो नीचे खड़ा था और मेरी तरफ देख के मुस्कुरा रहा था… लेकिन ये देख के म डरी नहीं बस शॉक हो गई थी.. मैं जल्दी से अपने रूम में आ गई.. मैं सोच रही थी की कहीं ये मेरा वहम तो नहीं है.. तो मैं दोबारा उसको देखने के लिए जल्दी से बाल्कनी में गई तो वो अभी भी वही खड़ा था.. और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख रहा था.. लेकिन इस बार वो थोड़ा धुंधला दिखाई दे रहा था.. और रात के अंधेरे में भी वो बहुत चमकता हुआ दिख रहा था। उसके आसपास अलग ही रोशनी आ रही थी। लेकिन मैं उससे डरी नहीं। बल्कि मैंने उसे मन ही मन थैंक्स बोला और अपने रूम में आ गई थी। उसने मेरी मात मानी थी। लेकिन फिर उसी रात मेरी भाभी को नींद में ऐसा लगा जैसे कोई उनका हाथ खींच रहा हो। वो नींद से उठ के बैठी तो उनको अपने सामने मेरे कुसिन के जैसी एक परछाई खड़ी दिखाई दी। उस दिन के बाद मेने उसे कभी नहीं देखा और न वो फिर कभी मेरे सामने आया। शायद उस दिन वो सिर्फ मेरे कहने पे ही एक आख़िरी बार मेरे सामने आया था।

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मेरा नाम समर है। मैं ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में रहता हूँ। मैं आपके चैनल का बहुत बड़ा फैन हूँ और अक्सर काम करते हुए आपकी कहानियाँ सुनता रहता हूँ। एक दिन जब मैं आपकी कहानियाँ सुन रहा था तो मेरे दादाजी ने भी आपकी कहानियाँ सुनी तो उन्होंने आपके बारे में पूछा। मैंने दादाजी को बताया की आप व्यूज की सच्ची कहानियाँ लोगों को बताते हैं। तो दादाजी ने भी मुझसे अपने गाँव की एक सच्ची घटना के बारे में बताया। दादाजी ने बताया की ये बहुत साल पहले की बात है जब मैं दूसरी कक्षा में पढ़ता था। वैसे तो हम लोग गाँव में नहीं रहते थे लेकिन उस समय मेरे बड़े दादाजी गुजर गए थे। इसलिए सब लोग गाँव आए हुए थे। हमारे गाँव में एक रिवाज होता है जिसे ‘पुषकर’ कहा जाता है। जब किसी इंसान को मारे हुए 11 दिन हो जाते हैं तो उसकी आत्मा की शांति के लिए एक पूजा की जाती है। जिसमें घर का एक आदमी पूजा के बाद अकेला एक बड़ा सा मटका लेकर जाता है। घर में मेरे पिताजी ही ये सब संभाल रहे थे। इसलिए ये काम भी उन्हें ही करना था। रिवाज के अनुसार जब मटका लेकर जाते हैं तो बिल्कुल भी इधर उधर नहीं देखना होता। बस सीधे चलते रहना होता है। और पीछे भी मुड़के नहीं देखना होता। क्योंकि ऐसा करने से मारे हुए इंसान की आत्मा को शांति नहीं मिलती। तो उस रात मैं अपने पिताजी को छोड़ने के लिए घर के गेट तक आया और फिर वहाँ से प्याजी अकेले बाहर चले गए। साथ ही बता दूं की इस रिवाज में कुछ ऐसी शैतानी ताकतें भी होती हैं जो ऐसा करने से रोकने की कोशिश करती हैं। और अगर उन्होंने आपको एक बार रोक दिया तो उस मारे हुए इंसान की आत्मा प्रेत में बदल जाती है और हमेशा के लिए आपके घर में बस जाती है। मटका लिए पिताजी जा ही रहे थे की तभी किसी ने एक बड़ा सा पत्थर उनके पैर के पास फेंक के मारा। उनको लगा की शायद गाँव का कोई बच्चा होगा। लेकिन वो रात 11.30 बजे का समय था और गाँव में सब लोग जल्दी सो जाया करते थे। उनको अपने आस पास कोई दिखाई नहीं दिया। और तभी उनको अपने आस पास एक काला साया हवा में उड़ता हुआ दिखाई दिया। वो हवा में उड़ता हुआ उनके सामने आया और वहाँ से गायब हो गया। फिर किसी तरह उन्होंने अपना काम पूरा किया और घर वापिस आ गए। बताते हैं की ये रिवाज पूरा होने के बाद रात में दरवाजे पर हल्की सी भी नॉक हो तो इसका मतलब है की रिवाज ठीक से पूरा हो गया है और आत्मा को शांति मिल गयी है। हम सब लोग घर में ही बैठे हुए थे। की तभी रात करीब 2.30 बजे के करीब अचानक दरवाजे पर नॉक हुई। तब जाके घर के सब लोगो ने सुकून की सांस ली।

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